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प्रधानमंत्री जी गुणवत्तापरक शिक्षा के प्रति संवेदनशील
-श्रीमती आनंदीबेन पटेल
लखनऊ : 21 अक्टूबर, 2024
उपराष्ट्रपति भारत सरकार श्री जगदीप धनखड़ जी की गरिमामयी उपस्थिति तथा प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी की अध्यक्षता में आज राजा महेन्द्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, अलीगढ़ का प्रथम दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। दीक्षांत समारोह में माननीय उपराष्ट्रपति जी एवं राज्यपाल जी द्वारा 41 मेधावियों को 45 स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। समारोह में मास्टर आफ आर्ट्स, मास्टर ऑफ साइंस, बीएससी, बीसीए, एलएलबी, एलएलएम, बीकॉम, बीपीईस, बीपीएड पाठ्यक्रम में सर्वाधिक सीजीपीए अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। पदक पाने वालों में 22 छात्राएं और 19 छात्र सम्मिलित हैं।उपराष्ट्रपति श्री जगदीश धनखड़ जी ने विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी द्वारा कई बड़े बदलाव किए गए हैं। मैंने देखा है कि नाम, प्रमाण पत्र और मार्कशीट सभी इलेक्ट्रॉनिक रूप से अपलोड किए गए हैं। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल सद्गुण और प्रतिबद्धता के उदाहरण के साथ कुलाधिपति की भूमिका को परिभाषित कर रही हैं। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल का यहां दो बार आगमन हो चुका है। प्रदेश भाग्यशाली है कि उसे ऐसी शिक्षाविद एवं विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र के लिए प्रेरक राज्यपाल मिली हैं।
माननीय उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि हम सभी को पर्यावरण के प्रति सजग रहना होगा। अपने जीवन में ’’एक पेड़ माँ के नाम’’ अवश्य लगाएं। इस दीक्षांत समारोह में उपस्थित होना एक सम्मान की बात है। इस राज्य विश्वविद्यालय का नाम देशभक्त, राष्ट्रीय नायक और स्वतंत्रता सेनानी राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर रखा गया है। बहुत ही आकर्षक पहलू यह है कि ब्रज भूमि में रहना हमेशा आध्यात्मिक रूप से फायदेमंद होता है। इस दौरान उपराष्ट्रपति ने सभी स्नातक, पदक विजेताओं, उनके गौरवान्वित माता-पिता को अपनी तरफ से बधाइयां देने के साथ ही संकाय के सदस्यों को भी शुभकामनाएं दीं।
छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि आपकी उच्च शैक्षणिक योग्यताएं देश के लिए संपत्ति हैं। आप जिस भी क्षेत्र में कार्य करते हैं उन क्षेत्रों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। आप भारत के विकासशील गाथा का अहम हिस्सा साबित होंगे। आगामी 25 वर्ष अपार संभावनाओं से भरे हैं, जिनका आप लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा अच्छी तरह से निश्चित है और वह 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाते हुए भारत का विकास करने की है। युवाओं की उच्च और सकारात्मक सोच इस यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण हितधारक है। आप ही इस विकसित यात्रा को ऊर्जा देते हुए सभी को गौरवान्वित भी करेंगे। उन्होंने युवाओं को भविष्य का लीडर बताते हुए सकारात्मक परिवर्तन का निर्माता बताया और कहा कि वह आर्थिक तकनीक और सामाजिक प्रगति को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने युवाओं से कहा कि आपको वह परिवर्तन बनना होगा जिस पर आप विश्वास करते हैं। किसी भी परिवर्तन के बहकावे में ना आकर अपनी योग्यता और दृष्टिकोण के अनुसार आप जो परिवर्तन चाहते हैं उसे लाएं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान शासन व्यवस्था का प्रमाण है कि यह विश्वविद्यालय इतने कम समय में अच्छी तरह से उभर कर सामने आया है। जिसका शिलान्यास मात्र 3 वर्ष पहले हमारे दूरदर्शी प्रधानमंत्री जी द्वारा किया गया था। उत्तर प्रदेश की अनुकरणीय कानून व्यवस्था, राजमार्ग और बुनियादी ढांचे के साथ ही यह उपलब्धि इसकी उत्तरोत्तर प्रगति और उत्थान के लिए शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में नालंदा, तक्षशिला के साथ ज्ञान और शिक्षा के कई अन्य वैश्विक प्रकाश स्तंभों की कल्पना करें तो इस विश्वविद्यालय की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम है। उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह को स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में अहम स्थान मिलना चाहिए था। उन्होंने 1915 में काबुल में भारत की पहली अस्थाई सरकार की स्थापना की, जो ब्रिटिश शासन के 1935 के भारत सरकार अधिनियम की कल्पना करने से भी दो दशक पहले की बात है। उनके जैसे नायकों के बलिदान के कारण ही आज हम एक स्वतंत्र वातावरण में फल-फूल रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से ऐसे महान नायकों की इन प्रेरक कहानियों को हमारी पाठ्य पुस्तकों में अब तक कोई उल्लेख नहीं मिलता है। यह स्वतंत्रता के इतिहास के साथ छेड़छाड़ की एक दर्दनाक कहानी को बयां करता है।
उन्होंने कहा कि डॉ0 बी0आर0 आंबेडकर को सर्वाेच्च नागरिक भारत रत्न से देर से सम्मानित किया गया। 1990 में आंबेडकर से लेकर 2023 में चौधरी चरण सिंह और कर्पूरी ठाकुर तक सही दिशा में कदम उठाए गए। उन्होंने कहा कि दोनों अवसरों पर उन्हें संसद के रंग मंच पर उपस्थित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 1990 में वह केंद्रीय मंत्री थे और अब उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के सभापति हैं। उन्होंने कहा कि वह गर्व महसूस करते हैं, लेकिन चिंता का विषय है कि हमें अपने नायकों को पहचानने में इतना समय क्यों लगा। उन्होंने कहा कि हाल ही में बहुत अच्छे विकास हुए हैं। हम भगवान बिरसा मुंडा को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देने के लिए 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाते हैं। वह महान आदिवासी, स्वतंत्रता सेनानी थे। सभी को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। वह युवावस्था में चले गए परंतु हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के संघर्ष पर अमिट छाप छोड़ गए।
उन्होंने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह एक दूरदर्शी शिक्षाविद भी थे। उन्होंने प्रेम महाविद्यालय की स्थापना करके तकनीकी शिक्षा की आवश्यकता को दूर किया। इतिहास इसका प्रमाण है कि कोई भी देश तकनीकी क्रांति में अग्रणी हुए बिना उत्कृष्टता हासिल नहीं कर सकता। हम वस्तुतः चौथी औद्योगिक क्रांति में रह रहे हैं, जहां कृषि से लेकर शिक्षा और संचार तक सूचना हमारी सभी गतिविधियों की कुंजी है। आजकल सब कुछ संचार के आसपास ही है। प्रौद्योगिकी एक गेम चेंजर है। इससे पारदर्शी व्यवस्था, जवाबदेह शासन, सेवा वितरण में आसानी और कतार में लगे अंतिम व्यक्ति को लाभ मिलने की उपलब्धि पर व्यापक असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ही भारत में शिक्षा को महत्ता दी गई, शिक्षा व्यावसायीकरण से प्रेरित नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारा भारत आज सौभाग्य से दुनिया के लिए एक महान विकास प्रौद्योगिकी के मामले में एक बौद्धिक शक्ति के रूप में उभर रहा है। आप सभी पेटेंट के महत्व को जानते ही हैं। दायर किए गये पेटेंट के मामले में हम पांचवें स्थान पर हैं। आप महसूस कर सकते हैं कि यह एक नरम कूटनीतिक हथियार भी है और साल दर साल 25 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि के साथ ही पेटेंट दाखिल करने के मामले में हमारी वार्षिक वृद्धि 25 प्रतिशत है। हमारी डिजिटलीकारण, हमारी तकनीकी पैठ, सेवा वितरण के उपयोग को वैश्विक संस्थानों, विश्व बैंक द्वारा सराहा गया है कि जब भी सेवा की बात आती है तो भारत एक रोल मॉडल है। उन्होंने कहा कि हम तकनीकी क्रांति के अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं। इसे आप जैसे युवा दिमागों, प्रज्वलित दिमागों द्वारा संचालित किया जाना चाहिए। उन्होंने युवाओं से कहा कि वह परिवर्तन लाने वाले बनें, नवाचार का नेतृत्व करें और भारतीय समस्याओं का भारतीय तरीके से समाधान खोजें और वैश्विक बिरादरी को भी उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र से ऊपर कुछ नहीं। राष्ट्रवाद हमारा धर्म है। निजी हित या कोई भी हित हो राष्ट्र हित से ऊपर नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शहीदों की चिताओं पर जुटेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशा होगा। कभी वह दिन भी आएगा, जब अपना राज देखेंगे, जब अपनी ही ज़मीं होगी और अपना आसमां होगा। आज यह चरितार्थ हो रहा है।
कुलाधिपति एवं राज्यपाल जी ने विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह में मेधावियों की संख्या को देखते हुए स्पष्ट है कि यहां भी छात्राओं ने ही बाजी मारी है। अलीगढ़ ताला उद्योग के साथ ही अब शैक्षिक उन्नयन का भी केंद्र बन रहा है। उन्होंने स्व0 शीला गौतम जी को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि उनकी मुहिम ’’एक पेड़ मॉँ के नाम’’ से एक कदम आगे बढ़कर यहां तो पूरा ऑडिटोरियम एवं पुस्तकालय भवन ही मॉँ की स्मृति में तैयार किया गया है। जब भी विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं यहाँ अध्ययन करेंगे तो उनको अवश्य ही याद करेंगे। स्व0 शीला गौतम जी के परिवार द्वारा यह अपनी माँ को सच्ची श्रद्धांजलि और छात्र-छात्राओं को अप्रतिम भेंट है। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के जीवन में ऐसा अवसर है जब उन्हें तय करना होता है कि अब उनकी आगामी भूमिका क्या है, उन्हें समाज और देश के लिए क्या करना है। उन्होंने कहा कि भारत पुरातन काल से ही विश्व में शिक्षा का केंद्र रहा है। यहाँ के नालंदा, विक्रमशिक्षा एवं कांचीपुरा विश्वविद्यालय में हजारों-लाखों की संख्या में देश-विदेश के विद्यार्थी ज्ञानार्जन करते थे। अभी हाल में प्रधानमंत्री जी द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण कराकर उसे संचालित कराया गया है। उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में होने वाली तमिल संगम बैठक भी दीक्षांत समारोह का ही उदाहरण है, ये हमारी वैदिक परम्परा का हिस्सा है।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री जी गुणवत्तापरक शिक्षा के प्रति बेहद संवेदनशील हैं। पीएम ऊषा कार्यक्रम के तहत 1,000 करोड़ रूपये उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों को प्रदान किए गए हैं, जिनसे यहाँ नई-नई लैब की स्थापना के साथ ही शोध कार्यों को बल मिलेगा। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की गुणवत्ता के लिए चलने वाली नैक ग्रेडिंग के स्थान पर अब बाइनरी रैंकिंग आ गई हैं, इसमें 10 बिन्दुओं पर कार्य करना है। उन्होंने निर्देश दिया कि विद्यालयों में शोध कार्य को बढ़ावा दिया जाए, स्टूडेंट-अध्यापक अनुपात मानक के अनुरूप रहे, मेंटर-मेंटी के तहत अध्यापक 10-15 विद्यार्थियों के गु्रप बनाकर उनका उचित मार्गदर्शन करें। विद्यार्थियों से विद्यालय के बारे में फीडबैक लेने के लिए 50 प्रश्न निर्धारित किए जाएं। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में शिक्षकों की समय से उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सी0सी0टी0वी0 लगाए गए हैं। शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात विद्यार्थियों को बाहर निकलना पडे़गा, कोई शॉर्टकट नहीं चलेगा। कोरोना काल को गुजरे हुए चार वर्ष हो गए उसका मेकओवर करें। आधुनिक टैक्नोलॉजी का अपने अध्ययन में सदुपयोग करें। अपने परिवार को साथ लेकर चलें।
राज्यपाल जी ने बताया कि प्रधानमंत्री जी द्वारा 1.48 लाख करोड़ रूपये के बजट में से अनुदान आयोग (यू0जी0सी0) को 19,025 करोड़ का प्राविधान किया गया है। उन्होंने बताया कि ऐसे 01 लाख विद्यार्थियों को स्वरोजगार स्थापना के लिए 10 लाख रूपये का ब्याज मुक्त ऋण बिना किसी गारंटी के प्रदान किया जाएगा जो किसी सरकारी योजना में पात्रता नहीं रखते हैं। इसी प्रकार मॉडल कौशल ऋण योजना में 25 हजार विद्यार्थियों को 7.50 लाख रूपये का ऋण दिए जाने का प्राविधान किया गया है। प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना के तहत निजी क्षेत्र में जॉब के अवसर प्रदान किए गए हैं। आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस में 255 करोड़ से तीन नए सेंटर बनने हैं जिसमें युवाओं को बेहतर अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने बताया कि एन0आर0आई0एफ0 की श्रेणी में जहां पूर्व में 500वें नम्बर तक प्रदेश का कोई विश्वविद्यालय नहीं था अब प्रथम 100 में उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों ने अपनी जगह बनाई है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री जी द्वारा मौसम की सटीक जानकारी के लिए पुणे, कोलकाता एवं दिल्ली में तीन नए सुपर कम्प्यूटिंग सेंटर आरम्भ किए गए हैं, चौथा सेंटर बैंगलोर में जल्द आरम्भ होेने वाला है। उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि प्रधानमंत्री जी द्वारा छात्रहित में संचालित की जा रही विभिन्न योजनाओं को उन तक पहुँचाएं और उनको लाभ दिलाना सुनिश्चित करें।
इसके साथ ही समारोह में राज्यपाल जी ने विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए पांच ग्राम- नादा वाजिदपुर, करसुआ, लोधा, हरदासपुर एवं ल्होसरा के प्राथमिक विद्यालयों के भाषण, लेखन व पोस्टर प्रतियोगिता के विजेता बच्चों को पुरस्कृत एवं सम्मानित करने के साथ ही उनकी शिक्षिकाओं को पाठ्य पुस्तकों का एक-एक सैट प्रदान किया। इसके साथ ही 200 आंगनबाड़ी केंद्रों केे लिए खेलकूद किट भी प्रदान की गई। माननीय उपराष्ट्रपति जी एवं राज्यपाल जी द्वारा जिलाधिकारी एटा प्रेमरंजन को ’’मेरा राजभवन’’ नामक पुस्तक एवं मेडिकल किट भेंट स्वरूप प्रदान की गई। कार्यक्रम में राज्यपाल जी एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 चन्द्रशेखर ने विश्वविद्यालय की स्मारिका का भी विमोचन भी किया गया।
इस अवसर पर समारोह में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय जी, प्रदेश की उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती रजनी तिवारी जी, मण्डलायुक्त, जिलाधिकारी जनपद एटा, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 चन्द्रशेखर, विश्वविद्यालय के समस्त संकायाध्यक्ष, विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद-विद्यापरिषद के सदस्य, शिक्षक, विद्यार्थी व कर्मचारी, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां व स्कूली बच्चे उपस्थित रहे।