शंकरलाल मेहरोत्रा की पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर पीएम मोदी से की बुंदेलखंड राज्य की मांग
बुंदेलखंड राष्ट्र समिति ने बुंदेलखंड राज्य आंदोलन के जनक को दी श्रद्धांजलि
खागा: बुंदेलखंड राष्ट्र समिति ने आज शंकरलाल मेहरोत्रा की पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर निष्पक्ष देव विद्या मंदिर इंटर गुरसंडी में एक सम्मान समारोह का आयोजन किया। इस अवसर पर समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजीनियर प्रवीण पांडेय ने शंकरलाल मेहरोत्रा को श्रद्धांजलि अर्पित की। दीप प्रज्वलित कर और माल्यार्पण करते हुए उन्होंने बुंदेलखंड राज्य आंदोलन के इस महान नेता के योगदान को याद किया।
सम्मान समारोह में विशेष पुरस्कार
समारोह में राम प्रसाद विश्वकर्मा को 'शंकरलाल मेहरोत्रा स्मृति सम्मान' से सम्मानित किया गया। इस दौरान प्रवीण पांडेय ने कहा, "शंकर भईया का अधूरा सपना पूरा करना ही हमारे आंदोलन का उद्देश्य है।"
शंकरलाल मेहरोत्रा: एक युगदृष्टा
शंकरलाल मेहरोत्रा का जन्म 9 मार्च 1948 को झांसी में हुआ था। उन्होंने 17 सितंबर 1989 को धवर्रा से बुंदेलखंड राज्य आंदोलन की शुरुआत की। हालांकि 2000 में उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ का गठन हुआ, लेकिन बुंदेलखंड का सपना अधूरा रह गया। इसी सदमे ने 22 नवंबर 2001 को उनकी जान ले ली।
त्याग और संघर्ष की मिसाल
शंकरलाल ने आंदोलन के लिए अपनी डिस्टिलरी फैक्ट्री तक बेच दी। उन्होंने मध्यप्रदेश विधानसभा (1994) और लोकसभा (1995) में पर्चे फेंककर बुंदेलखंड राज्य की मांग की। उनकी गिरफ्तारी के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें रिहा करवाया।
आंदोलन की अग्नि आज भी जल रही है
प्रवीण पांडेय ने अपने खून से प्रधानमंत्री को 29 बार पत्र लिखकर बुंदेलखंड राज्य की मांग उठाई है। उन्होंने कहा, "शंकरलाल मेहरोत्रा द्वारा प्रज्वलित यह लौ बुझने नहीं देंगे। उनकी कुर्बानियां व्यर्थ नहीं जाएंगी।"
समारोह में बड़ी संख्या में बुंदेली योद्धा उपस्थित थे, जिन्होंने बुंदेलखंड राज्य के संघर्ष को और मजबूत बनाने का संकल्प लिया।
मुख्यरूप से बाबू लाल , चंद्रिका प्रसाद, प्रीतू सिंह, शिवानी मिश्रा, अंकुश त्रिपाठी , आनंदी प्रसाद, राकेश कुमार,रमेश प्रसाद ,राम नरेश , गिरीश चंद्र आदि रहे l