‘उ0प्र0 राज्य सरकार की हवाई पट्टियों के उपयोग हेतु नीति, 2023’ स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सरकार के स्वामित्व की हवाई पट्टियों एवं वहां पर अन्य परिसम्पत्तियों को निजी संस्थाओं द्वारा उड्डयन क्षेत्र में प्रशिक्षण व अन्य गतिविधियां संचालित करने के लिए अनुमति दिए जाने के सम्बन्ध में प्रख्यापित नीति दिनांक 18 अगस्त, 2021 को अवक्रमित करते हुए ‘उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की हवाई पट्टियों के उपयोग हेतु नीति, 2023’ को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ‘उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की हवाई पट्टियों के उपयोग हेतु नीति, 2023’ के मुख्य बिन्दु इस प्रकार हंैः- नागरिक उड्डयन विभाग धनीपुर (अलीगढ़), सैफई (इटावा), रसूलाबाद (कानपुर देहात), फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, आजमगढ,़ अकबरपुर (अम्बेडकरनगर), अमहट (सुल्तानपुर), अन्धऊ (गाजीपुर), पलिया (खीरी), चित्रकूट, म्योरपुर (सोनभद्र), झाँसी, ललितपुर, मेरठ, मुरादाबाद तथा अयोध्या जनपदों में स्थित कुल 17 हवाई पट्टियों तथा उन पर निर्मित परिसम्पत्तियों (हैंगर, भवन आदि) को उड्डयन क्षेत्र में उड़ान प्रशिक्षण संस्थान (फ्लाईट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन), एम0आर0ओ0, ए0एम0ई0 प्रशिक्षण एवं टेस्ट बेड तथा एयरो स्पोटर््स, मास्टर कन्सैशनेयर सहित अन्य विमानन सहायक गतिविधियां एवं सेवाएं संचालित करने हेतु चयनित निजी संस्थाओं (फ्लाईंग क्लब/एकेडमी) द्वारा उपयोग करने हेतु अनुमति प्रदान कर सकता है। नीति का कार्यक्षेत्र इस प्रकार हैः-(श्रेणी-अ) उड़ान प्रशिक्षण संस्थान (फ्लाईट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन), (श्रेणी-ब) एम0आर0ओ0, ए0एम0ई0 एवं टैस्ट बेड, (श्रेणी-स) एयरो स्पोट्र्स, (श्रेणी-द) मास्टर कन्सैशनेयर सहित अन्य विमानन सहायक गतिविधियां एवं सेवाएं। श्रेणी-अ के अन्तर्गत सफल उड़ान प्रशिक्षण संस्थान (फ्लाईट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन) को राज्य सरकार से एकल अनुमोदन के अन्तर्गत चयनित हवाई पट्टी पर उड़ान प्रशिक्षण संस्थान (फ्लाईट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन) की स्थापना/संचालन, विभिन्न लाइसेन्स यथा पायलट लाइसेन्स, प्राइवेट पायलट लाइसेन्स, कॉमर्शियल पायलट लाइसेन्स, मल्टी इंजन रेटिंग आदि के लिए ग्राउण्ड ट्रेनिंग एवं फ्लाईट इंस्ट्रक्शन, सिमुलेटर प्रशिक्षण, ग्लाइडिंग प्रशिक्षण, ड्रोन पायलट/ऑपरेटर लाइसेन्स प्रशिक्षण, डे ऐण्ड नाईट फ्लाईट ट्रेनिंग, मल्टी रोटर के साथ फिक्स्ड विंग ड्रोन ट्रेनिंग तथा नागरिक उड्डयन विभाग, उ0प्र0 की पूर्व अनुमति से अन्य उड़ान प्रशिक्षण सम्बन्धी गतिविधियों को सम्पादित करने की अनुमति प्रदान की जाएगी। उपयुक्त गतिविधियों को संचालित करने वाले संगठनों का चयन सार्वजनिक खरीद/अभिरूचि की अभिव्यक्ति (ई0ओ0आई0) के माध्यम से किया जाएगा। श्रेणी-ब के अन्तर्गत सफल संगठन को राज्य सरकार से एकल अनुमोदन के अन्तर्गत चयनित हवाई पट्टी पर विमान एवं इंजन रख-रखाव, मरम्मत तथा ओवरहॉल गतिविधियों के लिए अनुमोदित एवं मान्यता प्राप्त बेस मैन्टेनेन्स केन्द्रों की स्थापना/ संचालन, एयरक्राफ्ट मैन्टेनेन्स इंजीनियरिंग के छात्रों हेतु प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना, विमानन सम्बन्धी विभिन्न उपकरणों/विमानों के लिए टैस्ट बेड उपलब्ध कराया जाना तथा नागरिक उड्डयन विभाग, उ0प्र0 की पूर्व अनुमति से अन्य रख-रखाव या सम्बन्धित तकनीकी गतिविधियों को सम्पादित करने की अनुमति प्रदान की जाएगी। इन गतिविधियों को संचालित करने वाले संगठनों का चयन सार्वजनिक खरीद/अभिरूचि की अभिव्यक्ति (ई0ओ0आई0) के माध्यम से किया जाएगा। श्रेणी-स के अन्तर्गत सफल संगठन को राज्य सरकार से एकल अनुमोदन के अन्तर्गत चयनित हवाई पट्टी पर एयरो स्पोट्र्स यथा एयरो मॉडलिंग, स्काई डाइविंग, माइक्रो लाइट फ्लाइंग, पैरा ग्लाइडिंग/पावर पैरा ग्लाइडिंग, पैरा सेलिंग, मोटर ग्लाइडिंग/पैरा मोटर्स, हैंग ग्लाइडिंग/पावर हैंग ग्लाइडिंग, छोटे ड्रोन फ्लाइंग, हॉट एयर बैलूनिंग तथा नागरिक उड्डयन विभाग, उ0प्र0 की पूर्व अनुमति से अन्य एयरो स्पोट्र्स गतिविधियों को सम्पादित करने की अनुमति प्रदान की जाएगी। इन गतिविधियों को संचालित करने वाले संगठनों का चयन ऑन डिमान्ड तथा केस टू केस बेसिस के माध्यम से किया जाएगा। श्रेणी-द के अन्तर्गत मास्टर कन्सेशनेयर सहित अन्य विमानन सहायक गतिविधियां एवं सेवाएं संचालित करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने हेतु हाईनेट वर्थ इन्डीविजुअल्स, विमानन ऑपरेटरों, अनुसूचित एयरलाइन ऑपरेटरों व अन्य विमानन संगठनों को आमन्त्रित किया जाएगा। मास्टर कन्सेशनेयर के रूप में किसी एक हवाई पट्टी पर विभिन्न प्रकार की एविएशन गतिविधियों का संचालन किया जा सकता है. मूल्यांकनोपरान्त नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा सार्वजनिक खरीद/स्विस चैलेन्ज के माध्यम से सार्वजनिक हित में इस प्रकार के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। श्रेणी अ,ब,स एवं द में उल्लिखित एविएशन गतिविधियां में फ्लाईट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की स्थापना हेतु निजी संस्था को हवाई पट्टी के उपयोग की अनुमति 20 वर्षों के लिए अस्थाई तौर पर दी जाएगी, जिसे 10 वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है। एम0आर0ओ0 एवं टेस्ट बेड, ए0एम0ई0 की स्थापना हेतु निजी संस्था को हवाई पट्टी के उपयोग की अनुमति 20 वर्षों के लिए अस्थाई तौर पर दी जाएगी, जिसे 10 वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है। एयरो स्पोट्र्स एवं मास्टर कन्सेशनेयर के लिए राज्य सरकार केस टू केस बेसिस पर निर्णय लेगी। निजी संस्था को श्रेणी अ एवं ब से सम्बन्धित गतिविधियों के संचालन हेतु हवाई पट्टी के उपयोग के लिए फीस के रूप में रिजर्व लीज रेन्टल एवं लाइसेन्स शुल्क का भुगतान प्रतिवर्ष राज्य सरकार को करना होगा, जिसे प्रतिवर्ष 05 प्रतिशत की दर से बढ़ाया जाएगा। प्रत्येक हवाई पट्टी पर उड़ान प्रशिक्षण संस्थान (फ्लाईट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन) तथा एम0आर0ओ0 संगठनों के लिए पृथक-पृथक रिजर्व लीज रेण्टल (लीज प्रीमियम) नियत किए गए हैं। इच्छुक संगठनों को श्रेणी-अ एवं ब से सम्बन्धित गतिविधियों के संचालन हेतु न्यूनतम रिजर्व लीज रेण्टल (लीज प्रीमियम) की धनराशि के बराबर अथवा उससे उच्च बिड करनी होगी तथा चयनित संगठनों को नियत लाइसेन्स फीस का भुगतान भी प्रति वर्ष करना होगा (लाइसैन्स फीस प्रत्येक हवाई पट्टी पर उड़ान प्रशिक्षण संस्थान तथा एम0आर0ओ0 संगठनों के लिए पृथक-पृथक निर्धारित की गई है।) प्रत्येक वर्ष फीस विगत वर्ष के शुल्क की तुलना में 05 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि की दर से बढ़ायी जाएगी। श्रेणी-अ एवं ब से सम्बन्धित गतिविधियों हेतु चयनित निजी संस्था को अनुसूचित बैंक के द्वारा जारी परफॉर्मेन्स बैंक गारन्टी भी जमा करनी होगी जिसकी वैधता अवधि 02 वर्षों के लिए होगी। निजी संस्था को श्रेणी स से सम्बन्धित गतिविधियों के संचालन हेतु हवाई पट्टी के उपयोग के लिए निर्धारित शुल्क का उल्लेख नीति के अनुलग्नक में किया गया है। निजी संस्था को श्रेणी द से सम्बन्धित गतिविधियों के संचालन हेतु हवाई पट्टी के उपयोग के लिए शुल्क का निर्धारण राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक खरीद/स्विस चैलेन्ज के माध्यम से किया जाएगा। नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा उड़ान प्रशिक्षण संस्थान (फ्लाईट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन) तथा एम0आर0ओ0 संगठनों के प्रयोजनार्थ चिन्हित हवाई पट्टी के उपयोग हेतु प्रस्तावित/वास्तविक भूमि का आकार/क्षेत्रफल निर्धारित किया जाएगा। उड़ान प्रशिक्षण संस्थान (फ्लाईट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन) हेतु न्यूनतम आवश्यक भूमि का आकार/ क्षेत्रफल 1000 वर्ग मीटर तथा एम0आर0ओ0 संगठनों के लिए न्यूनतम 200 वर्ग मीटर निर्धारित है। एयरो स्पोट्र्स गतिविधियों हेतु चिन्हित हवाई पट्टी पर 50 वर्गमीटर का क्षेत्रफल अस्थायी रूप से आवंटित किया जाएगा। अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता होने पर लैण्ड बैंक की उपलब्धता तथा तत्समय प्रचलित लैण्ड लीज रैण्टल के आधार पर केस-टू-केस बेसिस पर किराए का निर्धारण नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा किया जाएगा।