भारती अरोरा का कर्मयोग छोड़कर भक्तियोग की ओर पलायन


राजेंद्र जादौन
चंडीगढ़। हरियाणा के लिए ही नही यह देश भर का ध्यान खींचने वाली खबर है कि हरियाणा की भारतीय पुलिस सेवा की महिला अधिकारी भारती अरोरा ने सेवा से स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति लेकर कृष्ण भक्ति में समर्पित होने जैसा कदम उठाया है। इसका यही अर्थ है कि उन्होंने कर्म योग छोड़कर भक्ति योग को अपनाया है। भारतीय पुलिस सेवा तक पहुंचने वाली भारती अरोरा को तो स्वयं ही मालूम होगा कि मानव जीवन के लिए जो फलित भक्ति योग से मिलता है वह सब कर्म योग से भी हासिल किया जा सकता है। फिर भी उन्होंने देश और प्रदेश की सेवा से मुंह मोड़ कर भक्ति योग को अपना लिया। हरियाणा सरकार की नजर में भारती अरोरा की ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा का बड़ा ही सम्मान था। इसलिए प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज ने भी उनके स्वेच्छिक सेवा निवृत्ति आवेदन को मुख्यमंत्री की ओर बढ़ाने से पहले पुनर्विचार करने का आग्रह किया था। लेकिन भारती अरोरा अपने फैसले पर कायम रही और आखिर गृह मंत्री अनिल विज जैसे कर्तव्यनिष्ठ एवम ईमानदार नेता ने अपनी अनुशंसा के साथ भारती अरोरा का स्वेच्छिक सेवा निवृत्ति आवेदन मुख्यमंत्री को भेज दिया। मुख्यमंत्री ने भी आखिर यह आवेदन मंजूर कर दिया। जैसे ही आवेदन स्वीकार किया गया भारती अरोरा भगवा वस्त्र धारण कर अपने अम्बाला स्थित कार्यालय पहुंच गई। इससे पता चलता है कि वे कृष्ण भक्ति के लिए कितनी बेचैन थी।
हरियाणा सरकार और पुलिस तंत्र का यह बड़ा नुकसान है कि एक ईमानदार और कर्तव्य निष्ठा महिला आई पी एस सेवा छोड़ गई। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गीता ज्ञान का प्रसार करने में जुटी हरियाणा सरकार भी भारती अरोरा को यह समझाने में नाकाम रही कि भक्ति योग की तुलना में कर्म योग कही भी कम श्रेयस्कर नहीं है। गीता के व्यापक संदेश में कर्म योग का महत्व बताया गया है। कर्म योग के लिए भारती अरोड़ा को हरियाणा ने कर दिखाने लिए बहुत कुछ था। राज्य सरकार महिला अपराधो की रोकथाम के लिए भारती अरोरा को अहम जिम्मा सौप सकती थी। उनके लिए कोई विशेष पद की व्यवस्था भी की जा सकती थी।
हरियाणा लोक सेवा आयोग और कर्मचारी भर्ती आयोग दोनो ही भर्ती घोटालों के कारण कुख्यात हो गए है। भारती अरोरा को इन आयोगों के कामकाज को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती थी। लेकिन हरियाणा सरकार इन आयोगों में कोई ईमानदार अधिकारी नियुक्त करने की इच्छुक ही नही दिखाई देती है। घोटाला दर घोटाला हो रहे है लेकिन राज्य सरकार कोई रणनीतिक बदलाव करने की मंशा नहीं रखती है। सरकार तो इन घोटालों की जांच में दिखाई दे रही खामियों को भी मानने को तैयार नही है। विपक्ष के नेता लगातार इन खामियों को दिखा रहे है। प्रदेश या देश में सिस्टम को बनाने वाली सरकार ही होती है। जब सिस्टम में कोई दोष दिखाई देता है तो उसके लिए पहली जिम्मेदारी सरकार की ही होती है। सरकार और उसका नेतृत्व सिस्टम का दोष बताकर पल्ला नहीं झाड़ सकते। जब सिस्टम के दोष प्रकट ही जाते है तो उन्हे दूर करने की जिम्मेदारी भी सरकार की होती है। लेकिन हरियाणा की मोजूदा सरकार इन जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए तैयार नही है।