कलादीर्घा दृश्य कला पत्रिका एवं कला स्रोत कला वीथिका, लखनऊ द्वारा आयोजित वत्सल अखिल भारतीय चित्रकला प्रदर्शनी में आज दूसरे दिन लखनऊ के कला प्रेमियों के आने जाने का क्रम बना रहा। दर्शकों ने मातृदिवस के उपलक्ष में आयोजित इस प्रदर्शनी के कई चित्रों की सराहना की और कलाकारों से चित्रों पर बातचीत की। प्रदर्शनी में डॉ अनीता वर्मा का चित्र जिसमें छोटे बच्चों के खिलौने को संयोजित किया गया है, प्रदर्शनी का आकर्षण बना रहा। खिलौने वाली कार पर बैठी बत्तख जो अपना पर्स लेकर मार्केट जा रही है, सुंदर और चटक रंगों में अभिव्यक्त है। बत्तख का छाता लगाकर खुले आसमान में घूमने जाना दर्शकों को अच्छा लगा। युवा कलाकार सुमित कुमार के चित्र में अपनी मां के जमाने की कहानी जिसमें डोली पर दुल्हन बैठकर जाती थी और गांव के बच्चे बताशा लूटने उसके पीछे-पीछे भागते थे, सभी को उस समय से जोड़ रहा था। मां के जमाने के उत्सव, इमारतें और आलंकारिक तत्वों का अच्छी रंग संगति के साथ व्यक्त किया जाना कलाकारों और कला प्रेमियों को लुभा रहा था। डॉ सचिव गौतम का चित्र जिसमें एक बया अपने बच्चे को दुलार करने के लिए घोंसले पर बैठी है और बच्चा मां की ओर देखते हुए बाहर निकल रहा है, वात्सल्य पर आधारित इस चित्र को बंगाल कला शैली में रचा गया है। विस्तार पूर्वक किए गए इस कार्य में दर्शकों को सुरुचिपूर्णता दिख रही थी। मां के वत्सल भाव पर आधारित डॉ अवधेश मिश्र का चित्र जो तैलरंग से रचा गया है, चटक लाल और काले रंग की संगति में ग्राम देवी को चित्रित किया गया है। पक्की मिट्टी से बने हाथी और समारोह की झंडियां रुचिकर लग रही हैं। वत्सल प्रदर्शनी की क्यूरेटर डॉ लीना मिश्र ने बताया कि कलाकारों द्वारा वत्सल भाव से चित्रित इन चित्रों की थीम के अनुसार मातृदिवस का उत्सव मनाया गया। यह लखनऊ नगर के कला प्रेमियों के लिए एक अवसर है और ऐसे चित्रों को अपने घर में रखकर अपनी मां के प्रति समर्पण भाव तो दिखाया ही सकता है, उनकी संवेदनाओं से जुड़ा जा सकता है।
वत्सल चित्रकला प्रदर्शनी में दिखती मां की संवेदनाएं