ज्योति पर्व अभिनन्दन,

दें प्रकाश मुक्ति, संबल का..

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आओ मिलकर दीप जलाएं, 

प्रेम, नेह, विश्वास का,

मन का तिमिर हटाकर लाएं ,नवप्रकाश उल्लास का.

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शिथिल,असक्त देह है जिनकी,

कई व्याधि से घिरी हुयी भी,

निर्बल,निर्धन जोभी जन हैं,

गहन निराशा से व्याकुल हैं,

व्याधि मिटाएं,शक्ति दिलाएं,

मन आशा के दीप जलाएं,

इंद्रधनुष उनके जीवन में,

हर्ष और उल्लास का. आओ...

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अंधे,लूले, बहरे भाई,

निशा सदा जीवन घिर आयी,

जिन्हें साथ न कोई बिठाये,

शोषित करे, दुःख पहुंचाए,

नव जीवन उनको हम दे दें,

गले लगाएं, आँसू पौछें,

अधरों पर चिर मुस्कानें ला,

स्वर गूंजे मल्हार का.

आओ....

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जो कैदी हैं या अनाथ हैं,

गहन तिमिर के सदा साथ हैं,

अवसादों से घिरे हुए जो,

घोर उपेक्षा सहे हुये जो,

दें प्रकाश मुक्ति संबल का,

नेह, प्रेम, विश्वास सघन सा,

रोम रोम आलोकित कर दें,

 मन में दृन विश्वास ला.

आओ मिलकर..


                                              इंजी. अरुण कुमार जैन 

                                    अमृता हॉस्पिटल, फ़रीदाबाद, हरियाणा