अलग भीड़ से दिखने खातिर- कविता

 कविता


बिन मेहनत के जीवन का सपना साकार नहीं होता।
केवल बातें करने से बेड़ा पार नहीं होता।।
लक्ष्य अगर हासिल करना है
तो तुमको तपना होगा।
अलग भीड़ से दिखने खातिर
तुमको तो खपना होगा।।
झूठ मुठ के सपनों से सच का श्रृंगार नहीं होता।
केवल बातें करने से बेड़ा पार नहीं होता।।
मिली सफलता जिनको भी
वो रातों रात नहीं पनपे।
कठिन परिश्रम मंत्र था उनका
औऱ नियंत्रण था मन पे।।
मेहनत की बूंदों से सिंचित,
फल बेकार नहीं होता।
केवल बातें करने से बेड़ा पार नहीं होता।।
मन में एक संकल्प जगाओ,
जान फूंक दो लाशों में।
जीवन में ऐसा कर जाओ ,
नाम रहे इतिहासों में।।
बिना कर्म के हाँथ की,
रेखाओं का सार नहीं होता।
केवल बातें करने से बेड़ा पार नहीं होता।।
बिन मेहनत के जीवन का सपना
साकर नहीं होता।।
तन की सुंदरता कटती है,
समय की तेज कटारी से।
मन की सुंदरता बढ़ती है,
मेहनत के संग यारी से।।
दीवारें वो ढह जाती हैं,
जिनका आधार नहीं होता।
केवल बातें करने से,
बेड़ा पार नहीं होता।।
बिन मेहनत के जीवन का,
सपना साकार नहीं होता।।


-लाल बहादुर गौतम


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