नव सम्वत् पर संस्कृति का सादर वन्दन करें


 


नवरात्र हवन के झोंकेसुरभित करते जनमन को।

है शक्तिपूत भारतसमरस हो जनमन में 

नव सम्वत् पर संस्कृति कासादर वन्दन करते हैं।

हो अमित ख्याति भारत कीहम अभिनन्दन करते हैं॥

 

२  अप्रैल से विक्रम सम्वत् २०७९ का प्रारम्भ हो गया है विक्रम सम्वत् को नव संवत्सर भी कहा जाता है। संवत्सर पांच प्रकार के होते हैंजिनमें सौरचन्द्रनक्षत्रसावन और अधिमास सम्मिलित हैं। मेषवृषमिथुनकर्कसिंहकन्यातुलावृश्चिकधनुमकरकुम्भ एवं मीन नामक बारह राशियां सूर्य वर्ष के महीने हैं सूर्य का वर्ष ३६५ दिन का होता है इसका प्रारम्भ सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने से होता है।  चैत्र, वैशाखज्येष्ठआषाढ़श्रावण, भाद्रपदआश्विनकार्तिकअग्रहायणपौषमाघ और फाल्गुन

 चन्द्र वर्ष के महीने हैं। चन्द्र वर्ष ३५५ दिन का होता है इस प्रकार इन दोनों वर्षों में दस दिन का अंतर हो जाता है चन्द्र माह के बढ़े हुए दिनों को ही अधिमास या मलमास कहा जाता है नक्षत्र माह २७ दिन का होता हैजिन्हें अश्विन नक्षत्रभरणी नक्षत्रकृत्तिका नक्षत्ररोहिणी नक्षत्रमृगशिरा नक्षत्रआर्द्रा नक्षत्रपुनर्वसु नक्षत्रपुष्य नक्षत्रआश्लेषा नक्षत्रमघा नक्षत्रपूर्वाफाल्गुनी नक्षत्रउत्तराफाल्गुनी नक्षत्रहस्त नक्षत्रचित्रा नक्षत्रस्वाति नक्षत्रविशाखा नक्षत्रअनुराधा नक्षत्रज्येष्ठा नक्षत्रमूल नक्षत्रपूर्वाषाढ़ा नक्षत्रउत्तराषाढ़ा नक्षत्रश्रवण नक्षत्रघनिष्ठा नक्षत्रशतभिषा नक्षत्रपूर्वाभाद्रपद नक्षत्रउत्तराभाद्रपद नक्षत्ररेवती नक्षत्र कहा जाता है सावन वर्ष में ३६० दिन होते हैं इसका एक महीना ३० दिन का होता है।      

 

भारतीय संस्कृति में विक्रम सम्वत् का बहुत महत्त्व है चैत्र का महीना भारतीय कैलेंडर के हिसाब से वर्ष का प्रथम महीना है नवीन संवत्सर के संबंध में अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं वैदिक पुराण एवं शास्त्रों के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि को आदिशक्ति प्रकट हुई थीं आदिशक्ति के आदेश पर ब्रह्मा ने सृष्टि की प्रारम्भ की थी इसीलिए इस दिन को अनादिकाल से नववर्ष के रूप में जाना जाता है मान्यता यह भी है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था इसी दिन सतयुग का प्रारम्भ हुआ था मान्यता है कि इसी दिन सम्राट विक्रमादित्य ने अपना राज्य स्थापित किया था। श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था। युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था। नवरात्र भी इसी दिन से प्रारम्भ होते हैं। इसी तिथि को राजा विक्रमादित्य ने शकों पर विजय प्राप्त की थी विजय को चिर स्थायी बनाने के लिए उन्होंने विक्रम सम्वत् का शुभारंभ किया थातभी से विक्रम सम्वत् चली  रही है इसी दिन से महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिनमहीने और वर्ष की गणना करके पंचांग की रचना की थी। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्त्व भी है। स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की थी। इस दिन महर्षि गौतम जयंती मनाई जाती है। इस दिन संघ संस्थापक डॉकेशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्मदिवस भी मनाया जाता है।

 

सृष्टि की सर्वाधिक उत्कृष्ट काल गणना का श्रीगणेश भारतीय ऋषियों ने अति प्राचीन काल से ही कर दिया था तदनुसार हमारे सौरमंडल की आयु लगभग चार अरब 32 करोड़ वर्ष हैं आधुनिक विज्ञान भी कार्बन डेटिंग और हॉफ लाइफ पीरियड की सहायता से इसे लगभग चार अरब वर्ष पुराना मान रहा है इतना ही नहींश्रीमद्भागवद पुराणश्री मारकंडेय पुराण और ब्रह्म पुराण के अनुसार अभिशेत् बाराह कल्प चल रहा है और एक कल्प में एक हजार चतुरयुग होते हैं। जिस दिन सृष्टि का प्रारम्भ हुआवह आज ही का पवित्र दिन था इसी कारण मदुराई के परम पावन शक्तिपीठ मीनाक्षी देवी के मंदिर में चैत्र पर्व मनाने की परंपरा बन गई

 

भारतीय महीनों का नामकरण भी बड़ा रोचक है अर्थात जिस महीने की पूर्णिमा जिस नक्षत्र में पड़ती हैउसी के नाम पर उस महीने का नामकरण किया गया है, उदाहरण के लिए इस महीने की पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में हैंइसलिए इसे चैत्र महीने का नाम दिया गया क्रांति वृत पर १२ महीने की सीमाएं तय करने के लिए आकाश में ३०-३० अंश के १२  भाग किए गए और उनके नाम भी तारा मंडलों की आकृतियों के आधार पर रखे गए इस प्रकार बारह राशियां बनीं

 

चूंकि सूर्य क्रांति मंडल के ठीक केंद्र में नहीं हैंअतकोणों के निकट धरती सूर्य की प्रदक्षिणा २८ दिन में कर लेती है और जब अधिक भाग वाले पक्ष में 32 दिन लगते हैं इसलिए प्रति तीन वर्ष में एक मास अधिक हो जाता है

भारतीय काल गणना इतनी वैज्ञानिक व्यवस्था है कि शताब्दियों तक एक क्षण का भी अंतर नहीं पड़ताजबकि पश्चिमी काल गणना में वर्ष के 365.2422 दिन को 30 और 31 के हिसाब से 12 महीनों में विभक्त करते हैं इस प्रकार प्रत्येक चार वर्ष में फरवरी महीने को लीप ईयर घोषित कर देते हैं तब भी नौ मिनट 11 सेकेंड का समय बच जाता हैतो प्रत्येक चार सौ वर्षों में भी एक दिन बढ़ाना पड़ता हैतब भी पूर्णाकन नहीं हो पाता अभी कुछ वर्ष पूर्व ही पेरिस के अंतर्राष्ट्रीय परमाणु घड़ी को एक सेकेंड स्लो कर दिया गया फिर भी 22 सेकेंड का समय अधिक चल रहा है यह पेरिस की वही प्रयोगशाला हैजहां के सीजीएस सिस्टम से संसार भर के सारे मानक तय किए जाते हैं रोमन कैलेंडर में तो पहले 10 ही महीने होते थे किंगनुमापाजुलियस ने 355 दिनों का ही वर्ष माना थाजिसे जुलियस सीजर ने 365 दिन घोषित कर दिया और उसी के नाम पर एक महीना जुलाई बनाया गया उसके एक सौ वर्ष पश्चात किंग अगस्ट्स के नाम पर एक और महीना अगस्ट अर्थात अगस्त भी बढ़ाया गया चूंकि ये दोनों राजा थेइसलिए इनके नाम वाले महीनों के दिन 31 ही रखे गए आज के इस वैज्ञानिक युग में भी यह कितनी हास्यास्पद बात है कि लगातार दो महीने के दिनों की संख्या समान हैंजबकि अन्य महीनों में ऐसा नहीं है यही नहीं, जिसे हम अंग्रेजी कैलेंडर का नौवां महीना सितम्बर कहते हैंदसवां महीना अक्टूबर कहते हैंग्यारहवां महीना नवम्बर और बारहवां महीना दिसम्बर हैं इनके शब्दों के अर्थ भी लैटिन भाषा में 7,8,9 और 10 होते हैं भाषा विज्ञानियों के अनुसार भारतीय काल गणना पूरे विश्व में व्याप्त थी और सचमुच सितम्बर का अर्थ सप्ताम्बर थाआकाश का सातवां भागउसी प्रकार अक्टूबर अष्टाम्बरनवम्बर तो नवमअम्बर और दिसम्बर दशाम्बर है

 

वर्ष 1608 में एक संवैधानिक परिवर्तन द्वारा एक जनवरी को नववर्ष घोषित किया गया जेनदअवेस्ता के अनुसार धरती की आयु लगभग 12 हजार वर्ष है चीनी कैलेंडर लगभग एक करोड़ वर्ष पुराना मानता है चालडियन कैलेंडर धरती को लगभग दो करोड़ 15 लाख वर्ष पुराना मानता है फीनीसयन इसे लगभग 30 हजार वर्ष की बताते हैं सीसरो के अनुसार यह लगभग चार लाख 80 हजार वर्ष पुरानी है सूर्य सिद्धांत और सिद्धांत शिरोमाणि आदि ग्रंथों में चैत्रशुक्ल प्रतिपदा रविवार का दिन ही सृष्टि का प्रथम दिन माना गया है

 

संस्कृत के होरा शब्द से हीअंग्रेजी का आवर (Hour) शब्द बना है इस प्रकार यह सिद्ध हो रहा है कि वर्ष प्रतिपदा ही नववर्ष का प्रथम दिन है एक जनवरी को नववर्ष मनाने वाले दोहरी भूल के शिकार होते हैंक्योंकि भारत में जब 31 दिसम्बर की रात को 12 बजता हैतो ब्रिटेन में सायंकाल होता हैजो कि नववर्ष की पहली सुबह हो ही नहीं सकती और जब उनका एक जनवरी का सूर्योदय होता हैतो यहां के Happy New Year मनाने वाले रात्रि भर जागने कारण सो रहे होते हैं। ऐसी स्थिति में उनके लिए सवेरे नहा धोकर भगवान सूर्य की पूजा करना तो अत्यंत दुष्कर कार्य है परन्तु भारतीय नववर्ष में वातावरण अत्यंत मनोहारी रहता है केवल मनुष्य ही नहींअपितु जड़ चेतना नर-नाग यक्ष रक्ष किन्नर-गंधर्वपशु-पक्षी लतापादपनदी नददेवीदेवमानव से समष्टि तक सब प्रसन्न होकर उस परम शक्ति के स्वागत में सन्नध रहते हैं

नववर्ष पर दिवस सुनहले, रात रूपहली, उषा सांझ की लाली छन-छन कर पत्तों में बनती हुई चांदनी जाली कितनी मनोहारी लगती है शीतल मंद सुगंध पवन वातावरण में हवन की सुरभि कर देते हैं ऐसे ही शुभ वातावरण में अखिल लोकनायक श्रीराम का अवतार होता है

 

उल्लेखनीय है कि ज्योतिष विद्या में ग्रहऋतुमासतिथि एवं पक्ष आदि की गणना भी चैत्र प्रतिपदा से ही की जाती है मान्यता है कि नव संवत्सर के दिन नीम की कोमल पत्तियों और पुष्पों का मिश्रण बनाकर उसमें काली मिर्चनमकहींगमिश्रीजीरा और अजवाइन मिलाकर उसका सेवन करने से शरीर स्वस्थ रहता है इस दिन आंवले का सेवन भी बहुत लाभदायक बताया गया है माना जाता है कि आंवला नवमीं को जगत पिता ने सृष्टि पर पहला सृजन पौधे के रूप में किया था यह पौधा आंवले का था इस तिथि को पवित्र माना जाता है इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है

निसंदेहजब भारतीय नववर्ष का प्रारम्भ प्रारंभ होता हैतो चहुंओर प्रकृति चहक उठती है भारत की बात ही निराली है

कवि श्री जयशंकर प्रसाद के शब्दों में-

अरुण यह मधुमय देश हमारा

जहां पहुंच अनजान क्षितिज को

मिलता एक सहारा

अरुण यह मधुमय देश हमारा

 

इसमें संदेह नहीं कि आज हमारे दैनिक जीवन में अंग्रेजी कैलेंडर का बहुत प्रचलन हैपरन्तु हमारे तीज-त्यौहारव्रतउपवासरामनवमी जन्माष्टमीगृह प्रवेशविवाह तथा अन्य शुभ कार्यों के शुभमुहूर्त आदि सभी आयोजन भारतीय कैलेंडर अर्थात हिन्दू पंचांग के अनुसार ही देखे जाते हैं। 

आइए इस शुभ अवसर पर हम भारत को पुनजगतगुरु के पद पर आसीन करने में कृत संकल्प हों।


 -डॉ. सौरभ मालवीय

 

( लेखक- उत्तर प्रदेश सरकार में हैप्पीनेस / अनुभूति पाठ्यक्रम के प्रभारी है। )