2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यभार ग्रहण किये जाने के पश्चात प्रत्येक क्षेत्र में राज्य की छवि में सकारात्मक बदलाव आया


सुरेन्द्र अग्निहोत्री,लखनऊ :ः 22 मार्च, 2022 :ः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने नीति आयोग की जिस बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार के कामकाज पर प्रतिकूल टिप्पणी की है, वह वास्तव में सपा सरकार के कुशासन का दस्तावेजी सबूत है। नीति आयोग की यह रिपोर्ट नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की 2015-16 की सन्दर्भ अवधि पर आधारित है। बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट के प्रारम्भ में नीति आयोग के उपाध्यक्ष के संदेश में यह तथ्य प्रमुखता से उल्लिखित है। गौरतलब है कि वर्ष 2015-16 में प्रदेश में श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी सत्ता में थी। श्री यादव ने यदि इस रिपोर्ट का वाकई अध्ययन किया होता तो वे राज्य सरकार पर टिप्पणी करने के बजाए अपनी सरकार की विफलताओं के लिए प्रदेश की जनता से माफी मांगते।
सपा सरकार के भ्रष्टाचार, लूट-खसोट, परिवारवाद और अराजकता को प्रदेश की जनता भूली नहीं है। यही कारण है कि वर्ष 2017 से निरंतर उत्तर प्रदेश की जनता समाजवादी पार्टी को खारिज करती आ रही है। वर्ष 2022 का विधान सभा चुनाव भी इसका अपवाद नहीं रहा, जिसमें प्रदेश के मतदाताओं ने फिर एक बार समाजवादी पार्टी को नकारते हुए भारतीय जनता पार्टी की नीतियों तथा भाजपा सरकार की उपलब्धियों को प्रचंड बहुमत प्रदान कर सेवा का पुनः अवसर दिया है। वर्ष 2014 तथा वर्ष 2019 के लोकसभा के आम चुनाव में भी राज्य के मतदाताओं ने समाजवादी पार्टी को नकार दिया था।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 के विपरीत नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 2020-21 में उत्तर प्रदेश द्वारा उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की गयी हैं। यह उपलब्धियां स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार तथा महिला सशक्तिकरण सहित जीवन की सुगमता के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा किये जा रहे प्रभावी प्रयासों की सफलता को दर्शाती हैं।
भाजपा सरकार के विगत पांच वर्ष के कार्यकाल में महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलम्बन तथा कन्या भ्रूण हत्या रोकने के प्रयास सफल हुए हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5, 2020-21 में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4, 2015-16 के सापेक्ष राज्य के लिंगानुपात में प्रभावी वृद्धि हुई है। सर्वे के अनुसार वर्ष 2015-16 में लिंगानुपात (प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या) 995 से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 1,017 हो गया है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5, 2020-21 के अनुसार प्रदेश में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करने वाले परिवारों तथा बेहतर सैनिटेशन सुविधा का उपयोग करने वाले परिवारों के प्रतिशत में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4, 2015-16 में प्रदेश में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करने वाले परिवारों का प्रतिशत 32.7 था, जो नवीनतम सर्वे में बढ़कर 49.5 प्रतिशत हो गया है। इसी प्रकार, बेहतर सैनिटेशन सुविधा का उपयोग करने वाले परिवारों का प्रतिशत 36.4 से बढ़कर 68.8 प्रतिशत हो गया है। यह राज्य सरकार द्वारा ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ तथा ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के प्रभावी क्रियान्वयन का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4, 2015-16 में प्रदेश का टोटल फर्टिलिटी रेट 2.7 था, जो 2020-21 के सर्वे में कम होकर 2.4 हो गया है।  संस्थागत प्रसव 67.8 प्रतिशत से बढ़कर 83.4 प्रतिशत हो गया है। नवजात शिशु मृत्यु दर (एन0एन0एम0आर0) 45.1 प्रतिशत से कम होकर 35.7 प्रतिशत तथा शिशु मृत्यु दर (आई0एम0आर0) 63.5 प्रतिशत से घटकर 50.4 प्रतिशत रह गई है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5, 2020-21 के अनुसार गर्भावस्था के दौरान एनीमिया से प्रभावित होने वाली महिलाओं की संख्या में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4, 2015-16 की तुलना में 5.1 प्रतिशत की कमी आयी है, जो राष्ट्रीय स्तर पर दर्ज हुई 1.8 प्रतिशत की कमी से अधिक है। इसी प्रकार, प्रदेश में बच्चों के वृद्धि अवरोध (स्टण्टिंग) के मामलों में 6.6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय स्तर पर दर्ज की गई कमी 2.9 प्रतिशत से अधिक है। राज्य में सामान्य से कम वजन के बच्चों के मामलों में 7.4 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह कमी 3.7 प्रतिशत रही।
प्रदेश की वर्तमान सरकार द्वारा मार्च, 2017 में कार्यभार ग्रहण किये जाने के पश्चात प्रत्येक क्षेत्र में राज्य की छवि में सकारात्मक बदलाव आया है। वर्तमान में प्रदेश के माथे से बीमारू राज्य का धब्बा हटा है और प्रगति और खुशहाली का तिलक लग गया है। प्रदेश, भारत सरकार की लगभग 50 योजनाओं के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2015-16 में राज्य की अर्थव्यवस्था देश में पांचवें-छठे स्थान पर थी, विगत पांच वर्षां में यह देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी है।