जो शस्त्र डाल कर शरणागत हो उसका सम्मान नहीं होता,
लखनऊ, 28 सितम्बर। “दैनिक जीवन में मानव के हिंसा का स्थान नहीं होता, जो शस्त्र डाल कर शरणागत हो उसका सम्मान नहीं होता”। यह कहना है संस्कार भारती अवध प्रांत के उपाध्यक्ष विजय त्रिपाठी का। संस्कार भारती जानकीपुरम की ओर से निराला नगर स्थित विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा शोध संस्थान परिसर में आयोजित कवि सम्मेलन में प्रो.कमला श्रीवास्तव के संरक्षण और कमलेश मौर्य 'मृदु' की अध्यक्षता में मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ.विद्या बिन्दु सिंह और अति विशिष्ट अतिथि डॉ.पूर्णिमा पाण्डेय, विशिष्ट अतिथि पद्मकान्त शर्मा 'प्रभात' और अशोक कुमार पाण्डेय 'अशोक' सहित आमंत्रित कवियों का सम्मान किया गया। ज्योति कलश संस्कृति संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पं.नरायण चतुर्वेदी स्मृति कवि सम्मेलन में संस्थान की अध्यक्षा डॉ.उषा सिंहा ने उनके कृतित्व पर प्रकाश डाला। इस क्रम में पं.नरायण चतुर्वेदी सृजित कविता घनश्याम देखे का पाठ करते हुए अरविन्द चतुर्वेदी ने सुनाया कि “है नित्य आनन्द विराजता जहां, मैंने वही श्रीघनश्याम देखे”। कमलेश मौर्य "मृदु" की नारी वंदन बिल पर आधारित कविता के बाद अर्चना गुप्ता ने कहा कि "मैं तेरे दिल की धड़कन, तू मेरी परछाईं, यादों के झारोखों में किरन सी तू लहराई"। देवकी नन्दन 'शांन्त’, ने इस अवसर पर अधूरी कविता का पाठ करते हुए सुनाया कि “भीतर से आग का दरिया हूँ, बतलाता हूँ, है यही वजह जो मैं उदास हो जाता हूँ”। संस्कार भारती जानकीपुरम की कोषाध्यक्ष कनक वर्मा ने सुनाया कि “मन में खुशी के फूल खिलाती है बेटियां, दो-दो घरों को स्वर्ग बनाती है बेटियां। डॉ.लक्ष्मी रस्तोगी, ने सुनाया कि "ये किस मिट्टी से बनती हैं, हंसती हैं रोती हैं टूटती हैं मन ही मन खुद को तौलती हैं, फिर मुट्ठीया बाँध गुस्से से, तान कर गर्दन उठ खड़ी होती हैं”। श्यामल मजूमदार ने कहा कि “नव सृजन के गीत जन-जन को सुनाने आ गया, देश का अभिमान सोया फिर जगाने आ गया”। अनामिका ज्योत्सना ने कहा कि “न उगता प्यार का पौधा कई बंजर भी देखें हैं, मोहब्ब्त में यहां मैंने कई मंजर भी देखे हैं”। उदयभान पाण्डेय 'भान' ने सुनाया कि जब पवन चले, मन थिर न रहे, मन पवन-संग उड़ जाता है, नभ में जाकर बादल से मिल, मन बादल सा हो जाता है। अमरनाथ ललित ने इस अवसर पर पढ़ा कि “रवानी छोड़ दे पानी तो वो दरिया नहीं होता, कभी उल्फ़त का मारा दर्द की दौलत नहीं खोता”I