इन्हें भी चाहिए थोड़ा दाना, पानी और प्यार




अपने पालतू जानवरों के प्रति हम बेहद संवेदनशील होते हैं। उन्हें खिलाने, पिलाने, घुमाने और उनकी सुरक्षा के प्रति पशुओं को लेकर न जाने हमारी संवेदनशीलता कहां चली जाती है। हम पूर्ण सजग सचेत होते हैं। लेकिन गली में घूमने वाले क्या कभी आपके साथ भी ऐसा हुआ है ?

हमारी आंखों के सामने गली में इधर-उधर घूमने वाली गाय कचरे से एक के बाद एक पॉलीथीन की थैलियों में बंधे सब्जियों के छिलकों और कूड़े को थैली समेत मुंह में चबाकर खाती रहती है और हम उसे देखते रहते हैं और कुछ नहीं कर पाते।

■ वाहन चलाने के दौरान हमारे वाहन के नीचे कोई जानवर कुचला जाता है और हम बिना इस ओर ध्यान दिए अपना वाहन दौड़ा देते हैं कि हम किसी पचड़े में न पड़ जाएं।

हमारी आंखों के सामने कोई व्यक्ति अपने गधे या पालतू जानवर को डंडों से जमकर पीटता है और हम सिर्फ उसे पीटते हुए देखते रह जाते हैं।

■ बच्चे अकसर एक दूसरे के उकसाने पर किसी पायल पशु, पक्षी या कुत्ते को चोट पहुंचाते हैं और हम उन्हें ऐसा करते देखकर चुपचाप आगे चले जाते हैं।

■ गली में कुत्तों या अन्य जानवरों को रति क्रिया में रत देखकर उनको लोगों द्वारा डंडों से बेतहाशा पीटे जाने को हम मूक दर्शक बनकर देखते हैं और हम इसके लिए कुछ नहीं करते।

हमारे आसपास की दुनिया का एक बड़ा हिस्सा पशु पक्षियों का भी होता है। जहां कहीं हम रहते है उसके इर्द-गिर्द हमें कोई न कोई गाय, कुत्ता और पशु, पक्षी दिखायी देते हैं। इन जानवरों का जीवन खतरे में पड़ गया है। क्योंकि लोग अकसर घरों में से बचा खाना तो फेंकते हैं लेकिन बहुमंजिला इमारतों में यह सारा बच्चा खाना कूड़े में ही डाल दिया जाता है जिसके कारण गलियों में घूमने वाले पशु कुत्ते और पक्षी भूख और प्यास के मारे व्याकुल रहते हैं। महानगरीय संस्कृति में इन जानवरों के लिए अपना खाना जुटाना बेहद मुश्किल हो गया है। ऐसे में जानवरों के लिए उनके भोजन की व्यवस्था करने विषय में सोचना चाहिए। हम गली के हर जानवर या कुत्ते या पशु पक्षी की तो पालतू नहीं बना सकते, हां, इतना कर सकते हैं कि- ■ अपने घर से बच्चा खाना अपने घर के कूड़ेदान में डालने के बजाय, रोटी, ब्रेड को भूखे जानवरों को खिला दें। अगर बहुमंजिला घर में रहते हैं तो दिन में एक बार उतरकर सारा बच्चा खाना किसी चीज में भरकर गली में किसी कुत्ते या पशु पक्षी को खिलाएं।

■ अपने घर की छत पर या अगर आप प्रथम तल पर रहते हैं तो घर के आगे एक छोटी सी सीमेंट की टंकी बनवाकर उसमें गली में घूमने वाले आवारा जानवरों के लिए पानी भरकर रख सकते हैं। छत पर कबूतरों और अन्य पक्षियों के लिए बाजरा या गेहूं किसी पात्र में भरकर रखें व एक पात्र में पीने के लिए पानी भी भरकर रखें।

■ घर की रसोई से सब्जियों के हरे छिलके मटर, पत्ता गोभी, फूल गोभी के पत्ते, डंठल को एक थैली में भरकर गली के किसी कोने में डाल सकते हैं जिससे गायों को उनका भोजन मिल सके। याद रखें थैली फाड़कर जमीन पर छिलकों को डालें।

■चिड़िया घर में भी हम लोगों को जानवरों के साथ बदसलूकी करते देखते हैं। उनके साथ अनावश्यक छेड़छाड़ करना, छोटे जानवरों की पूंछ पकड़कर खींचना उन्हें इधर उधर से नोचना जैसी हरकतें बड़े लोग भी करते हैं। यदि आप किसी को ऐसा करते देखते हैं तो इस पर अपना विरोध जताएं।



■ सड़क पर ड्राइविंग के दौरान स्कूटर, मोटर साइकिल या कार से यदि कोई जानवर जख्मी हो जाए तो उसे यूं ही छोड़ कर न जाएं बल्कि प्राथमिक सहायता के लिए किसी वैट से सम्पर्क करें।

■बेजुबान जानवरों को न तो खुद मारें। यदि आप किसी को ऐसा करते हुए देखते हैं तो देखकर अनदेखा न करें बल्कि इस पर अपना विरोध जताएं। यदि बात बिगड़ती देखें तो किसी जानवरों के लिए काम करने वाली एन. जी. ओ से इस विषय में संपर्क करें।

■किसी आवारा कुर्ते द्वारा पीछा करने पर उससे पीछा छुड़ाने के लिए ऐसा तरीका अपनाएं कि उस पर हिंसा न करनी पड़े। यदि हम बच्चे के सामने किसी जानवर को मारते हैं तो इसका बुरा असर बच्चों पर भी पड़ता है। वे भी उन्हें भगाने के लिए वही रास्ता अपनाते हैं जो हम उन्हें दिखाते हैं। इसलिए अपने बच्चों को गली कूचे के आवारा पशुओं के साथ प्रेम से पेश आने की सीख दें।

■ इस बात को कभी न भूलें कि कुत्ते एकाएक हमारे पीछे नहीं पड़ते वे हम पर तभी भौंकते हैं जब हमारी किसी गतिविधि से उन्हें परेशानी होती है या वे हमसे नाराज होते हैं या वे भूखे होते हैं। उन्हें उस समय यदि हम कुछ खाने के लिए दे देते हैं तो वे प्यार से हमारे पीछे पूंछ हिलाते हुए चलते रहते हैं।

■कहते हैं कुत्ते बेहद वफादार होते हैं। यदि आप उन्हें दो तीन दिन तक लगातार कुछ खाने के लिए देते हैं तो वे रोज आपके दरवाजे पर आकर आपसे खाना देने की अपेक्षा करते हैं। लेकिन हां, खाना खाने के बाद वे आपके दरवाजे पर चुपचाप बैठे रहते हैं। फिर तो कोई बिना उनकी आज्ञा आपके घर के भीतर घुस ही नहीं सकता। सोचिए जब ये बेजुबान अपने खाए नमक की अदायगी करते हैं तो क्या भला हमारा यह कर्तव्य नहीं बनता कि हम इन्हें थोड़ा सा दाना, पानी, रोटी और जरा सा प्यार दें। ताकि प्रकृति ने उन्हें जो जीवन दिया है वे इस जीवन को हमारी मदद से, हमारी करूणा, ममता और प्यार से अच्छे ढंग से जी सकें।