“ना माननीय उच्च न्यायालय का ऑर्डर और ना ही राजपत्र का पालन” कार्य्रभार हो गया दुगना
मध्यप्रदेश आईटीआई में पदस्थ 2013 सितंबर 2013 से आज रिसोर्स पर्सन (संविदा )जो आज दिनांक तक 7200/रुपए प्रतिमाह में कार्यरत हैं इनकी नियुक्ति विधिवत परीक्षा मध्यप्रदेश प्रोफेशनल बोर्ड (पीईबी ) द्वारा नियमित कर्मचारी के साथ ली गई ,पेपर भी एक था ! इनकी नियुक्ति एम्पलाईेबिलिटी स्किल पढ़ाने के लिए की गई ,नियुक्ति पत्र में इनकी सेवा अधिकतम 3 साल तक संविदा पर रखी गई लेकिन इसके बाद इन्हें नियमितीकरण का आदेश नहीं मिला बल्कि इनकी सेवा का परिणाम स्वरूप इन्हें पद से हटा दिया गया जिसके फलस्वरूप यह सभी लोग माननीय उच्च न्यायालय की शरण में गए जहां पर इन्हें स्टे आर्डर प्राप्त हुआ स्टे आर्डर पर 2016 से वर्तमान में रिसोर्स पर्सन वेतन सहित कार्यरत हैं नियुक्ति के समय 2013 डी. जी .टी. नई दिल्ली के निर्देश के अनुसार अनुसार 1 वर्षीय पाठ्यक्रम में एम्पलाईेबिलिटी स्किल को पढ़ाना पड़ता था ; लेकिन वर्ष 2019 एम्पलाईेबिलिटी स्किल 2 वर्षीय पाठ्यक्रम पर भी इसे लागू कर दिया है जिसे हम लोग को ही पढ़ाना पड़ता है उसी मानदेय पर जिस पर नियुक्ति की गई थी हम लोग का वर्क लोड लगभग दुगना हो गए हैं माननीय मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय का ऑर्डर WP-9995/2016 कंडिका 7(1 )में तथा मध्यप्रदेश शासन में राजपत्र प्रकाशित मध्यप्रदेश (असाधारण ), प्राधिकार से प्रकाशित क्रमांक 627 भोपाल सोमवार दिनांक 26 नवंबर 2018 अग्रहायण 5 शक 1940, तकनीकी शिक्षा ,कौशल विकास एवं रोजगार विभाग मंत्रालय ,वल्लभ भवन भोपाल ,भोपाल दिनांक 26 नवंबर 2018 को प्रकाशित किया गया, जिसका परिपालन आज दिनांक तक नहीं किया गया मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संविदा कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए ,सामान प्रशासन विभाग के परिपत्र क्रमांक C5-2/2018/1/3 भोपाल संविदा दिनांक 5 जून 2018 द्वारा “संविदा नियुक्ति अधिनियम 2017” जारी किया गया जिसमें सभी विभाग को निर्देश दे दिया मूल वेतन का 90 परसेंट देने और अन्य सुविधाएं देने की बात कही गई जिसका पालन लगभग सभी विभाग ने कर लिया है लेकिन तकनीकी शिक्षा ,कौशल विकास एवं रोजगार विभाग मंत्रालय द्वारा आज तक नहीं किया; कोविड-19 संकट परिस्थिति में तथा चुनाव जैसे महत्वपूर्ण कार्य में भी इनकी ड्यूटी लगाई गई; 5 साल से रिसोर्स पर्सन दर-दर भटक रहे विभाग के मंत्री तथा विभाग के उच्च अधिकारी से कई बार मिल चुके हैं विभागों के चक्कर लगा रहे लेकिन सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला जैसे 2013 में धरातल पर आज भी वैसे ही है