भाषा सहोदरी हिन्दी (न्यास) एवं भारतीय उच्चायोग दुबई (यूएई) के संयुक्त तत्वाधान में दसवाँ अंतरराष्ट्रीय हिन्दी अधिवेशन गत दिनों भारतीय उच्चायोग दुबई के सभागार में धूमधाम से मनाया गया। इसमें देश- विदेश के भारतीय प्रवासी एवं भारत के 26 राज्यों से 150 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। समारोह के मुख्य अतिथि दुबई के भारतीय काउंसलेट के काउंसल जनरल सतीश कुमार सिवन, उप-कांउसल जनरल सुश्री ताडू मामू, विशिष्ट अतिथि तथा गुडविल अंबेसडर लैला रेहान उपस्थित रहे। संस्था के संस्थापक जयकांत मिश्र एवं मुख्य प्रबंधक मीना चौधरी की देखरेख में संपन्न कार्यक्रम की सूत्रधार रही दुबई की साहित्यकार स्नेहा देव एवं भारत की शालिनी शुक्ल ।
कार्यक्रम का शुभारंभ भारत के राष्ट्रगान के साथ हुआ। दुबई निवासी दिव्यांग ज्योति कला द्वारा मधुर कंठ में प्रस्तुत सरस्वती वंदना एवं आमंत्रित सम्मानित अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन के पश्चात भरतनाट्यम नृत्य दुबई
स्थित नृत्य अकादमी की छात्राओं एवं शिक्षक द्वारा प्रस्तुत किया गया। भाषा सहोदरी पत्रिका का सम्मानित अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया। सभी प्रतिनिधियों को काउंसलेट जनरल ऑफ इंडिया प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। विविध साहित्यक गतिविधियों के अंतर्गत गीत - संध्या में श्रीराम विग्रह प्राण-प्रतिष्ठा दिवस पर राम स्वर केंद्र में रहा । हिन्दी भाषा के विकास, विभिन्न कालों के कवियों, युगीन साहित्यकारों पर प्रतिनिधियों द्वारा नाटिका का प्रभावशाली मंचन किया गया। इस कार्यक्रम में तेलंगाना से सात प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें हिन्दी महाविद्यालय समिति के संयुक्त मंत्री श्रीप्रदीप कुमार दत्त, हिन्दी महाविद्यालय की सेवानिवृत्त उप- प्राचार्या एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुरभि दत्त तिवारी, एअर इंडिया के पूर्व अकाउंट अधिकारी श्रीकेशव लाल डागा, हिन्दी सेवी श्रीमती मीना, फोनिक्स ग्रीन इंटरनेशनल स्कूल कोकापेट की अध्यापिका श्रीवाणी एवं गीतांजलि देवाश्री स्कूल तेलंगाना की सेवानिवृत्त अध्यापिका श्रीरेशमा शर्मा, श्लोक द हैदराबाद वाल्डोर्फ स्कूल की हिन्दी अध्यापिका श्रीअनुपमा शर्मा, सभी को सहोदरी सम्मान एवं डॉ सुरभि दत्त को विश्व हिन्दी सेवा सम्मान-पत्र प्रदान किया गया । स्मृति चिह्न भेंट किये गए।
अधिवेशन में हिन्दितर प्रदेशों के प्रतिनिधि प्रवक्ताओं की प्रांजल हिन्दी सुनने का अवसर मिला। दुबई के प्रवासी भारतीयों और मूल निवासियों में हिन्दी संपर्क भाषा के रूप में अपनी मिठास के साथ प्रचलित है। आज वैश्वीकरण और औद्योगिकरण ने हिन्दी को चप्पे-चप्पे पर पहुंचा दिया है।कार्यक्रम के अंत में डॉक्टर कुमकुम कपूर ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।