कोरोना काल'
इस 21वीं सदी में,
इस20-20के
साल को उकेरा
जायेगा काले
हर्फो में और
नाम दिया जायेगा
'कोरोना काल'।
इस अदृश्य
राक्षस ने,न जाने
उजाडे़ कितने
चमन, कितनों
का तो पता नहीं,
न जाने कितने
हुये दफ़न
काल समेटे जा
रहा है सभी
रिपोर्ट,लिख
रहा है इस
महामारी का
इतिहास।
पूरे विश्व में
इस बिमारी का
कहर है यहां तक
कि आदमी से
आदमी में घुल
रहा ज़हर है।
हवा भी मौत का
पैगाम लाती है
किसी का घर
उजड़ा तो किसी
के घर मौत की
आई पाती है।
चील-कौवों का
महाभोज जारी है ,
सबने सताया बहुत
अब हमारी बारी है।
गाँव-शहर सब
कैदखाने में
तब्दील है,
लोग कहते हैं
देश में बड़ी
मुश्किल है।
चारो ओर फैली
दुःख की लहर है
मौत तांडव करता
चारों प्रहर है।
प्रकृति आज
अपना बदला है
ले रही,जो मानव ने
दिया उसी को
वह दे रही।
अपराधी हैं मौन आज
तो ईश्वर हैं चुस्त
,मानव की गलती का
दंड दे रहे दुरुस्त।
मृदुला मिश्रा
मुम्बई।