- समारोह में संस्थान की ओर से दिये गए पद्मजा कला सम्मान
- अन्तरराष्ट्रीय कथक नृत्यागना डॉ. आकांक्षा श्रीवास्तव के निर्देशन में हुई विभिन्न प्रस्तुतियां
- पचास से अधिक कलाकारों ने दी मनभावन प्रस्तुतयां
लखनऊ बुधवार, 10 अप्रैल। पद्मजा कला संस्थान की ओर से “परम्परा 2024 कथक समारोह” का भव्य आयोजन, बुधवार 10 अप्रैल को गोमती नगर स्थित उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में संस्थान की सचिव, अन्तरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथक नृत्यांगना और गुरु डॉ.आकांक्षा श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में किया गया। इसमें उनके पचास से अधिक शिष्यों नें कथक नृत्य की प्रभावी प्रस्तुतियां दे कर आगंतुकों की भूरि-भूरि प्रशंसा हासिल की। इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह और विशिष्ठ अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर को आमंत्रित किया गया था।
इस अवसर पर संस्था की ओर से विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित और प्रतिभावान शख्सियतों को पद्मजा कला सम्मान से अलंकृत भी किया गया। सम्मान समारोह में वरिष्ठ तबला वादक उस्ताद इल्मास हुसैन खां, वरिष्ठ भरतनाट्यम के कलाकार ज्ञानेन्द्र बाजपेयी, वरिष्ठ कथक नृत्यांगना डॉ. रुचि खरे, वरिष्ठ शास्त्रीय गायिका डॉ. रश्मि चौधरी और वरिष्ठ पत्रकार आलोक पराड़कर को पद्मजा कला सम्मान से अलंकृत किया गया।
कथक परंपरा से पोषित सतरंगी और जोश से सराबोर सांस्कृति संध्या की शुरुआत “तालांगी” से हुई। उसमें अप्रचलित तालों की नृत्य संरचना कों सुन्दर अंग-संचालन, पद विन्यास, बोल पढन्त के माध्यम से दर्शकों के समक्ष पेश किया गया। इसके बोल “आंगिकम भुवनम् यस्य वाचिकम्” थे। यह रचना, रूपक ताल 7 मात्रा, बसंत 9 मात्रा, अष्टमंगल 11 मात्रा, धमार 14 मात्रा और तीन ताल 16 मात्रा में निबद्ध थी। इसमें डॉ. आकांक्षा श्रीवास्तव के साथ सिजा राय, शैली मौर्या, खुशी मौर्या, प्रीति तिवारी, आरोहिणी चौधरी, सिमरन कश्यप, सपना सिंह, श्रद्धा श्रीवास्तव, श्रेया सिंह, मोनिका सरीन, शिवानी, आराध्या दीक्षित, विकास अवस्थी, प्रखर मिश्रा, अंश रावत, अतुल मने आदित्य गुप्ता, मोहित सोनी, आयुष अग्रवाल ने मनभावन नृत्य किया।
दूसरी प्रस्तुति सितार और तबले की मधुर “जुगलबन्दी” रही। उसमें लखनऊ की उभरती दो युवा प्रतिभाओं कों मंच दिया गया। इसमें मास्टर संकल्प मिश्रा ने जहां सितार वादन किया वहीं तबलें पर मास्टर मनन मिश्रा नें प्रभावी संगत दी। इसका मार्गदर्शन डॉ. नवीन मिश्रा और पं. विकास मिश्रा ने किया।
तीसरी प्रस्तुति “तालीम” थी। इसमें चार से लेकर 25 साल तक के कलाकारों ने “जय श्री राम जय श्री राम, अवधपति जय,जय श्री राम” भजन पर सुंदर भावों का प्रदर्शन किया वहीं परम्परागत कथक की प्रभावी झलक भी पेश कर तालियां बटोंरी। इसमें अहाना गुप्ता, कृतिका गुप्ता, स्वरा मिश्रा, रिदम गुप्ता, देबश्मिता पाल, प्रियांशी गुप्ता, आयुषी सिंह, पाखी मिश्रा, समृद्धि श्रीवास्तव, इशानी शुक्ला, उन्नयन शुक्ला, वरूनिका गुप्ता, रचना, नीतू, आकृति श्रीवास्तव, आकृष्टी जायसवाल, अदिति बसक, मानसी मौर्या, आराध्या अग्रवाल, जान्हवी पाण्डे, निलीशा निगम ने प्रतिभाग किया। इसमें गायन और हारमोनियम का दायित्व दिनकर द्विवेदी, बांसुरी वादन का दिपेन्द्र कुंवर, तबला वादन का इलियाज हुसैन खां और अनुराग मिश्रा ने बखूबी निभाया।
चौथी प्रस्तुति “कथक के रंग, माटी के संग” नाम से दर्शकों के समक्ष आयी। यह मनोरम प्रस्तुति उत्तर भारत के उपशास्त्रीय गायन शैलियों पर आधारित थी। इसमें चैती, बंदिश और कजरी के गीतों के साथ कथक नृत्य को प्रयोगवादी होते हुए खूबसृरती के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए प्रस्तुत किया गया। नवरात्र के साथ ही भारतीय नया साल भी चैत्र शुक्ल पक्ष से शुरू हो जाता है। ऐसे में चैती गाने का चलन है। इस प्रस्तुति में चैती “एही ठईया मोतिया हिराय गइले रामा कहवा में ढून्डू” के माध्मय से कथक की परंपरा को पेश किया गया। इस क्रम में प्रस्तुत बंदिश के बोल थे “पड़ी मोरे कान, भनक मुरली की तान माधुरी” और कजरी के बोल थे, “बरसन लागी सावन बुदिया रामा, तोरे बिन लागे न मोरा जिया”। इसमें शामिल कलाकारों के नाम इस प्रकार है, अर्पणा शुक्ला, सुमति मिश्रा, मंगला श्रीवास्तव, वैष्णवी संक्सेना, प्रिशा अग्रवाल, श्रेया अग्रहरी, अनामिका यादव, पर्णिका श्रीवास्तव, रितिका, इहारा। इस समस्त कार्यक्रम की परिकल्पना और नृत्य निर्देशन संस्थान की सचिव और अन्तरराष्ट्रीय कथक नृत्यागना डॉ. आकांक्षा श्रीवास्तव ने दक्षता और सौन्दर्य के साथ किया वहीं कार्यक्रम का संचालन राजेन्द्र विश्वकर्मा हरिहर ने संभाला था। इस समारोह में संस्था के अध्यक्ष सुभाष चन्द्र श्रीवास्तव, भातखंडे सम विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ. पूर्णिमा पाण्डे, वरिष्ठ कथक कलाकार डॉ. कुमकुम धर, वरिष्ठ तबला वादक डॉ. मनोज मिश्रा, वरिष्ठ तबला वादक अरूण भट्ट, वरिष्ठ कथकाचार्य पंडित राम मोहन महाराज आमंत्रित विशिष्ट कलाविद् थे।