संत सनातनी जन सेवक का,
जादू बोला जनता के सिर चढ़।
विपक्ष के दिल पर लोटे सांप,
धड़के दिल धड़-धड़-धड़-धड।।
कोई बोले दिल्ली में मैंने ,
सब-कुछ ही कर दिया माफ़।
कोई बोले यात्रा कर कर के
भाई बहन हम रहे हैं हांफ।।
कोई कहे परिवार नहीं फिर,
काहे को जागे दिन-रात?
पगलिया गई ई जनता क्या?
मोदी का क्यों बढ़ता ग्राफ़?
नेताजी सब करते बड़-बड़ ,
कहीं तो कुछ है भारी गड़बड़।
बिन पानी के मेघ के जैसे,
करने लगे विपक्षी गड़ गड़।।
दलदल से बच,बदल रहे दल,
मची हुई है चहुं दिस भगदड़।।
चलो किसानों को बुलवाएं,
रेल और सड़कों को रोकें।
बेसिर पैर की मांगें रखकर,
मोदी का बढ़ता ग्राफ़ घटाएं।।
एक मुख्यमंत्री सभा में बोले,
महिलाओं तुम तनिक ना डरना।
मोदी-मोदी रटने वाले पति को,
कल रात्रि भोज से वंचित करना।।
करते ना ना मोदी ना ना मोदी ,
डरते डरते पति अपने घर आए।
पत्नी जी ने गांठ बांध ली थी,
गठबंधन की गांठ जांच ली थी।।
पति के घर पर आते ही पत्नी ने,
पति के डर की गिरह खोल दीं।।
बोली अपने घर में है रहना तो,
मोदी-मोदी का जप करना होगा।
रात्रि भोज यदि करना है तो,
दिन में मोदी-मोदी कहना होगा।।
- माया अग्रवाल वीणा