लीजे समझ से काम
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माना कामगार महिला हूं मैं,
रखूं स्वास्थ्य का खुद ध्यान।
समय निकाल खुद ही बनाती-
हूं, स्वयं घर पर पकवान।।
मुझे न भाएं चीजें बाजारु,
उनसे है स्वास्थ्य बिगड़ता।
मन, मस्तिष्क और देह पर,
गहन दुष्प्रभाव निश्चित पड़ता।।
समय-तालिका मुझे चेताती,
समय पर काम निपटा लेती हूं।
खुद बना परिवार को खिलाऊं,
मैं दो पैसे भी बचा लेती हूं।।
देख रहे हो सिल-बट्टे पर ,
चटनी पीस व्यायाम करुं।
स्वस्थ रहे सदा तन-मन मेरा,
थक जाऊं तब आराम करुं।।
हां, नौकरी पर भी जाती हूं,
अपना चित्त सदा शांत रखूं।
धैर्य धर सब काम निपटाती,
कर्तव्य निर्वाह कर मजे चखूं।।
मुझे मेरा परिवार महत्त्वपूर्ण,
अनर्गल वार्तालाप नहीं करती।
बच्चे भी मुझसे सीख रहे हैं ,
मर्यादाओं में मैं हूं पलती ।।
-अक्षय राज शर्मा