राम_थे_राम_हैं_और_रहेंगे_सदा...


 ।। राम ।।


#राम_थे_राम_हैं_और_रहेंगे_सदा...


असंख्य आंखें आज द्रवित हैं-असंख्य हृदय आज आह्लादित । दोनो एक दूसरे की जगह ले लेने को व्याकुल हैं । हृदय रो लेना चाहता है तो आंखों में धड़कन उतर आई है...अपने  'राम' के लिए ।


बाबा तुलसी के मानस की पंक्तियों को सुनते-सुनाते , पढ़ते-पढ़ाते आज साहित्य के सारे रस बस 'राम रस' ही होकर रह गए हैं ।


पर हम सबमें कोई बाबा तुलसी तों हो ही नहीं सकता है हम तो सामान्य राम भक्त हैं । तिसपर भी हमारे हृदय की धड़कने आज प्रकृति से ज्यादा धड़क रही हैं और आंखें प्रकृति से ज्यादा सजल । 


बस अपने उन्ही 'राम' लिए धड़कते हृदय और सजल आंखों से...


राम से भी बड़ा राम का नाम है ,

और माटी अवध की स्वयं धाम है ।

जड़ - चेतन - चरा - चर कहेंगे सदा -

#राम_थे_राम_हैं_और_रहेंगे_सदा


©अनूप कुमार पाठक 'भारत'