श्रावण सरस कवि गोष्ठी का आयोजन
लखनऊ ,पवित्र श्रावण मास के पुनीत अवसर पर श्रावण सरस कवि गोष्ठी का आयोजन ओसीआर,विधानसभा मार्ग पर वरिष्ठ कवि सम्पत्ति कुमार मिश्र भ्रमर बैसवारी के संयोजन में सम्पन्न हुई । गोष्ठी की अध्यक्षता गीतकारश्री सच्चिदानन्द तिवारी “शलभ“, मुख्य अतिथि द्वय डा.सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी “पथिक“, श्री महेश प्रकाश अष्ठाना “प्रकाश बरेलवी“, मां वाणी की वंदना सुश्री शीला वर्मा “मीरा“ एवं गोष्ठी का संचालन श्री सम्पत्ति कुमार मिश्र “भ्रमर बैसवारी“ ने तथा स्वागत- वरिष्ठ पत्रकार श्री सुरेन्द्र अग्निहोत्री ने किया। इस अवसर पर रिमझिम-रिमझिम बरसात के बीच सस्वर काव्यपाठ ने मेघों सा आनंद रस से विभोर किया।
सर्वश्री सच्चिदानन्द तिवारी “शलभ“ का वर्षागीत- वर्षा बरसाये पानी वायु करे अगवानी आई ऋतु ये सुहानी, लहलहानी है किसानी..
डा.सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी “पथिक“ की रचना- ये मोती हैं करुणा जल के, पथ मानवता से नाता है। अपने पर यदि यह आ जायें,तो सृष्टि भिगोता आता है।
श्री महेश प्रकाश अष्ठाना “प्रकाश बरेलवी“ का दोहा. देख खजाना लुट गया, मैं तो हुआ गरीब।जब से देखा है नहीं, माका- पिता करीब।
संचालन कर रहे श्री सम्पत्ति कुमार मिश्र “भ्रमर बैसवारी“ की व्यंग्य अवधी गीतिका इस प्रकार रही.ठौरु-ठौरु पुजि रहे काग, आगे का होई। फूचि हंसन क गयो भाग, आहे का होई.
सुश्री अनीता सिनहा की बाल कवितायें इस प्रकार..हाथ में ले के एक तिरंगा, पिन्टू मां से बोला- आज सिला दो मां मुझको एक केसरिया चोला.
सुश्री उमामनि “उमा लखनवी“ ने इस प्रकार अपनी बात कही. अपनों से टकराया क्यों? टकराकर पछताया क्यों? हर अपना अपना होगा, मन को ये समझाया क्यों?
सुश्री शीला वर्मा “मीरा“ ने सुन्दर कजरी सुनाकर वाह वाही लूटी.. हरे रामा छाई घटा कारी-कारी, कहां हो बनवारी रे हारी..सुश्री अंजु अग्निहोत्री ने सुन्दर भजन सुनाया।
श्री संतोष कुमार तिवारी “संतोष हिन्दवी“ ने वर्षा पर कई छंद सुनाये. गुरु पर छंद इस प्रकार.. गुरुवर की काया, ज्ञान निभाया, बिनवहुं बारंबार..
श्री मुकेश श्रीवास्तव का व्यंग्य रचना करनी ही है तो कुछ सोचो भालो...
एडवोकेट श्री विजय कुमार श्रीवास्तव ने प्रेम की सुन्दर महिमा बताई.. प्रेम हिंसा को अहिंसा में बदल देता है। प्रेम पत्थर को भगवान बना देता है..
श्री सुरेन्द्र अग्निहोत्री ने सुन्दर नवगीत सावधान यह चंचल मन...! सुनाकर सबका मन मोह लिया।