रोमांचकारी हवाई यात्रा
रोमांचकारी हवाई यात्रा

 

 

मैंने अपने परिजनों  व दोस्तों के साथ हवाई के विभिन्न टापूओं पर यात्रा करने की योजना बनाई। गूगल में होटल और हवाई जहाज के टिकट की उपलब्धता के अनुसार ‌ योजना को आगे बढ़ाया । आवश्यकता की सामग्री ले निकल पड़े अपने गंतव्य स्थल की ओर। सिर मुंडाते ही ओले पड़े हम में से एक साथी की कार पार्किंग की जगह ढूंढने में देरी होने की वजह से फ्लाइट छूट गई।पर बाकी लोगों को बोर्डिंग पास मिल गया साथी को स्टेंड बाय में ले कर  दूसरी फ्लाइट  से  हवाई की राजधानी होनूलूलू  भेजने का वादा कर दिया।हम लोग माऊई द्वीप की यात्रा के लिए निकल पड़े। सफर अत्यंत आनंददायी सा प्रतीत होने लगा।   हवाई जहाज से बाहर देखने पर इधर की हरियाली एवं  अद्भुत प्राकृतिक सौन्दर्य ने  मन मोह लिया।स्वर्ग सी सुंदरता और आनंद का आभास होने लगा। जब हवाई जहाज से बाहर माऊई द्वीप पर उतरे तो मालूम हुआ कि यहां गर्मी और सर्दी दोनों ही नाम मात्र की थी। बहुत ही अच्छा मौसम था घूमने लायक।


 


 

 

 

 

 

माऊई द्वीप से हम लोग काऊई द्वीप की ओर हवाई जहाज से  अग्रसर हो गये। कुछ ही दूर चले होंगे कि  हवाई जहाज में  कुछ तकनीकी खराबी आने से हवा का दबाव बहुत कम हो गया और आक्सीजन मास्क नीचे लटक  गये बाहर आ गये । ऐसा प्रतीत होने लगा कि हादसों का दौर अभी समाप्त नहीं हुआ है, लगभग २०/२५ मिनट तक हम लोग वे मास्क लगाए जीवन मृत्यु से जूझते रहे। 

 

 

 

 

किंतु विद्वान चालक ने पास के हवाई अड्डे होनूलूलू  पर आपतकालीन  लैंडिंग कर दी। हम लोगों की सांस में सांस आई और सब लोग सुरक्षित बाहर हवाई अड्डे पर निकल आए। तत्पश्चात शीघ्र ही एयरलाइन्स वालों ने दूसरा जहाज मंगवाया हम लोग काऊई द्वीप की यात्रा के लिए निकल पड़े।

इस द्वीप पर हरियाली ही हरियाली सुंदर गलीचे सी फैली हुई नजर आती है और ऊंची ऊंची श्रृंखलाओं के पर्वत दिखाई देते हैं।

काऊई  द्वीप का इतिहास बहुत  ही अनूठा है।इधर १५०० से २०००  साल  पूर्व  लोग आकर बसे थे। ओहालू द्वीप और काऊई द्वीप हवाई के प्रमुख और बड़े द्वीपों में से हैं। ओहालू द्वीप ‌‌पर होनूलूलू शहर है ।यह हवाई की राजधानी  है।किंग कामेहामेहा ने दो बार इस काऊई  द्वीप और निआऊई द्वीप पर विजय प्राप्त करने का प्रयत्न किया लेकिन वह सफल नहीं हो सका।

इस द्वीप  की  एक और अद्भुत विशेषता यह भी है कि  यहां इतने घने जंगल,पेड़ पौधे आदि होते हुए भी एक भी जंगली जानवर या पालतू पशु पक्षी नहीं दिखाई देते।हां   मुर्गे  मुर्गियों को आसानी से देख  सकते हैं। पूछने पर पता चला कि जब  सन्१९८०और१९९२में इस द्वीप पर लावा प्रस्फुटित हुआ था तो लोग मुर्गियों को जंगल में छोड़कर भाग गए थे फिर उस समय इनका जंगली जानवरों से मेल मिलाप हुआ तो ये मुर्गियां  भी जंगली  बन गई और इनका मांस पत्थर सा सख्त हो गया ये खाने लायक भी नहीं रहीं। बस ये ऐसे ही द्वीप में घूमती फिरती हैं।अन्य जानवर कुत्ते, बिल्ली, चिड़िया भी न के बराबर ही दिखाई देते हैं।


 

यहां समुद्री तट भी आकषर्क एवं चौड़े ‌‌‌‌है। सब लोग इसकोरकलिंन करने भी गए अर्थात समुद्र की सतह तक ट्यूब लगा कर गए एवं समुद्र की सतह की सुंदरता को निहारा। द्वीपों के पर्यटन स्थलों की विशेष देखभाल की जाती है और उन्हें सुंदर बनाकर रखा जाता चौड़ी स्वच्छ सड़कें हैं लोग परिवाहन के नियमों का विधिवत पालन करते हैं। अमेरिका जैसे अनुशासित देश के‌ ये द्वीप भी बहुत ही  अनुशासित है। प्रत्येक द्वीप की अपनी कुछ अनूठी विशेषताएं हैं। यहां बहुत शांति सुकून मिलता है।


 

 

 

काऊई  द्वीप में दक्षिण भारतीय शैली पर आधारित आगम सिद्धांतो पर शैल मंदिर है। दक्षिण भारत के स्वामी  सुब्रमण्यम को एक बार सपना आया कि काऊई द्वीप के कापा शहर में भगवान शिव की मूर्ति है खोजने पर मूर्ति मिली फिर उन्होंने उस मूर्ति की स्थापना मंदिर में की ।हिन्दुओं  का  यह मंदिर यहां बहुत प्रसिद्ध है।इस मंदिर के बाहर विष्णु जी की विशाल मूर्ति है जो बरगद के ५पेडों की जटाओं से घिरी हुई है। ऐसा लगता है  जैसे भगवान बुद्ध का साधना स्थल हो।मन को अपार शांति प्राप्त होती है।इधर ही मंदिर  भी है जो १९८०में वी Vगनपति आकार में बनवाया गया। शिल्पकारी के लिए ४०००ब्लोकस ग्रेनाइट के ,१९९०में भारत के बंगलोर शहर से लाये गये थे। वृक्षों से घिरा होने व हरियाली होने और शहर से दूर होने के कारण लोगों को आत्मिक शांति प्रदान करता है।  यहां गाडियों का शोर शराबा और फेक्ट्रियों का धुआं आदि कुछ नहीं है । मंदिर के पास ही रूद्राक्ष के वृक्षों का जंगल  खड़ा है।ये सब वृक्ष  ख़ासतौर से ला कर रोपित किए गए हैं।


 

इस द्वीप पर बहुत से प्रपात व नदियां भी है। लोग नावों से घने जंगलों से हो कर  सुंदर प्रपातो तक पहुंचते हैं।सर्फिंग और पहाड़ों पर चढ़ते भी है। यहां पहाड़ों का कटाव ऐसा प्रतीत होता है जैसे गुफा नहीं हो कोई जानवर मुंह खोले खड़ा  हो। इस द्वीप पर सुंदर लुभावने बीच व विशालकाय पहाड़ द्वीप की शोभा दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ाते हैं।


 

 

इस द्वीप पर लोगों के घर भारतीय लोगों के बंगले जैसे होते हैं। ऊंची ऊंची इमारतें नहीं है। ये लोग अपनी उदर पूर्ति आपूर्ति हेतु अपने बंगले के आसपास छोटी मोटी जरूरत की साग सब्जियां फल आदि लगा लेते हैं। काफी अधिक पैदा करते हैं। लाल मिट्टी होते हुए भी जमीन  बहुत उपजाऊ है पर खेती  का व्यवसाय नहीं करते हैं।अन्य लोगों के लिए खाद्य पदार्थ आसपास के देशों से आते है।

 

 

 

हवाई  अनेक द्वीपों का समूह है। समस्त द्वीप लावा द्वारा ही बने हैं।कुछ स्थानों पर अभी भी जीवित लावा प्रस्फुटित होते हुए देखने को मिलते हैं।  हवाई द्वीप में अभी भी ज्वालामुखी धधक रहे हैं। हमलोगो को बताया गया कि हवाई द्वीप के किलुआ ज्वालामुखी पर बना तालाब है उसमें कभी भी बड़ा विस्फोट होने की संभावना है। हवाई के द्वीपो  में सक्रिय ज्वालामुखी है।  

 

प्रमुख ७ द्वीप है।

 

बीग द्वीप हवाई है  

माऊई द्वीप ७२७  मील वर्गक्षेत्र  फल  में फैला हुआ है। यह दूसरा बड़ा द्वीप है।

अन्य द्वीप है--ओआहू द्वीप

                  काऊई द्वीप

                  मालोकाई द्वीप

                    लानाई द्वीप

                   निहाऊ द्वीप

                    काहूलावा द्वीप

ओआहू द्वीप पर ही होनूलूलू है। हवाई की ज्यादा आबादी यही रहती हैं।

पापोहाकू तट हवाई में सफेद मखमली रेत के सबसे लंबे तटों में से हैं।

 

यहां के लोगों का जीवन बहुत सीधा सादा है।इनकी राजकीय भाषा अंग्रेजी है किंतु ये लोग चीनी, जापानी व हवाइयन भाषा ही बोलते हैं।

   अलोहा- स्वागत

   महालो- धन्यवाद

ये दो शब्द हम लोगों ने भी सीख  लिए थे। 

यहां के लोगों को फूलों से बहुत प्यार है। स्त्रियां बालों में  भी अजीब तरह से  फूल लगाती हैं। घरों आदि को भी फूलों से सजाती हैं।

  

काऊई  हवाई के प्रमुख और बड़े द्वीपों में  आता ।यहां नारियल के बहुत बड़े वृक्ष है  पर यह नारियल यह सिर्फ नारियल  के वृक्षों की वजह से  प्रसिद्ध है बल्कि यह रोयल द्वीप है इधर सभी टूरिस्ट आते   हैं।  

दुनिया का सबसे  ऊंचा समुद्री पहाड़ भी  यही है। हवाई के द्वीपो में बहुत सुंदर रोमांचकारी जगह भी है । लोग शादी करके इधर आते हैं। पृथ्वी का स्वर्ग है हवाई।