बच्चो और युवको के गैर संचारी रोगों से होने वाली मौतों के रोकथाम के लिए FOPL लागू करने का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का ऐतिहासिक पैरवी


 

वाराणसी5 अप्रैल , 2022|

 

 


सभी प्रसंस्कृत और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों तथा पेय पर सबूत आधारित पोषण मानकों और उपभोक्ता अनुकूल चेतावनी लेबल को अपनाने के संघर्ष को जारी रखते हुए  मानवाधिकार जननिगरानी समिति (पीवीसीएचआर) के संस्थापक व संयोजक डॉ लेनिन रघुवंशी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों केस संख्या 4227/90/0/2021 में रेजोइंदर पत्र भेजकर भारतीय बच्चों के स्वस्थ भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए एक सरलव्याख्यात्मक और अनिवार्य फ्रंट-ऑफ-पैक लेबल (एफओपीएल) विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक के अनुरूप लागु करने की कृपा करेजिससे पैकेट वाले खाने में मिली सामग्री की पूरी जानकारी सामने प्रिंट होपैकेट के पीछे नहीं की मांग की|

मामले की गंभीरता को देखते हुए मानवाधिकार जननिगरानी समिति के पेटीशन पर माननीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के फुल बेंच में इस मामले की सुनवाई शुरू की हैमाननीय आयोग में दर्ज केस संख्या 4227/90/0/2021 में पहले सचिवस्वास्थ्य व परिवार कल्याण  और बाद में सचिव उपभोक्ता मामलेखाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय और सीईओभारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण को 8 हफ्ते के अन्दर आयोग को अपेक्षित रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है|विदित है कि माननीय आयोग का फुल बेंच अति महत्वपूर्ण मामले में हस्तक्षेप करती हैं.

भारत लगभग 15 मिलियन मोटे बच्चों का घर है।  यह चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।  औसतन 15% भारतीय बच्चे किसी न किसी रूप में मोटापे का सामना कर रहे हैं।  दूसरी ओरभारत में 45 मिलियन से अधिक बच्चे अविकसित या अल्प-विकास वाले हैंजो दुनिया के कुल अविकसित बच्चों का तीसरा है।  भारत में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में से लगभग आधी का कारण अल्पपोषण है।