पाखंड भरे इतिहास को पढ़कर ईश्वर अल्लाह तेरो नाम का छद्म सेकुलरिज्म का मिक्सचर पी पी कर एकतरफा भाईचारे की अति सहिष्णुता! की घुट्टी चाट- चाट कर देश की बहुसंख्यक समाज की आबादी को वैचारिक दारिद्रय!और हीन भावना से संक्रमित कर शासकों ने पंगु बनाकर रख दिया था! लतियाए! गरियाए! जाने के बावजूद तथाकथित धुर सेक्युलर! और नितांत बहुसंख्यक विरोधी मानसिकता भरे! तथाकथित चाचा जी के आधुनिकतावादी दृष्टिकोण का खामियाजा भी भोगने को अभिशप्त होना पड़ा! आततायियों की दुष्टतापूर्ण और क्रूर काली करतूत का शिकार हुवे सोमनाथ द्वादश लिंग धाम के पुनर्निर्माण कार्य पूरा होने के पुनीत सुअवसर पर खुद तो जाने से परहेज किया ही बल्कि तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति जी को भी रोकने का दुर्भाग्यपूर्ण दुष्प्रयास! कर अपने सेकुलरिज्म के एकपक्षीय ढोंग का प्रदर्शन करने वाले हुक्मरान और कालांतर में छह दशक तक तथाकथित लोकतंत्र का आवरण ओढ़कर सत्तासीन होते रहे उनके ही सेक्युलर खानदानी वंशजों ने पीढ़ी दर पीढ़ी लोकतंत्र को तो मुंह चिढ़ाया ही साथ ही साथ संविधान संशोधन कर अपनी बहुसंख्यक विरोधी पूर्वाग्रह सोच को पक्का सेकुलरिज्म का मुलम्मा चढ़ाकर बहुसंख्यक समाज में वैचारिक मतभेद कर एक तबके को कट्टर बताकर दूसरे को प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष जमात का तमगा पहनाकर बहुसंख्यक समाज को अन्ततः मानसिक नपुंसकता की पराकाष्ठा तक पहुंचाने का शर्मनाक कुकृत्य करने से भी कोई परहेज नहीं किया! हद तो तब हो गई जब गौमाता के वध को रोकने की मांग करने वाले महान सन्त स्वनामधन्य करपात्री जी महराज के शान्तिपूर्ण प्रदर्शन को नृशंसता से कुचलने के लिए गोलीबारी करवाकर निरीह साधुओं की हत्याएं करवाकर सेकुलरिज्म का तमगा हासिल कर बेहयाई को भी मात कर दिया गया। आगे ऐसे ही सेकुलरिज्म के अलम्बरदारों के वंशजों ने पांच सदी से चल रहे भारत के पर्याय मर्यादापुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम जन्मभूमि मसले पर बहुसंख्यक समाज के सुप्रीम कोर्ट में चल रहे प्रकरण पर अपने हलफनामे में श्री राम जी को काल्पनिक बताने में भी गुरेज नहीं किया! यही हरकत श्री राम सेतु को तोड़कर पौराणिक साक्ष्य मिटाने के लिए भी कई गयी। मुस्लिम समुदाय के वोटबैंक की हवस ! के चलते आतंकवादियों की पैरवी करने का कुकर्म भी देश ने बखूबी देखा! हिन्दू आतंकवाद, भगवान आतंकवाद शब्दों को ईजाद किया गया। भारत की मूल आत्मा में रचने बसने वाले श्री राम जी की जन्म स्थली अयोध्या जी हो या भगवान श्रीकृष्ण जी का जन्म स्थान मथुरा-वृंदावन हो या फिर सृष्टि के पुरोधा महाकाल बाबा विश्वनाथ जी की मोक्षदायिनी काशी हो , तुष्टीकरण में मदान्ध होकर इन तीनो पावनतम पौराणिक महत्व के तीर्थ स्थलों का हल निकालने की पहल करना तो दूर इन तीनो शहरों को अवस्थापना के विकास के नैसर्गिक हक से भी बुरी तरह वंचित रखने का कुचक्र किया जाता रहा! बहुसंख्यक समाज का तबका बेचारगी भरे अंदाज में सरकारी धन से हज सब्सिडी की खैरात लुटाते अपने सेक्युलर हुक्मरानों को देखता रहा! सूबों में गवर्नर हाऊसों! सी एम निवासों ही नहीं वरन सेन्ट्रल में महामहिम निवास और पी एम निवास पर आम जनता की गाढ़ी कमाई से लिए टैक्स के पैसों के बूते रोजा इफ्तार! की दावतों में लजीज तर माल छकती तस्वीरों से भी साठ साल रूबरू होता आया है! उर्स में जाकर सजदा करना! देश भर की मजारों में सरकारी कार्यक्रम सुनिश्चित कर जा जा कर कीमती जरदोजी वाली चादरें चढ़ाकर सेकुलरिज्म की नींव को अनवरत पुख्ता करने का पुरजोर जतन भी बहुसंख्यक समाज का तबका टकटकी लगाए देखता रहा। जालीदार टोपी लगाकर फोटो खिंचाकर अपने को सेक्युलर घोषित करने का पाखंड और माथे पर तिलक लगवाने से परहेज! करना ही सेकुलरिज्म का ट्रेड मार्क बनकर सामने आता रहा। होली को पानी की बर्बादी! दीपावली को पटाखा प्रदूषण! महाशिवरात्रि पर दूध चढ़ाने पर कटाक्ष! बहुसंख्यक समाज यह सेक्युलर नौटंकी भी हुक्मरानों की पूरी शिद्दत से महसूस करता आया है। धुर धूर्ततापूर्ण और परम् मक्कारीपन वाली तथाकथित सेकुलरिज्म वाली राजनीतिक जमात के किसी अलम्बरदार की जुबान से तथाकथित विशिष्ट अल्पसंख्यक समुदाय के बड़े त्योहार पर लाखों- करोड़ों बेजुबान छोटे बड़े पशुओं की बलि! के दौरान उनके शरीर से बहने वाले रक्त व अवशेष से भूमि की सतह और पानी के स्रोत के प्रदूषित होने की संभावना ! पर कभी कोई शब्द फूटते देखा गया? कदापि नहीं। अब जब राष्ट्रीय परिदृश्य परिवर्तित होता परिलक्षित है और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और भारतीय संस्कृति, भारतीय दर्शन, धार्मिक आस्था को नैसर्गिक मान्यता मिलनी शुरू होती दीख रही है तो देश की वैचारिक दारिद्रय से तथाकथित संक्रमित वामपंथी जमात अपनी दुकान बंद होती देख देश के भीतर ही नहीं अपितु विदेशी मीडिया के भारत विरोधी एजेंटों को ढाल बनाकर विधवा प्रलाप करती दृष्टिगत है। अर्बन नक्सल बिरादरी, कथित सहिष्णुता गैंग!, पुरस्कार वापसी गिरोह! विदेशी पैसों पर पुष्पित पल्लवित भारतीय लुटियन्स जमात वाली पत्रकारों की टोली! छाती पीटती नजर आ रही है! जयचंदों के वंशधर! यह पचा नहीं पा रहे कि पांच सौ साल के दीर्घकालिक संघर्ष और लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद भारत की सर्वोच्च न्याय पालिका के आदेश के बाद आम बहुसंख्यक समाज के पैसों से निर्मित मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी के बाल स्वरूप विग्रह का शुभारंभ क्योंकर हो गया ? इन नौटंकीबाजों की थोथी एकपक्षीय धर्मनिरपेक्षता का अब भारत की बहुसंख्यक जनता के समक्ष पटाक्षेप हो चुका है।
आनन्द उपाध्याय
(सेवानिवृत्त अधिकारी, स्वतंत्र पत्रकार- टिप्पणीकार)
लखनऊ।