सुनने की क्षमता में कमी पर, देनी होगी दिव्यांगता पेंशन , मुश्किल हालात में भी जाबांज ने नहीं मानी हार और जीती दिव्यांगता की जंग
लखनऊ, देवरिया निवासी मेकेनिकल ट्रेड के भूतपूर्व सैनिक ए०सी०पी०-दो महेश कुमार को सशत्र-बल अधिकरण लखनऊ ने कान की बीमारी के मामले में पचहत्तर प्रतिशत दिव्यांगता देने का फैसला सुनाया l मामला यह था कि सिपाही सन 1996 में सेना की मेकेनिकल ट्रेड में भर्ती होकर सत्रह साल की नौकरी के बाद डिस्चार्ज हुआ और उस समय मेडिकल बोर्ड ने बताया कि उसके दाहिने कान से सुनने की क्षमता में पचास प्रतिशत की कमी आ गई है लेकिन, इसके लिए याची स्वयं जिम्मेदार है जिसके विरुद्ध की गई अपीलें 2013, 2014 और 2022 में रक्षा-मंत्रालय भारत सरकार द्वारा ख़ारिज कर दी गयीं और, कहा गया कि याची इसके लिए हक़दार नहीं है क्योंकि, बीमारी का सेना से कोई लेना-देना नहीं है लेकिन, याची के जज्बे ने हार नहीं मानी और एक वीर योद्धा की तरह संघर्ष को जारी रखने का फैसला करते हुए अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम से वाद दायर किया l न्यायमूर्ति उमेश चंद्र श्रीवास्तव एवं मेजर जनरल संजय सिंह की खण्डपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि “सेंसरी न्यूरल हियरिंग लास” भर्ती के समय होने वाले मेडिकल में ही पता चल जाता लेकिन, सत्रह साल तक इसका पता नहीं चला जबकि, सेना हर वर्ष मेडिकल कराती है कभी भी इस बीमारी का जिक्र नहीं किया गया और, इतने लंबे समय के बाद यह कहकर फ़रियाद ख़ारिज कर देना कि याची इसके लिए जिम्मेदार है पूरी तरह गलत है इसलिए, रक्षा-मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी किये गए सभी आदेशों को निरस्त करते हुए निर्देशित किया कि याची को चार महीने के अंदर पचहत्तर प्रतिशत दिव्यांगता पेंशन दी जाए इसमें होने वाले विलंब पर याची आठ प्रतिशत का ब्याज भी प्राप्त करने का हक़दार होगा