मैं कैसे तुमको समझाऊं याद बहुत तुम आते हो...


दुर्गावती काव्यांजलि में कवियों ने सुनाईं रचनाएं






पीडीडीयू नगर। साहित्यिक संस्था दुर्गावती काव्यांजलि और संस्कार भारती के बैनर तले महर्षि वाल्मीकि जयंती के मौके पर नगर के पराहुपुर में अरुण आर्य के आवास पर रविवार की शाम आयोजित काव्य गोष्ठी में कवियों ने अपनी रचनाओं से लोगों को खूब गुदगुदाया। आकाश हरेराम ने सुनाया कि मैं कैसे तुमको समझाऊं कि याद बहुत तुम आते हो। इसके पूर्व महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर पुष्प अर्पित कर काव्य गोष्ठी की शुरूआत की। इसके पूर्व हुई गोष्ठी में वक्ताओं ने वाल्मीकि के साहित्यिक आयामों पर विस्तार से प्रकाश डाला। पूर्व वरिष्ठ राजा भाषा अधिकारी दिनेश चंद्रा ने कहा की आदि कवि महर्षि वाल्मीकि विश्व के सबसे बड़े महाकव्य में जिस प्रकार समाज के साब वर्गों के चरित्रों का वर्णन रामायण में करके यह संदेश दिया कि समाज ऐसे ही आगे बढ़ता है। राम केवल एक मानव ही नहीं बल्कि महामानव के रूप में हमारे सामने उपस्थित हुए है तो यह वाल्मीकि जी की साहित्यिक कौशल का ही परिणाम है। सुधीर पांडेय नेकहा कि संस्कार भारती ने महाकवि वाल्मीकि को याद करके राम के चरित्र को सभी तक पहुंचना चाहती काव्य गोष्ठी में रौशन मुगलसरायवी ने सुनाया कि कल के ख्वाब न देखो यारों आज के बारे में सोचो, प्याज बीके है साठ और सत्तर अच्छे दिन कब आएंगे तो पीएम सिंह ने सुनाया कि कविता सिसक रही है आज अतीत अपनी करके याद। सुरेश अकेला ने सुनाया कि करके वादा जो तुम यूं मुकर जाओगे, सबकी नजरों से एकदम उतर जाओगे। अभिषेक पाठक ने सुनाया कि लेकर सूर्य का प्रताप पत्थर पिघलाने आया हूं। लवकुश मिश्र ने सुनाया कि धूप शीत की चुभन न रोक पाते मनोबल को । गोष्ठी में सफायत अली, प्रिंस कुमार, रोहित पांडेय, जयराम मौर्या ने भी अपनी रचनाएं सुनाई। इस अवसर पर हरिद्वार यादव, इंद्रबहादुर सिंह, रवि जायसवाल, सुधीर पांडेय, संजय राय, दीना सिंह, भरत आदि उपस्थित रहे। अध्यक्षता सतीश जिंदल ने जबकि संचालन समीर भृगुवंशी ने किया।




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