अहसासों की अभिव्यक्ति के साथ विसंगतियों पर भी तीखे प्रहार वंश उपन्यास


वंश उपन्यास- प्रबोध कुमार गोविल द्वारा  सुष्मिता जी नाम पात्र के इर्द-गिर्द, उनके जीने के दरमियान यह कहानी बुन गई। सुष्मिता जी की यह कहानी शुरू होती है वहाँ से जहाँ से सुष्मिता जी शुरू होती हैं और यह कहानी खत्म भी वहीं होती है जहाँ सुष्मिता जी खत्म होती हैं। प्रेम, त्याग और सशक्तिकरण की मनोरंजक कहानी में डूबें। उस महिला की प्रेरणादायक यात्रा का अनुसरण करें जो अपने विवाहित प्रेमी और उसके परिवार का समर्थन करने का विकल्प चुनती है, और अकेले रह जाने पर समाज सेवा और राजनीति के लिए अपना जीवन समर्पित कर देती है। हर नया शब्द किसी अनजानी यात्रा पर जाने जैसा है। निकले थे, पता होता है पर कहां और कब पहुंचेंगे, ये नहीं मालूम। और इस नहीं जानने का सुख ही लिखने का सुख है। किसी जंगल में रास्ता बनाते खोजी हैं हम सब; नई दुनिया की खोज है, नए रास्तों की खोज है, नए शब्दों की खोज है। लेखक प्रबोध कुमार गोविल द्वारा  आत्मीय अहसासों की अभिव्यक्ति के साथ विसंगतियों पर भी तीखे प्रहार वंश उपन्यास के माध्यम से पढ़ने को मिलते हैं।
पुस्तक : वंश  लेखक : प्रबोध कुमार गोविल प्रकाशक : पंचशील
 प्रकाशन पृष्ठ : 122 मूल्य : रु. 200.

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