अविरल सेवा संस्थान द्वारा आयोजित काव्य गोष्ठी/ सम्मान समारोह
लखनऊ, पावन पर्व नवरात्रि के अवसर पर अविरल सेवा संस्थान द्वारा आयोजित काव्य गोष्ठी/ सम्मान समारोह में देश के जाने-माने साहित्यकार, सेवानिवृत्त अनुसचिव, उत्तर प्रदेश शासन एवं राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान की लब्धप्रतिष्ठ पत्रिका 'अपरिहार्य ' के पूर्व संपादक श्री अनन्त प्रकाश तिवारी जी एवं चारू काव्यांगन साहित्यिक संस्था की अध्यक्ष, नामचीन कवयित्री प्रिय डॉ रेनू द्विवेदी जी को सम्मानित करके गौरव की अनुभूति हुई। इस शानदार कार्यक्रम के अध्यक्ष आदरणीय रवि मोहन अवस्थी जी, मुख्य अतिथि श्री अनंत प्रकाश तिवारी जी ,अति विशिष्ट अतिथि हरि मोहन बाजपेई 'माधव' जी , विशिष्ट अतिथि डॉ रेनू द्विवेदी जी रहे । अपने सुमधुर स्वर में मॉं वाणी का आह्वान सुश्री प्रतिभा गुप्ता जी ने किया तथा कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन संस्थान के महासचिव चन्द्र देव दीक्षित 'चन्द्र' द्वारा किया गया।
अविरल सेवा संस्थान की संस्थापक अध्यक्ष डॉ शोभा दीक्षित 'भावना' , डॉ सुधा मिश्राजी ,प्रतिभा गुप्ता जी, मंजुल मंज़र जी , राजीव वर्मा 'वत्सल'जी, डॉ अमित अवस्थी जी ,विनोद कुमार द्विवेदी जी ,मुकेश कुमार मिश्र जी, डॉ अवधि हरि जी , रेनू वर्मा 'रेणु' जी ,अमरेंद्र द्विवेदी जी, श्रवण कुमार जी, चन्द्र देव दीक्षित 'चन्द्र' आदि ने अपनी शानदार प्रस्तुतियॉं देकर कार्यक्रम को ऊॅंचाइयॉ दी। काव्य समारोह की कुछ शानदार पंक्तियां एवं चित्र प्रस्तुत हैं-
दिल के बदले मुझे दूजा कोई इनाम न दे,
मेरी सुबहों में समा जा तू भले शाम न दे,
तेरी खुशबू उठे तो आंख खुले दिन महके-
मुझे तो प्यार के दो पल दे यह जहान न दे।
डॉ अमित अवस्थी
अधर मौन है लेकिन भीतर भीषण नाद भरा।
मेरे अंतर्मन में जैसे है अवसाद भरा ।।
प्रतिभा गुप्ता
कहां मंदिर में ढूंढे तू, प्रभु! मन में बसा के देख,
प्रभु तेरे पास ही होंगे ,किसी को बस हॅंंसा के देख।
डॉ सुधा मिश्रा
चॉंद हंसता रहा रात भर चॉंदनी मुस्कुराती रही रात भर, रातरानी महकती रही, गुनगुनाती रही रात भर।
रेनू वर्मा 'रेणु'
नज़र में ज़माने की लाया गया हूं,
मैं सिक्का था खोटा चलाया गया हूं ।
श्रवण कुमार
अपने दिल को सदा तुम सुनाया करो,
रोज ख्वाबों में भी मेरे आया करो ।
अमरेंद्र द्विवेदी
धीमे स्वर को भी अगर सुन लेता संसार,
शायद माइक का नहीं होता आविष्कार ।
मुकेश कुमार मिश्र
रामचरितमानस में रच कर राम कथा,
तुलसी ने पहुॅंचाई घर-घर राम कथा ।
डॉ अवधि हरि
ज्यूॅं गया वह बात चुभती सी सुनाकर,
ऑंख का जल ले गया काजल बहा कर ।
राजीव वर्मा 'वत्सल'
तेरे इल्ज़ाम सर माथे पे मेरे,
तेरे एहसान मुझ पर कम नहीं है।
मंजुल मंजर
यह सूरज जब कल निकलेगा,
कुछ प्रश्नों का हल निकलेगा,
आज कठिन लगता है जीना-
रस्ता कोई सरल निकलेगा।
अनंत प्रकाश तिवारी
ज़िंदगी है नशा , ज़िंदगी प्यार है ,
ज़िंदगी जूस्तजू, इक इंतजार है।
चन्द्र देव दीक्षित 'चन्द्र'
अपने मन को न अनमना करना,
ख़्वाब आए तो न मना करना ,
रोशनी के लिए जरूरी है-
हर अंधेरे का सामना करना।।
डॉ शोभा दीक्षित 'भावना'
कॉंटों से तो दर्द नहीं अब होता है ,
फूलों से महसूस चुभन क्यों होती है ।
रवि मोहन अवस्थी
अंत में संस्था के महासचिव चंद्रदेव दीक्षित ने सभी कवि/कवयित्रियों के अनन्य सहयोग, भाव एवं स्नेह के लिए हृदय की अनंत गहराइयों हार्दिक आभार , बधाई एवं अनंत शुभकामनाएं दी ।