नूतन वर्षाभिनंदन
नूतन का अभिनंदन हो,
प्रेम-पुलकमय जन-जन हो।
नव-स्फूर्ति भर दे नव चेतन,
टूट पड़े जड़ता के बंधन;
शुद्ध, स्वतंत्र वायुमंडल में
निर्मल तन, निर्भय मन हो।
प्रेम-पुलकमय जन-जन हो,
नूतन का अभिनंदन हो।
प्रति अंतर हो पुलकित हुलसित
प्रेम-दिए, जल उठे सुवासित
जीवन का क्षण-क्षण हो ज्योतित
शिवता का आराधन हो !
प्रेम-पुलकमय प्रति जन हो,
नूतन का अभिनंदन हो।
फणीश्वर नाथ 'रेणु'