निःशुल्क न्याय पाने के अधिकार को जानना विधिक सेवा दिवस का उद्देश्य : डॉ अनु पांडेय तिवारी




भारतीय न्याय व्यवस्था स्वाभिमान और आत्मविश्वास का प्रतीक : डॉ लीना मिश्र


बालिका विद्यालय में राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस का आयोजन 


भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को व्‍यक्तिगत स्‍वतंत्रता एवं जीवन की सुरक्षा का आश्वासन दिया गया है। संविधान में सभी को मौलिक अधिकार प्रदान किये गए हैं ताकि नागरिकों का हित किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं हो। यहां अनेक प्रकार के कानून, नियमों एवं अधिनियमों, विधिक संस्थानों, आयोगों एवं अधिकरणों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई है। पर इसे व्यवहार में उतारने के लिए वैसे तो हर दिन महत्त्वपूर्ण है, पर एक विशेष दिवस भी निर्धारित किया गया है कि  कम से कम इस दिन भारतीय आम नागरिकों को अपने मौलिक अधिकारों और न्याय प्राप्त करने के सहज, सुलभ रास्तों के प्रति जागरूक किया जाए। बताते चलें कि 9 नवंबर, 1995 को विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम लागू हुआ था। तब से इस दिन को विधिक सेवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। विधिक सेवा प्राधिकरण का उद्देश्य सबके लिए न्याय है। गरीब एवं कमजोर वर्ग को नि:शुल्क विधिक सहायता, सस्ता एवं सुलभ न्याय प्रदान किए जाने का प्राविधान है। पर इस विषय में व्यावहारिक जानकारी प्रदान किया जाना भी उतना ही आवश्यक है जितना कि न्याय प्रक्रिया के माध्यम से सबको न्याय दिलवाते हुए उनका जीवन निष्कंटक और सरल बनाना। इसी दृष्टि से प्रदेश सरकार के निर्देशों की अनुपालना में छात्राओं को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस के अवसर पर संवाद कार्यक्रम के माध्यम से भारतीय संविधान और न्याय व्यवस्था पर विस्तृत जानकारी देने हेतु एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें छात्राओं द्वारा आकर्षक एवं जानकारी परक स्लोगन के साथ रैली भी निकाली गई।कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एवं वक्ता डीएवी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, लखनऊ की विधि संकाय की सहायक आचार्य डॉ अनु पांडेय तिवारी थीं। इस कार्यक्रम का आयोजन वरिष्ठ


शिक्षिका अनीता श्रीवास्तव और माधवी सिंह के निर्देशन में हुआ। सर्वप्रथम मुख्य अतिथि द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा को माल्यार्पण किया गया। तत्पश्चात विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ लीना मिश्र द्वारा विद्यालय परिवार की ओर से मुख्य अतिथि डॉ अन्नू पांडेय को स्मृति चिन्ह भेंट कर  विद्यालय में उनका स्वागत किया गया। डॉ लीना मिश्र ने छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस को मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को नि:शुल्क दी जाने वाली कानूनी सेवाओं के बारे में अवगत कराना है। इस दिन यह प्रयास किया जाता है कि मुफ्त सेवाओं के साथ ही उन्हें अपने अधिकारों के बारे में भी जागरूक किया जाए।

इस दिन का आयोजन सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को न्यायायिक सहायता और समर्थन देने के लिए किया जाता है।  अनीता श्रीवास्तव और माधवी सिंह के द्वारा भी इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए गए। फिर डॉ अनु पांडेय तिवारी ने छात्राओं को  इस दिवस की महत्ता एवं इसके उद्देश्य के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। डॉ अनु ने समस्त विद्यालय परिवार को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए छात्राओं के

साथ इस संवाद कार्यक्रम को प्रारंभ किया। उन्होंने सत्य घटनाओं एवं उदाहरणों के माध्यम से छात्राओं को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस के विषय में विस्तार से जानकारी दी। अंत में छात्राओं से कुछ प्रश्न पूछे गए और उनका उत्तर देने पर उनको पुरस्कार स्वरूप कलम दिए गए, जिसमें प्रीति, महिमा, ईशा शर्मा, इला सिद्दीकी आदि छात्राएं थी। इसी विषय पर कक्षा 10 की छात्राओं मुस्कान कनौजिया, ईशा शर्मा, आयुषी द्वारा पोस्टर बनाए गए ।इस कार्यक्रम में विद्यालय की शिक्षिकाएं उमा रानी यादव, सीमा आलोक वार्ष्णेय ,पूनम यादव, उत्तरा सिंह, ऋचा अवस्थी, रागिनी यादव, मंजुला यादव, प्रतिभा रानी और रितु सिंह उपस्थित थीं।