आशीष किन्नरों का



रीमा अभी अभी ऑफिस से थक हार कर लौटी थी मां ने कहा तू हांथ मुंह धो लें , मै चाय लेकर आती हूं रीमा फ्रेश होकर वहीं बरामदे में ही बैठ गई बड़ी मायूस थी वह अपनी जिंदगी से दो बहनों के बाद वह अपने मा पापा की तीसरी संतान थी । तीनो बेटियां जनने का खामियाजा अक्सर मम्मी को सास और बुआ सास की कड़वी बाते  झेलकर भुगतना पड़ता था पर मम्मी-पापा ने उन्हें कभी कुछ नहीं कहा था । उनके लिए उनकी तीनों बेटियां तीन अनमोल रत्न थे दोनो बड़ी बहनों का विवाह पापा ने बहुत धूमधाम से कर दिया । अब रीमा भी शादी के योग्य हो गई थी पर काल के कुचक्र में हर कोई कभी ना कभी फंसता ही है रीमा के पापा जिस कंपनी में काम करते थे वह अचानक बंद हो गई आगे के कुछ दिन तो अच्छे से गुजरे पर धीरे धीरे वक़्त एक मध्यम वर्गीय परिवार की बखिया उधेड़ने लगा पापा अपनी मजबूरी पे दुख मानते , मम्मी कभी कभी अकेले में बैठकर घंटो आंसू बहाती दादी और बुआ दादी का दवाइयों का खर्चा ,रीमा के स्वयं के कालेज के अंतिम साल का  खर्चा  कुल मिलाकर सभी को परिस्थितियों के थपेड़ों ने तोड़ कर रख दिया था रीमा ने भी अपनी शादी के सुनहरे सपने सजा कर रखे थे अपने दिलों दिमाग में ,पर आज की स्तिथि ने उसे भी बुरी तरह झकझोर के रख दिया था अब वह शादी ही नहीं  करना चाहती थी अगर वो शादी कर लेगी तो मम्मी पापा दादी लोगो को कौन सम्हालेगा बस यही सोच सोच कर उसने पढ़ाई के साथ साथ एक नौकरी  भी ढूंढ़ ली थी जिस से घर का खर्चा जैसे तैसे चल जाता था चाय पीकर जैसे ही वह अपने कमरे की तरफ जाने लगी कि अचानक कुछ किन्नर उनके दरवाजे पर आकर गा बजाकर शोर  मचाने लगे रीमा का सर जोर  से  दर्द कर रहा था पर वह ये भी जानती थी कि किन्नर बिना कुछ लिए  दिए यहां से जाएंगे नहीं सो पांच सौ का नोट धरकर वह बाहर की तरफ आई ।
           आठ दस  किन्नर थे रीमा को देखकर जोर जोर से ताली बजा बजा के उसे दिल से दुआएं देने लगे रीमा को बहुत अच्छा लग रहा था जिस समय भगवान भी उनसे बैर भंजा  रहा था ऐसे समय में उनका उसे इतनी दुआएं देना किसी वरदान से कम नहीं था। इतने में ही उन किन्नरों ने से एक बुजुर्ग सा किन्नर रीमा के पास आया और उसके सर पर हांथ रख आशीर्वाद देने लगा बेटी बहुत जल्दी तेरी शादी लग जाएगी बहुत अच्छा वर  और परिवार तुझे मिलेगा , देखना तब तू मुझे  याद करेगी और जब मै आऊंगी तो मुझे 1000/- देना ठीक है अचानक से रीमा सिसकने लगी उसने कहा आप लोग आशीर्वाद दे रहें मेरी शादी होने का पर मै शादी ही नहीं करना चाहती हूं उनके पूछने पर उसने सही सही बात बता दी तब उन सारे किन्नरो ने रीमा के आसपास घेरा सा बना लिया और सब मिल कर उसे आशीर्वाद देने लगे देखना बेटी तू इतनी सुंदर है पढ़ी लिखी है चाहे तो इन सबको इसी हालत  में छोड़ कर अपनी जिंदगी मजे में जी सकती थी पर तूने अपनी खुशी से ज्यादा अपने परिवार के प्रति अपने फर्ज को प्रार्थमिकता दी तो हम सबभी तुझे ऐसा आशीर्वाद देंगे कि तेरी शादी भी होगी और परिवार के साथ तेरा साथ भी बना रहेगा और ऐसा कहके वो किन्नर चले गए रीमा को पता नहीं क्यों पर अभी बड़ा अच्छा और हल्का लग रहा था 
          आगे जिंदगी फिर वैसे ही सामान्य तरीके से चलने लगी पर एक दिन जब रीमा अपने घर पहुंची तो उसने देखा कि उसके घर में बड़ी भीड़ जमी हुई है उसकी दोनो बहने भी दिख रही थी उसे देखते ही दोनों ने उसे गले लगा लिया उस कुछ समझ नहीं आ रहा था तभी मां ने उसका मुंह मीठा करते हुए उसका माथा चूमा और बधाई दी पूछने पर पता चला कि एक बार रीमा अपनी बड़ी बहन के घर उनकी डिलेवरी के समय गई थी तो उनके घर के फंक्शन में उसकी दीदी के देवर का कोई दोस्त था  संजय नाम का जिसने रीमा को देख कर पसंद किया था वह अपने माता पिता की इकलौती संतान था और बहुत ही रईस था उसके लिए बड़े बड़े घरों से रिश्ते आ रहे थे पर उसने रीमा के साथ ही शादी करने का फैसला ले लिया था इसी खुशी में घर में इतना हल्ला मच रहा था।
        रीमा को सुन कर  अच्छा तो बहुत लगा पर तत्काल ही उसे अपना परिवार याद आ गया । उसने अपनी दीदी से कहा कि वो संजय से बात करना चाहती है दीदी ने सहर्ष ही हां कर दी । दूसरे दिन संजय घर पर था रीमा ने सभी के सामने उस से अपने मन की बात कह दी कि मै शादी सिर्फ इसलिए ही नहीं कर रही थी कि मेरे शादी कर लेने के बाद इन सबका खयाल कौन रखेगा ,संजय ने रीमा का हांथ धीरे से अपने हाथों में लिया और कहने लगा तुम्हारी इसी विशेषता ने ही तो मुझे तुम्हारा इतना दीवाना बना दिया है रीमा , मै भी कभी शादी इसीलिए नहीं करना चाहता था कि मेरी होने वाली पत्नी  मेरे मम्मी पापा का अच्छे से ध्यान रखेगी की नहीं पर मैंने तुम में वो निराली बात देखी जो बेटी अपने परिवार के लिए अपना सुख त्याग सकती है वो अपने ससुराल  के लोगो का कभी बुरा नहीं कर सकती और रही तुम्हारे घर के लोगो की बात तो तो ये बात जान  लो कि मै आज इसी वक़्त से तुम्हे ये वादा करता हूं कि तुम्हारे परिवार को मै कभी भी तुम्हारा परिवार नहीं बल्कि अपना परिवार ही मानूंगा और उन सबका खयाल पूरी जिम्मेदारी और आत्मीयता के साथ रखूंगा । अब तो तुम मुझसे शादी करने के लिए तैयार हो ना रीमा 
रीमा को अनायास ही वे किन्नर याद आ गए और उनका आशीर्वाद मान और दिल से उनका शुक्रिया अदा कर  उसने संजय को हौले  से सर हिला कर शादी के लिए हां कर दी ।

शुभा शुक्ला निशा