पटना : 01/02/2022! " समकालीन कवयित्रियों में एक प्रमुख नाम है डॉ आरती कुमारी का, जो लंबे समय से अपने गीत गजलों के माध्यम से पाठकों के हृदय में रची बसी हुई हैं l-"एहसासों से बांध के मुझको ले चल ऐसे गांव?ताल, तलैया, पंछी, पर्वत, हो पीपल की छांव l"
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में फेसबुक के "अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका " पेज पर ऑनलाइन आयोजित " मेरी पसंद: आपके संग "के तहत प्रतिष्ठित कवयित्री डॉ आरती कुमारी की नवीन काव्य कृति "धड़कन का संगीत " की समीक्षात्मक टिप्पणी प्रस्तुत करते हुए उपरोक्त उद्गार संस्था के अध्यक्ष सिद्धेश्वर ने व्यक्त कियेl
उन्होंने कहा कि -" इसमें कोई शक नहीं कि डॉ आरती कुमारी ने अपनी नवीन काव्य कृति " धड़कनों का संगीत " के माध्यम से कविता को स्वच्छंद शैली में पाठकों के हृदय की धड़कन बनाने की सकारात्मक पहल की है, जो स्वागत योग्य है l
मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि -" डॉ आरती कुमारी काव्य मंचों पर एक गजलगो के रूप में उतनी ही लोकप्रिय हैं, जितनी गंभीर पाठकों के बीच l "डॉ शरद नारायण खरे ( म.प्र.) ने कहा कि -" डॉ आरती कुमारी जी की कविताओं में एक दिव्यता व ऊर्जा अवस्थित है।"मुख्य वक्ता डॉ बी एल प्रवीण (डुमरांव) ने कहा कि-".कविताएं हृदय प्रदेश की पूंजी हुआ करती हैं। मन और मस्तिष्क तो केवल शब्दों का शिकार करते हैं। बाजारवाद कितना भी हावी हो जाए, हृदय-देश की इस संपदा का मोल लगाना मुश्किल है।"डॉ कामिनी कुमारी दास (नई दिल्ली ) ने विस्तृत समीक्षात्मक टिप्पणी देते हुए कहा कि -" जिंदगी के हर पहलू को स्पर्श करने में कामयाब है आरती कुमारी की कविताएं l" सुभाष पाठक "जिया "( मध्य प्रदेश )ने कहा कि -" डॉ आरती कुमारी की कविताओँ में प्रतिरोध का स्वर है l कवयित्री के भीतर प्रेम है, ईश्वर के प्रति असीम आस्था है l" डॉ देवव्रत प्रसाद (मुजफ्फरपुर )ने कहा कि-" संघर्षशीलता आपकी पूंजी है, जो आपकी रचनाओं में नजर आती है l" अपूर्व कुमार (वैशाली) ने कहा कि -" सूक्ष्म आत्मानुभूति का परिचायक है "धड़कनों का संगीत !"
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में चर्चित कवयित्री डॉ आरती कुमारी( मुजफ्फरपुर) से ऑनलाइन भेंटवार्ता में सिद्धेश्वर ने सवाल किया कि -" काव्य की लगभग सभी उप विधाओं पर सृजन पर लेती हैं आप, लेकिन आपको मुख्य रूप से लोग गजल के लिए जानते पहचानते हैं l आप स्वयं को पहले कवयित्री समझती हैं या एक शायर ? " सवाल के जवाब में डॉ आरती कुमारी ने कहा कि -" मैं खुद को एक रचनाकार समझती हूँ। कभी कभी एक विचार कागज़ पर उतरते उतरते अपना स्वरूप ले लेता है। मैं कविता गीत ग़ज़ल सब लिखती रही हूँ और पढ़ती भी हूँ ।पर लोग गीत और ग़ज़ल सुनना ज़्यादा पसंद करते हैं और ये रचनाएँ दिलों पर छाप छोड़ती हैं और याद रह जाती हैं।शायद इसलिए मुझको ग़ज़लगो के रूप में जानते है l!"सिद्धेश्वर द्वारा किए गए एक और सवाल -" डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पहली बार आपको अपनी कविताएं प्रस्तुत करते हुए क्या अनुभव हुआ ? " का जवाब देते हुए डॉ आरती कुमारी ने कहा कि -" त्वरित प्रतिक्रिया प्राप्त होती है और उत्साहवर्धन होता है।" डॉ चितरंजन कुमार ( मुजफ्फरपुर ) ने कहा कि -" उनकी कविताओं की सहजता ही पठनीय बनाती है l " प्रियंका श्रीवास्तव शभ्र ने कहा कि -" डॉ आरती कुमारी की कलम केवल सौंदर्य, प्रेम के प्रतीक तक सीमित नहीं है, इससे अलग भी समाज, हमारा बदलता परिवेश, घर परिवार भी चिन्हित है l"विजयानंद विजय ( बोधगया ) ने कहा कि -" डॉ. आरती कुमारी की कविताओं में कविताई है, गेयता है, शिल्प का सौंदर्य है, भाव की गहराई है और संवेदनाओं का कोमल स्पर्श है l"l"ऋचा वर्मा के विचार में -" बहुत ही सरल और सहज शब्दों वाली डॉ आरती कुमारी की कविताएं सहज ही ग्राह्य होने की क्षमता रखती हैं !" दूसरी तरफ राज प्रिया रानी के शब्दों में-"इस संकलन में डॉ आरती कुमारी की कविताएं गहरी मुस्कान भरी कल्पनाओं के सहारे चलती मखमली उत्कृष्ठ कविताएं हैं l " इस ऑनलाइन "आमने -सामने और " पुस्तकनामा " कार्यक्रम में दुर्गेश मोहन, संतोष मालवीय, ज्योत्सना सक्सेना, बृजेंद्र मिश्रा, ललन सिंह, खुशबू मिश्र, डॉ सुनील कुमार उपाध्याय, संजय रॉय, अनिरुद्ध झा दिवाकर, बीना गुप्ता, स्वास्तिका, अभिषेक श्रीवास्तव आदि की भी भागीदारी रही।
======( प्रस्तुति: राज प्रिया रानी (उपाध्यक्ष : भारतीय युवा साहित्यकार परिषद)