कोरोना के दोहे



वहां कभी न जाइये जहां जमें हो लोग
न जाने किस रूप में लगे कोरोना रोग

छोटा सा एक वायरस है कोरोना नाम
पर सबको समझा दिया कर्मों का परिणाम

बुखार लगे खांसी आवे, जब छींकने लगे हैं लोग
गले मे भी खराश आने लगे समझो हुआ कोरोना रोग

कहीं साइक्लोन, कहीं टिड्डियों का आतंक
कोरोना ने तो विश्व में मचा दिया हड़कम्प

दुकान बंद, काम बंद, बंद पड़े हैं लोग
सौ साल की दुश्मनी निकाले कोरोना रोग

कोरोना महामारी का है इतना अत्याचार
छूते ही ये रोग लगे दहल रहा संसार

अमीरों के दिन चल रहे मजदूर हैं लाचार
मध्यम कहीं का न रहा बेबस है सरकार

कोई दवा न बन पाई सोच में है सरकार
थाली बजवाई, दिया जलवाया सब उपाय बेकार

सोशल डिस्टेंस में रहकर करना है सब काम
ये भी न कर पाए तो समझो काम तमाम

जल की बहती धारा में रहो हमेशा साफ
साबुन, सेनेटाइजर रखो हमेशा साथ

एक्सरसाइज घर में करें और करे आप योग
इमयूनिटी पावर बढ़े भगे कोरोना रोग

बुजुर्ग, बच्चों को मत भेजो घर से तुम बाहर
कोरोना इन पर ही जल्दी करते हैं प्रहार

हाथ जोड़ लो दूर से नहीं है कोई पाप
जन जन को स्वीकार है, बच्चे, बूढ़े, बाप

डॉक्टर, पुलिस, स्वास्थ्यकर्मियों को मेरा सलाम
विपदा की इस घड़ी में कर रहे निरन्तर अपने काम

                                              ललिता यादव
                                            बिलासपुर छत्तीसगढ़