जनपद स्तरीय योजनाओं में जलवायु परिवतर्न एवं आपदा जोखिम न्यूनीकरण विषयक पाॅच दिवसीय प्रशिक्षण कायर्क्रम हुआ सम्पन्न।




दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान व गृह मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में  सम्पन्न हुआ 

प्रशिक्षण  कार्यक्रम।


वक्ताओं व विषय विशेषज्ञों ने व्यक्त किये सारगर्भित व प्रेरक विचार।


लखनऊ :8अप्रैल 2022



दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान, राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान व गृह मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में 'जनपद स्तरीय योजनाओं में जलवायु परिवतर्न एवं आपदा जोखिम न्यूनीकरण' विषयक पाॅच दिवसीय प्रशिक्षण कायर्क्रम का आयोजन दिनांक 04.08 अप्रैलए 2022 की अवधि मे संस्थान पर किया गया।

इस प्रशिक्षण कायर्क्रम में सम्बन्धित जनपदों के स्थानीय निकायो,लोक निमार्ण, अग्निशमन पुलिस दल, ग्राम्य विकास एवं पंचायतीराज,कृषि, सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, स्वास्थ्य तथा वन एवं पयार्वरण विभागों के जनपद स्तरीय अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। 

प्रशिक्षण कायर्क्रम के अन्तगर्त प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए एल० वेंकटेश्वर लू ,महानिदेशक राज्य ग्राम्य संस्थान द्वारा बताया गया कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण की सघनता को कम करने व्यक्ति एवं सम्पत्ति पर प्रभावों को कम करने भूमि और पयार्वरण का बुद्धिमत्ता पूर्ण प्रबन्धन और अवांछित घटनाओं के लिए तैयारी आदि विधियों सहित आपदा के कारणों, तत्वों के विश्लेषण और प्रबन्धन का प्रयास आपदा जोखिम न्यूनीकरण कहलाता है। 

प्रतिभागियों को  बताया गया  कि जलवायु परिवतर्न औसत मौसमी दशाओं के पैटर्न में एैतिहासिक रूप से आने वाले बदलाव को कहते हैं। पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने से हिमनद पिघल रहे हैं और महासागरों का जल स्तर बढ़ता जा रहा है, फलस्वरूप प्राकृतिक आपदाओं से कुछ द्वीपों के डूबने का खतरा बढ़ रहा है। पिछले कुछ दशकों में बाढ़, सूखा व बारिश आदि की अनियमितता बढ़ गयी है। जलवायु परिवतर्न मानवता के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। जलवायु परिवतर्न आपदाओं को उत्पन्न करने में मुख्य भूमिका निभाता है। 



प्रशिक्षण कायर्क्रम के दौरान प्रोफेसर अनिल कुमार गुप्ता, हेड इ0सी0डी0आर0एम0, प्रभाग, राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि जलवायु परिवतर्न, समाज में विभिन्न समस्याएं जैसे पानी की उपलब्धता में कमी, कृषि उत्पादन में कमी, खाद्य सुरक्षा में कमी के फलस्वरूप विकासशील देशों में गरीबी बढ़ने का कारण बनता जा रहा है। जलवायु परिवतर्न द्वारा उत्पादकता के क्षेत्रों विशेषकर कृषि एवं प्राकृतिक संसाधनों पर प्रतिकूल प्रभाव निरंतर पड़ रहा है। जलवायु परिवतर्न के कारण कृषि उत्पादकता पर परिस्थितिवश अतिवृष्टि एवं अनावृष्टि के कारण प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले समाज के कमजोर एवं निबर्ल वर्ग के वह लोग जिनके पास निश्चित आय के स्रोत नहीं हैं, के आथिर्क विकास पर प्रभाव पड़ता है। भारत सरकार ने जलवायु परिवतर्न पर राष्ट्रीय कायर्योजना का शुभारम्भ वर्ष 2008 में किया, जिसका उद्देश्य जनता के प्रतिनिधियों, सरकार की विभिन्न एजेन्सियों, वैज्ञानिकों, उद्योग एवं समुदाय को जलवायु परिवतर्न से उत्पन्न खतरे और इससे मुकाबला करने के उपायों से जागरूक करना है। 

प्रशिक्षण कायर्क्रम के चौथे दिवस पर आशीष तिवारी, सचिव पयार्वरण वन जलवायु परिवतर्न, उ0प्र0 शासन द्वारा प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, स्थानीय निकाय, राजस्व, लोक निमार्ण पुलिस, ग्राम्य विकास, पंचायतीराज, कृषि तथा अन्य सम्बन्धित विभागों द्वारा प्रमुख रूप से जनपद स्तरीय योजनाओं में जलवायु परिवतर्न एवं आपदा जोखिम न्यूनीकरण का समावेश किया जाना आवश्यक है।



कायर्क्रम के दौरान श्री संजय  भूसरेड्डी, अपर मुख्य सचिव, आबकारी, चीनी तथा गन्ना विभाग, उ0प्र0 शासन द्वारा प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि सम्भावित आपदाओं के दृष्टिगत पूर्व तैयारियाें का प्रबन्धन बहुत महत्वपूर्ण विषय है, जिसके अन्तगर्त आप सभी जनपद स्तरीय अधिकारी हैं, इसलिए प्राथमिकता के साथ आप सबका प्रमुख कतर्व्य यह बनता है कि जैसे कि मुख्य रूप से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ आने से पूर्व सम्बन्धित तैयारियां की जायें। अद्यतन रूप से यह देखा गया है कि मानव जनित आपदाओं का प्रादुभार्व विश्व स्तरीय एक प्रमुख समस्या बन गयी है। इसके लिए सभी सम्बन्धित संस्थाओ को आपसे में सहयोग और समन्वय की भावना के साथ प्रमुख रूप से पहल करने की आवश्यकता है, जिससे कि मानवजनित आपदायें के न्यूनीकरण के साथ-साथ इनको पूरी तरह से नष्ट किया जा सके।

प्रशिक्षण कायर्क्रम की अवधि में प्रमुख वातार्कारों के अतिरिक्त के0 रविन्द्र नायक प्रमुख सचिव प्रशासनिक सुधार, आर0के0 पाण्डेय, प्रबन्धन निदेशक, चीनी मिल संघ, उ0प्र0 शासन, डाॅ0 मजहर रशीदी, प्रमुख प्रशिक्षक, आपदा प्रबन्धन, श्रीमती अदिति उमराव, परियोजना निदेशक (इमरजेन्सी) राजस्व विभाग, उ0प्र0, डाॅ0 धु्रवसेन सिंह, विभागाध्यक्ष, भूगोल विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ, डाॅ0 अबधेश कुमार गंगवार, पयार्वरण विशेषज्ञ इत्यादि प्रमुख एवं उपयोगी वातार्कारों द्वारा महत्वपूर्ण वातार्यें प्रदान की गयीं।

उक्त प्रशिक्षण कायर्क्रम का आयोजन महानिदेशक संस्थान, एल0 वेकटेश्वर लू, के संरक्षण, अपर निदेशक संस्थान, डाॅ0 डी0सी0 उपाध्याय के निर्देशन तथा प्रशिक्षण सत्र निदेशक, बी0डी0 चौधरी, उप निदेशक, संस्थान द्वारा किया गया। बी0डी0 चैधरी, उप निदेशक, संस्थान द्वारा समय समय पर वातार्कार के रूप में प्रतिभागियों का क्षमता संवर्द्धन किया गया। आयोजन के दृष्टिगत सहयोगी अधिकारियों/कामिर्को के रूप में डाॅ0 एस0के0 सिंह, सहायक निदेशक, संस्थान, कुमान दीपक, वरिष्ठ सलाहकार आपदा प्रबन्धन केन्द्र संस्थान तथा डाॅ0 शिव बचन सिंह यादव, ज्येष्ठ अनुदेशक, संस्थान की अग्रणी भूमिका रही है।