सांस्कृतिक कर्मियों को प्रोत्साहित करना सराहनीय है - हरिकृष्णा
कर्नाटक साहित्य मंदिर, काछीगुड़ा, हैदराबाद में संस्था के तत्वावधान में विभिन्न कार्यक्रमों एक बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन कर्नाटक साहित्य मंदिर के अध्यक्ष श्री विट्ठल जोशी के सान्निध्य में हर्षोल्लास वातावण में संपन्न हुआ। संस्था के सचिव नरसिम्हा मूर्ति ने उपस्थित सभी महानुभावों का स्वागत किया और कर्नाटक साहित्य मंदिर की बहुआयामी गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह संस्था ने 1936 में अपना पहला सम्मेलन आयोजित किया था और संस्था 88 वर्षों से निरंतर साहित्य और संस्कृति की उन्नति और विकास में अपनी महत्वपूर्ण सेवाएँ प्रदान करती आ रही है। इसमें नगरद्वय के कन्नड़, तेलुगु, मराठी, पंजाबी, मलयाली, उर्दू और हिंदी भाषा-भाषी लोग सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं और कार्यक्रम को सफल एवं गौरवान्वित कर रहे हैं। इन कार्यक्रमों में राष्ट्रीय एकता और सद्भभावनाआें के कार्यक्रमों के साथ-साथ संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटक, स्कूली बच्चों के कार्यक्रमों को विशेष महत्व दिया जाता है। कार्यक्रमों में समाज-सेवियों और विशिष्ट व्यक्तियों को मुख्य अतिथि और विशेष अतिथियों के रूप में आमंत्रित किया जाता है।
कवयित्री श्रीमती विजय लक्ष्मी बस्वा ने कवि सम्मेलन का संचालन किया। गीत चाँदनी के कार्यदर्शी व कवि गोविंद अक्षय ने कवि सम्मेलन में कवियों का आमंत्रित करने में अपना योगदान दिया। बहुभाषी कवि सम्मेलन कर्नाटक साहित्य मंदिर के वरिष्ठ कवि श्री जी. किशन राव विशिष्ट अतिथि थे। उन्होंने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि आज के कवि सम्मेलन में कवियों और कवयित्रियों ने अपनी सुंदर कविताआें से श्रोताआें को मंत्रमुग्ध किया और वातावरण का काव्यमय बना दिया।
इस अवसर पर भाषा और संस्कति विभाग तेलंगाना के निदेशक व साहित्यकार मामिड़ी हरिकृष्णा मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि कर्नाटक साहित्य मंदिर संस्था के पदाधिकारी अपनी गतिविधियों से सांसकृतिक कर्मियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। एक बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन करना हैदराबाद की संस्कृति और साहित्य के उत्थान में योगदान देना सराहनीय है।
अध्यक्षीय टिप्पणी में श्री विट्ठल जोशी ने कहा कि समाज में कवि ही अपनी सशक्त रचनाआें से परिवर्तन लाता है। कवि सम्मेलन में कवियों ने विभिन्न विषयों पर कवियों ने कविताएँ सुनायीं जो सराहनीय हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कविगण भविष्य में भी बहुभाषा कवि सम्मेलन में अपनी कविताएँ इसी तरह सुनाते रहेंगे। कर्नाटक साहित्य मंदिर की गतिविधियों को आगे ले जाने में कविगण अपना पूरा सहयोग दे रहे हैं और संस्था के उ ेश्यों को सफल कर रहे हैंं।
कवि सम्मेलन में देश की रक्षा, शृंगार, विरह, आतंकवाद, देश की समसामयिक समस्याआें और हास्य-व्यंग्य की कविताआें का पाठ किया गया। बहुभाषाी कवि सम्मेलन में कविता पाठ करने वाले कवियों में गोविंद अक्षय, प्रह्लाद जोशी, शोभा देशपांडेय, अनिल कुमार गुप्ता, आर. दुर्गाराज पटून, विजय लक्ष्मी बस्वा, डी. बी. राघवेंद्र राव, पुरुषोत्तम कड़ेल, रत्नकला मिश्र, सविता सोनी, डॉ. प्रेमलता श्रीवास्तव, चंपालाल बैद, गुरुराज कुलकर्णी, डॉ. नागेश्वर राव, दीपक चिंडालिया वाल्मीकि, संतोष कुमार मिश्र माधुर्य, सत्यनारायण काकड़ा, शिव कुमार तिवारी कोहीरी, उषा राघवेंद्र राव, शिल्पी भटनागर, मोहिनी गुप्ता आदि के नाम सम्मिलित हैं। सभी कवियों और अतिथियों को आकर्षक स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया।
संस्था के सक्रिय सदस्य सुरेंद्र कुलकर्णी ने व्यवस्था में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हुए कार्यक्रम की सुंदर व्यवस्था में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। अंत में सभी के प्रति नरसिम्हा मूर्ति ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में दोपहर भोजन की व्यवस्था भी की गयी थी।
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