सीजोफ्रीनिया जैसी घातक मानसिक बीमारी में सिविल नौकरी के लिए फिट बताना गलत:
विजय कुमार पाण्डेय
सीजोफ्रीनिया पीड़ित वायु सैनिक की संतान नौकरी पाने संबंधी स्कीम का लाभ पाने का
हकदार: विजय कुमार पाण्डेय
लखनऊ, सशत्र-बल अधिकरण, लखनऊ ने दिवंगत वायुसैनिक के पुत्र को सिविल में नौकरी
देकर समायोजित करने के लिए निर्देशित किया, मामला यह था कि स्नेह सौरव त्रिपाठी के
पिता पूर्व कारपोरल रामधन त्रिपाठी 1979 में वायु सेना में भर्ती हुए थे लेकिन उन्हें 1990
में एक्यूट साईकोसिस पर्सनालिटी डिसआर्डर सीजोफ्रीनिया नामक बीमारी के कारण मेडिकल
आधार पर डिस्चार्ज कर दिया गया, 2021 में उसका देहांत भी हो गया l वायु सैनिक के पुत्र
ने कई बार वायु सेना से मांग की कि उसको नौकरी दी जाए लेकिन वायु सेना द्वारा यह
कहकर इंकार कर दिया गया कि उसके पिता सिविल में नौकरी के लिए फिट थे इसलिए उसे
वायु सेना नौकरी नहीं दे सकती l
उसके बाद पीड़ित की माता श्रीमती सुशीला त्रिपाठी और पुत्र ने सशत्र-बल अधिकरण, लखनऊ
में मुकदमा दायर किया, सुनवाई के दौरान उनके अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने खण्ड-
पीठ के समक्ष दलील दी पीडिता का पति एक ऐसी बीमारी से पीड़ित था जिसमें, व्यक्ति का
वास्तविकता से नाता ही समाप्त हो जाता है, व्यक्ति अपने निहायत ही व्यक्तिगत संबंधों
को भी महसूस नहीं कर पाता ऐसे में यह कहना कि वह सिविल में नौकरी करने में सक्षम
था, पूरी तरह गलत है, वादिनी के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने मेडिकल डिक्सनरी
से हवाला देते हुए कहा कि यह बीमारी कई क्षेत्रों को प्रभावित करती है जिसमें व्यक्ति
स्वयं को भी पहचान नहीं पाता कि वह कौन है, ऐसी परिस्थिति में वादिनी का पुत्र
‘एम्प्लॉयमेंट असिस्टेंस इन्डिजेंट सरकमस्टांसेस स्कीम’ के अंतर्गत सिविल में नौकरी पाने
का हक़दार है l न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव और वाईस एडमिरल अभय रघुनाथ कार्वे
की खण्ड-पीठ ने दलील को स्वीकार करते हुए फैसला सुनाया कि इस बीमारी में सिविल में
नौकरी कर पाने की बात सही नहीं है क्योंकि, यह एक गंभीर मानसिक बीमरी है इसलिए
, वायु सैनिक का पुत्र वायु सेना के पांच प्रतिशत कोटे के अंतर्गत सिविल में नौकरी देने पर
विचार किया जाए क्योंकि वह ‘एम्प्लॉयमेंट असिस्टेंस इन्डिजेंट सरकमस्टांसेस स्कीम’ के
अंतर्गत आता है जिसका कि वह हक़दार है l