जशन की रात

 जशन की रात किस ने मुझे पुकारा है ;

तुम्हारे प्यार की धड़कन  ने मार डाला है ।
चलो उठो की सवेरा निकलने वाला है, 
सराब से वह इक चश्मा निकलने वाला है।
 उदासियों का बेड़ा सब मिलकर पार करें ,
सुना है नूर से नगमा निकलने वाला है।
  सुनामियों का यह दौर खत्म है जानम,
फिजा में इन्द्रधनुष निकलने वाला है।
 खिजाँ से हिद्दत का अब रंग उतरने के है करीब,
 यकीन है कि शब रंग निखरने वाला है।
 हमारे साथ जो बीती  वह कर्ब कैसे बताएं,
 सीलाब  उतरा है  बस्ती को फिर बसाना है ।
तुम  जाओ फिर कभी नजर नहीं आना,
 मेरी मासूमियत का डर निकलने वाला है ।
हवाओं आओ फिजाओं में चांदनी भर दो,
 नया सावन है और नूर भरने वाला है।
- सरताज प्रवीण सबीना