सीडीएस जनरल रावत को श्रद्धांजलि,जांच की भी जरूरत


राजेंद्र जादौन
चंडीगढ़। देश के पहले चीफ ऑफ स्टाफ जनरल विपिन रावत को हार्दिक श्रद्धांजलि। तमिलनाडु में हेलीकॉप्टर हादसे में देश ने अपने इस सेना नायक को खो दिया। यह एक ऐसी क्षति है जो कि देश की प्रतिरक्षा को लंबी अवधि तक प्रभावित करेगी। इसलिए इस हादसे की न्यायिक जांच अत्यंत ही जरूरी है। भारत सरकार को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए।
भारत अपने इर्द गिर्द दुश्मनों से घिरा है। एक और पाकिस्तान और दूसरी ओर चीन लगातार साजिश रच रहे है। गलवान घाटी और भारत के प्रान्त अरुणाचल प्रदेश में चीन की घुसपैठ जग जाहिर है। ऐसे दौर में जब सैन्य शक्ति को अधिकाधिक आधुनिक और सामरिक दृष्टि से मजबूत बनाने के लिए जनरल विपिन रावत जैसे अनुभवी और रणनीतिकार नेतृत्व की जरूरत थी तब हेलीकॉप्टर हादसे ने वज्रपात कर दिया। भारत के सैन्य इतिहास में जनरल रावत का नाम अमर रहेगा।
जनरल विपिन रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी लेफ्टिनेंट जनरल पद से रिटायर्ड थे। जनरल रावत के दादा भी सैन्य अधिकारी थे। देश के शीर्ष सैन्य नेतृत्व को अपने क्रूर पंजों से छीन लेने वाले हादसे की गहरी जांच जरूरी है कि आखिर यह हादसा किस प्रकृति का था। कही इसमें कोई साजिश का पहलू तो नही है। कही लापरवाही का पहलू तो नहीं है। भविष्य मे शीर्ष सैन्य नेतृत्व को ऐसी यात्राओं के दोरण केसे सुरक्षित बनाया जाए। जांच में इस पहलू को भी समाविष्ट करने की जरूरत है। इन सभी पहलुओं पर सटीक जांच के बाद ही कोई ठोस नीति तय की जा सकेगी। इतिहास साक्षी है कि सैन्य रणनीति और आधुनिक हथियार प्रणालियों की कमी से ही विदेशी ताकतों के हाथो पराजय का सामना करना पड़ा। विदेशी ताकतों ने इस देश को चारागाह ही समझ लिया था। सैन्य मोर्चे पर इतिहास को उलटने की जरूरत है। जनरल रावत से देश को बड़ी उम्मीदें थी। उनके निधन ने सैन्य क्षमता के निर्माण में देश को पीछे धकेल दिया।