आजादी (कविता)

देश आजाद हुआ तब-


हमने स्वप्न  देखे थे?


हमारी अपनी सरकार होगी,


 रोजी-रोटी की आजादी होगी।


धंधा व्यापार खूब चलेगा,


भाई -भाई मिलकर रहेगा।


क्या पता था आज आज इतनी बोनी होगी।


हमें अपनी ही बेटी की इज्जत खोनी होगी।


कृष्ण भी अब लाज बचा पाता नहीं,


बैरागी राम किसी को भाता नहीं। 


रावण और दु:शासन को पूजा जाता है,


जगह-जगह अपहरण, चीरहरण  किया जाता है।


देवदूत ने आकर बताया- राम -रहीम एक है,


ऐसे स्वर्ग में जगह -जगह शिलालेख है।


अरविंद के मिश्रा