बेटी



रात करीब बारह बजे बाबू दीनानाथ एक छोटे से रेलवे स्टेशन पर उतरे। उनके उतरते ही  ट्रैन तुरंत सीटी बजाती  हुई आगे बढ़ गई। उन्होंने देखा स्टेशन में सन्नाटा पसरा था। तभी एक बूढ़ा कुली उनके पास आया --''बाबूजी कहाँ जाना है ?''वे बोले -''बाहर तक सामान पहुंचा दो ,बाहर रिक्शा कर लेंगे। ''कुली ने कहा --''लगता है बाबूजी बहुत दिनों बाद यहाँ आए हैं ,यहाँ पर रात को कोई सवारी नहीं मिलती ,हर तरफ सन्नाटा ही मिलेगा ,और अजीब चीखें सुनाई पड़ेंगी। ''बाबूजी बोले --''तुम ठीक बोले ,मै यहाँ करीब बीस साल बाद आया हूँ। ''
फिर वो दोनों स्टेशन के बाहर पहुंचे। बाहर दूर दूर तक भयावह सन्नाटा था। फिर कुली ने कहा --''चलिए बाबूजी आपको घर तक छोड़ दूँ। ''
बाबू दीनानाथ जी बोले --''ठीक है, चलो। ''
फिर रास्ते में कुली ने बताया -''यहाँ 18 -20 साल पहले एक युवती रेल से कट के मर गई थी,तभी से यहाँ विचित्र घटनाएं घटने लगीं। नए नए जोड़े यहाँ आकर होटल में ठहरते तो उनके बिस्तर  में आग लग जाती। अगर नया जोड़ा कार में होता तो कार पलट जाती। सारे हादसे नए जोड़े पर होते रहे।वह भूतनी तरह तरह के वेश में आती ,और लोग उसे पहचान नहीं पाते।  फिर लोगों ने रात को बाहर निकलना बंद कर दिया। बाबूजी ने पूछा --''आखिर वो ऐसा क्यों करती थी ?'' कुली ने बताया --''दर असल वह युवती किसी विजातीय युवक से प्रेम करती थी ,मगर उसके पिता ने इस शादी से इंकार कर दिया ,तभी उसने अपनी जान दे दी। ''बाबूजी की आँखों में आंसू निकल पड़े --''भाई वो अभागा पिता में ही था ,बेटी ने मुझे सोचने का मौका ही नहीं दिया और झटपट जान दे दी ,मै सालों से अफ़सोस करता रहा, और आंसू बहाता रहा ,बेटी के लिए ,काश उसने हाँ कहने के लिए एक और मौका तो दिया होता। ''बूढा कुली भी अपने आंसू पोंछ रहा था।
घर पहुँच कर कुली सामान रख के जाने लगा। बाबूजी ने उसे रोका मगर वह नहीं रुका। तभी बाबूजी की नजर बूढ़े कुली के गमछे पर पडी। उन्होंने कुली को आवाज देनी चाही मगर वे रुक गए ,उन्होंने देखा एक युवती आगे चली जा रही थी और आगे जाकर गायब हो गई। तभी उनकी नजर गमछे पर पडी ,मगर वहां गमछा नहीं था।वहां  एक दुपट्टा पड़ा था ,ठीक उनकी बेटी का।  
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महेंद्र कुमार वर्मा