साल की दहलीज़ पर राँची साहित्योदय समागम
राँची,
अंतरराष्ट्रीय साहित्य कला संस्कृति संगम साहित्योदय द्वारा गुजरते साल और नववर्ष के स्वागत के अवसर पर साहित्य समागम का आयोजन किया गया। रांची इकाई के कार्यकारिणी अधिकारी सदानंद सिंह यादव के आवास पर करीब 2 घण्टे तक सफल काव्यगोष्ठी हुई। गोष्ठी में कवि विनोद सिंह ने मां वागेश्वरी के चरणों में काव्यपुष्प रखकर शुरूआत सरस्वती वंदना से की तत्पश्चात कवयित्री रंजना वर्मा उन्मुक्त ने बेहतरीन गज़ल से सबको मुग्ध किया ।उनके पति ने भी " अभी तो मैं जवान हूँ " का पाठ कर खूब हंसाया ।
संस्थापक अध्यक्ष पंकज प्रियम ने साल की दहलीज पे आकर के खड़े हैं।क्या खोया क्या पाया इसी चक्कर में पड़े हैं* शानदार काव्यपाठ किया । लोक गायक सदानंद सिंह यादव और उनकी पत्नी संगीता यादव ने भी कविता पाठ कर सबका मन मोहा । प्रबंध निदेशक संजय ' करुणेश ने ' परदा हटा दो ' और ' बेटियों को मान देने विषय पर ' कविताओं का पाठ किया ।' साहित्योदय की रांची इकाई की अध्यक्ष गीता चौबे गूँज ने बहुत सुंदर कविता पाठ किया। रेणु बाला धार , कामेश्वर सिंह 'कामेश' , और गुमला से आए प्रेम हरि ने प्रेमपरक गज़ल का पाठ किया । सुजाता कुमारी , रजनी शर्मा ' चंदा ' , कवि गोष्ठी की अध्यक्षता आदरणीया रजनी शर्मा चंदा ने गज़ल से किया । गज़ल ने सबके मन को छू लिया ।
सबकी उपस्थिति ने एक अद्भुत समा गोष्ठी में बांध रखा था। अनुपम आतिथ्य सत्कार से सब आह्लादित और आनंदित हुए। ज्यों - ज्यों समय बीतता गया काव्य की रस धारा बहने लगी। बीच-बीच में हंसी के फव्वारे, गीत, गजल कविता से काव्यात्मक इत्र की महक वातावरण में तैरने लगी। गजल ने सबके मन को छू लिया ।
कभी खीर तो कभी मिठाई , कभी नमकीन तो कभी चाय की चुस्की आदरणीया पुष्पा जी ने खूब पिलाई ।खुशनुमा सर्द माहौल तो कभी गुनगुनी धूप में सेल्फी से तस्वीरों की खूब खींचाई हुई। सभी ने एक से बढ़कर एक अपनी प्रस्तुति दी। आदरणीया रजनी शर्मा 'चंदा ' जी का मंच संचालन बहुत बेहतरीन रहा। रसगुल्ले की मिठास ने सबके दिलों में मिठास घोल दिया। धन्यवाद ज्ञापन सदानंद सिंह ने दिया।