पुनर्जन्म

समीर साहनी पलंग के किनारे कुर्सी पर बैठा डंकन रिची के होश में आने का इन्तजार कर रहा था | समीर ने अपनी आँखे बन्द कर रखीं थी -- मन-मस्तिष्क में पुरानी यादें चित्रपट पर किसी फिल्म की तरह उभर रहीं थी | रिची से हुई पहली मुलाकात उसकी स्मृति में साकार हो गई थी |


उस दिन सरिता समीर को लेने स्कूल आईं थी, देखा रिची रो रहा है | खेलते हुए गिर जाने से उसके हाथ में चोट लग गई थी | मिस फ्लोरा उसे गोदी में लिए चुप करा रहीं थी | उसे रोता देख कर सरिता का ममत्व जाग उठा और उन्होंने मिस फ्लोरा से उसे अपनी गोदी में ले लिया | रिची चुप हो गया पर गोदी से उतरने को तैयार नहीं हुआ | हार कर उन्हें उसे अपने साथ घर पर लाना पड़ा | मिस फ्लोरा ने रिची के डेड जैकब से बात कर उन्हें साथ ले जाने की अनुमति दी थी | उस दिन उन दोनों के बीच दोस्ती का जो अंकुरण हुआ वह हर बीतते पल के साथ अपनी जड़ें फैलाता गया |


चार साल की उम्र में दोनों मेगनम स्कूल में एक साथ पी०के० में इनरोल हुए थे तथा एक ही सेक्शन में थे | दोपहर में सरिता समीर को लेने स्कूल जातीं तो कुछ समय रिची के साथ जरूर बितातीं | रिची को स्कूल टाइम के बाद वहीं डे केयर में रुकना पड़ता था | उसके डेड ऑफिस टाइम के बाद शाम को छ: बजे उसे डे केयर से लेते हुए घर लौटते थे |


स्कूल में दोनों साथ-साथ बैठते, साथ-साथ खेलते और साथ-साथ लंच करते | मेगनम में वैसे तो सभी बच्चों के खाने की व्यवस्था रहती थी लेकिन समीर अपने साथ टिफिन लेकर आता था | रिची स्कूल में मिलने वाले सेण्डविच, बर्गर, हॉट-डॉग, पिज्जा या फिर रोस्टेड चिकन ही खाता | वह समीर के टिफिन को अक्सर उत्सुकता से देखता | धीरे-धीरे रिची भी समीर का टिफिन शेयर करने लगा | दही पराँठे और इडली उसे विशेष रूप से भाने लगे | आँवले और नींबू का मीठा आचार उसे केचप से ज्यादा अच्छे लगते | सरिता भी समीर के टिफिन में रिची की पसन्द के व्यंजन रखने लगीं | सरिता लगभग हर दिन समीर को लेने स्कूल जातीं और रिची से मिले बिना शायद ही लौटतीं -- गोदी में लेकर प्यार से सिर पर हाथ फेरतीं | खोया-खोया सा दिखने वाला रिची सरिता का स्पर्श पाकर प्रफुल्लित नजर आने लगता, पर जैसे ही वह जाने को होतीं, रिची उदास हो जाता |


कई बार उन्होंने रिची की आँखों में उतरती उदासी को पढ़ा था | वह बेचैनी अनुभव करती पर रोज-रोज रिची को साथ ले जाना सम्भव नहीं था - जैकब पता नहीं क्या समझें | वह रिची की उदासी का कारण जानना चाहतीं थी पर कैसे पता करें वह | रिची की माँ को तो उन्होंने कभी देखा ही नहीं था |


समीर और रिची दोनों ने मेगनम से पाँचवी तक शिक्षा ली | इसके बाद दोनों का ही एडमीशन स्कॉट्स रिज मिडिल स्कूल में हो गया | स्कॉट्स रिज मिडिल स्कूल रिची के पापा जैकब के ऑफिस के पास ही मिडिल टाउन में था इसलिये उन्होंने रिची का एडमीशन वहाँ कराया था | समीर रिची के साथ ही पढ़ना चाहता था | दोनों के बीच मित्रता का रिश्ता इतना प्रगाढ़ हो चुका था कि एक दूसरे से दूर जाने की बात पर ही दोनों रो देते थे | सरिता की भी इच्छा थी कि दोनों साथ ही पढ़ें |


पिछले छह-सात सालों में वह भी रिची से काफी हिलमिल गई थी | जबसे उन्हें रिची की उदासी का कारण पता चला था वह रिची का विशेष ध्यान रखने लगी थी | रिची की माँ जेन ग्रेस रिची को उस समय छोड़कर अपने नए ब्यॉय फ्रेण्ड एरिक रियान के साथ चली गई थी, जब वह केवल दो साल का था | उसके पापा जैकब भी जेन के जाने के बाद अपनी दोस्त नेंसी ग्लोरिया को घर ले आए थे | नेंसी की तीन साल की एक बेटी - लीसा भी थी | जेन के जाने के बाद और लीसा के प्रति जैकब के अतिरिक्त झुकाव ने रिची के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ा था, यद्यपि वह रिची का भी पूरा ध्यान रखने की कोशिश करते थे | अमेरिकी समाज की इस स्वेच्छाचारिता ने रिची को बहुत अकेला कर दिया था | वह स्वयँ को उपेक्षित महसूस करने लगा -- उसकी आँखों में उदासी ने स्थाई रूप से अपनी जगह तलाश ली थी | सरिता ने कभी नेंसी को नहीं देखा था और नेंसी भी कभी स्कूल किसी कार्यक्रम में नहीं आई थी | जैकब के अतिरिक्त केवल लैरी ही स्कूल में रिची से मिलने आया करता था | लैरी रिची की माँ जेन का भाई था और वह ही रिची को कभी-कभी जेन से मिलाने या आउटिंग पर ले जाता था |


रिची अक्सर ही वीक एण्ड्स पर सरिता के यहाँ आने लगा था | कभी-कभी जैकब उसको छोड़ जाते या समीर के साथ जाके विपुल उसे ले आते थे | सरिता के यहाँ आकर रिची न केवल खुश रहता था अपितु समीर और सिया के साथ मिलकर बहुत मस्ती भी करता था | तीज-त्योहारों पर सरिता खासतौर पर रिची को बुलवा लेती थी | होली, रक्षाबन्धन और दीपावली उसे बहुत अच्छे लगते थे | खासतौर पर रक्षाबन्धन --  वह समीर के हाथ पर सिया द्वारा बाँधी गई रंग-बिरंगी राखी देखता तो अपने हाथों की ओर देख कर उदास हो जाता और फिर समीर के हाथ अपने हाथों में लेकर निहारता रहता | राखी छूकर देखता | भाई-बहिन का ये प्यार भरा बन्धन उसके लिए किसी अजूबे जैसा ही था | समीर सिया के पैर छूता तो उसे गहन आश्चर्य होता | आश्चर्य तो उसे अनेक बातों पर होता - जब वह सबको दादी के पैर छूते देखता, भगवान को सबसे पहले प्रसाद चढ़ाते देखता, शाम को पूरा परिवार मिलकर आरती गाता और कभी-कभी समीर को दादी के पैर दबाते देखता | सबसे ज्यादा आश्चर्य तो उसे इस बात पर होता था कि समीर का पूरा परिवार शाकाहारी था लेकिन उसके लिए कभी-कभी गिल्बर्ट वुड्स रेस्टॉरेंट से चिकन सेण्डविच मँगाए जाते थे और सब एक ही टेबल पर बैठ कर खाते थे | सिया समीर की ही भाँति उसे भैया कहकर बुलाती और सरिता उसे कभी-कभी रिची बेटा कह बैंठती | उसने तो अपने घर में शुरु से सबको नाम लेकर ही पुकारते देखा था | वह भी सरिता को मिसेज सरिता और विपुल को मिस्टर विपुल कह कर ही बुलाता था | समीर के साथ रहते हुए उसने भी बहुत से भारतीय रीति-रिवाजों को समझ लिया था | दादी को जब उसने पहली बार मिसेज कुलवंत के स्थान पर दादी कह कर बुलाया था तो उन्होंने भी भावुक होकर उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया था | इसके बाद वह सरिता और विपुल को भी ऑण्टी और अंकल कह कर बुलाने लगा |


अगले रक्षाबन्धन पर भी रिची हमेशा की तरह समीर के घर आया था | समीर के हाथों पर जब सिया राखी बाँध रही थी तब सरिता ने रिची के चेहरे पर उतर रही उदासी को महसूस किया | वह उसे दादी के पास ले गईं -- उन्होंने ही उससे पूछा - "वुड यू लाइक टू टाइ ए राखी ऑन योर रिस्ट"


रिची के मुँह से शब्द नहीं निकले लेकिन आँखों ने मन की बात कह दी | सिया ने उसे बैठाकर आरती उतारी, राखी बाँधी और मुँह मीठा कराया तो उसने भी सहमते हुए सिया के पैर छू लिए | सिया ने उसे उठाकर गले से लगा लिया तो उसकी आँखों से आँसू बह निकले | सरिता काफी देर तक उसकी पीठ पर हाथ फेरती रही और वह सुबकता रहा | अगले दिन स्कूल के बाद वह सरिता के साथ ही घर आ गया | बस्ते में छुपाकर वह एक  फोटोफ्रेम ले कर आया था सिया के लिए रक्षाबन्धन की गिफ्ट |


इसके बाद तो रिची जैसे साहनी-परिवार का सदस्य ही हो गया था | वह विपुल और समीर के साथ मिलकर लॉन-मॉनिंग में मदद करता, वेक्यूम-क्लीनिंग में हाथ बँटाता और ठण्ड के दिनों में वॉक-वे से स्नो क्लीन करवाता | जब वह अपने घर पर रहता तो कमरे में बन्द रहता और अक्सर ही ब्रेकफास्ट मिस कर देता | समीर के यहाँ आकर वह प्रफुल्लित रहता -- ऊर्जा से सराबोर, खूब खाता-पीता भी | कभी-कभी वह विपुल, समीर और सिया के साथ ही स्वीमिंग पुल भी जाता और रग्बी मैच देखने भी | समीर के साथ चेस और डार्ट भी खेलता | चेस में तो वह अक्सर हार जाता पर डार्ट में उसका कोई सानी नहीं था | उसका निशाना कभी मिस नहीं होता | 


नए स्कूल में बमुश्किल दो माह ही बीते थे कि एक घटना ने सबको दहला दिया | वह अक्टूबर के आखिरी दिन की दोपहर थी जब हेलोवीन समारोह के दौरान आठवीं के एक छात्र रोसेर ब्राउन ने जेब से गन निकाल कर फायर कर दिया | स्कूल में भगदड़ मच गई | जिसे जहाँ जगह दिखी वहीं छुपने का प्रयास करने लगा | ब्राउन के ऊपर शैतान सवार था जैसे - वह भागते हुए अन्धाधुन्ध फायर कर रहा था | इस घटनाक्रम से हतप्रभ समीर भागते हुए अचानक ही ब्राउन के सामने आ गया | ब्राउन ने जैसे ही उसपर निशाना साधा रिची पीछे से आकर ब्राउन के पैरों से लिपट गया और उसे नीचे गिरा दिया | ब्राउन के नीचे गिरते ही टीचर्स ने दबोच लिया | तब तक एक बच्चे की मौत हो चुकी थी और तीन बुरी तरह जख्मी हुये थे | रिची के ऊपर ही ब्राउन के गिरने से उसकी बाईं कलाई में फ्रेक्चर हो गया था और सिर में भी चोट लगी थी | अपनी जान पर खेलकर उसने अपने प्रिए दोस्त समीर की जान बचाई थी | इसके बाद कई दिनों तक वह स्कूल नहीं आ पाया था -- समीर को भी सदमें से उबरने में एक सप्ताह से ऊपर लग गया |  लैरी के साथ एक बार जेन उससे मिलने आईं थी | तब पहली बार समीर ने उसकी माँ को देखा था | उसी समय दोनों को पता चला कि वह अपने नए ब्यॉय फ्रैंड हेनरिक स्कॉट के साथ नार्थ केरोलीना शिफ्ट हो रही है | यह सुनकर समीर को दुख हुआ किंतु रिची के चेहरे के भाव अपरिवर्तित ही रहे | उसका और जेन का रिश्ता था भी कितना -- बर्थ डे विश और मदर्स डे तक सीमित - मुलाकात भी होती तो घण्टे-दो घण्टे के लिए | शुरु में तो रिची उन्हें बहुत मिस करता था लेकिन बाद में उसने परिस्थितियों से समझौता कर लिया था -- नौ सालों में ही माँ अपने तीसरे ब्यॉय फ्रैंड के साथ चली गई थी |


उस घटना के बाद रिची समूचे स्कूल का चहेता हो गया | समीर को बचाने के लिए किया गया उसका प्रयास लम्बे समय तक चर्चा का विषय रहा | उस साल उसे स्कूल का बेस्ट स्टूडेण्ट अवॉर्ड भी मिला और गवर्नर का गेलेण्ट्री मेडल भी | समय गुजरता रहा -- दोनों क्लास दर क्लास आगे बढ़ते हुए हाई स्कूल फायनल में पहुँच गए | उस समय तक रिची पढ़ाई के साथ ही बीजे स्टोर में पार्टटाइम जॉब भी करने लगा था | उसने बताया था कि डेड ने पढ़ाई और जेब खर्च के लिए उसे पार्टटाइम जॉब करने के लिए कहा है | इस उमर में बहुत से अमेरिकी बच्चे इस तरह का जॉब करने लग जाते हैं | समीर हाई स्कूल के बाद येल यूनिवर्सिटी से मैनेजमेण्ट की डिग्री लेना चाहता था लेकिन रिची असमंजस में था | उसके डेड की इच्छा थी कि रिची हाई स्कूल के बाद फुलटाइम जॉब करे जबकि लैरी ने उसे फिल्मों में काम दिलाने का वादा कर रखा था | लैरी का लुइसविले में एक फिल्म निर्माण स्टूडियो था जिसमें उसके दो साथी पार्टनर थे | लैरी डाक्यूमण्ट्री और शॉर्ट फिल्में बनाता था तथा फीचर फिल्म के लिए प्रोड्यूसर की तलाश में था | फिल्मों के लिए वह खूबसूरत चेहरों की तलाश में अक्सर एवोन, बर्लिंगटन, बोस्टन, हेम्पशायर के साथ ही कई अन्य शहरों में जाता रहता था |  लैरी ने रिची के साथ ही समीर को भी फिल्म में काम करने का ऑफर दे रखा था, पर रिची को पहले ब्रेक देना चाहता था |


जून माह का पहला रविवार था उस दिन | इम्तहान के बाद स्कूल की छुट्टियाँ हो चुकी थी | बीजे जाने की उसकी इच्छा नहीं थी -- रात से ही उसके पेट में हल्का-हल्का दर्द हो रहा था | पिछले तीन-चार माहों में कई बार उसे पेट दर्द की शिकायत हो चुकी थी | वह अपने कमरे में लेटा जस्टिन वीबर को सुन रहा था कि लैरी आ गया | आते ही बोला - "डियर, गेट रेडी क्विकली -- आई हेव शिड्यूल्ड ए फोटो शूट फ़ार यू -- इफ यू पास्ड द स्क्रीन टेस्ट - यू विल बी फीचर्ड इन अवर नेक्स्ट फिल्म वेरी सून"


रिची सुन कर उत्साहित हुआ | फिल्म में काम करने को लेकर वह पहले से ही रोमांचित था | पेट दर्द भूल कर वह उठ बैठा और पाँच मिनट में ही चलने को तैयार हो गया | लैरी से उसने समीर को भी साथ ले चलने के लिए कहा पर उसने "नेक्स्ट टाइम" कह कर टाल दिया | दो घण्टे की ड्राइव के बाद दोनों लुइसविले के स्टूडियो में थे | इस बीच रिची का पेट दर्द कमर तक फैल गया था लेकिन वह सहन कर रहा था |


स्टुडियो के अन्दर प्रवेश करते ही रिची को सब कुछ अटपटा सा लगा | वहाँ उपस्थित हर इंसान उसको अजीब निगाहों से देख रहा था | कुछ तो लैरी की ओर देखते हुए मुस्करा रहे थे | एक हाल के सामने आकर लैरी रुक गया और रिची को वहाँ सोफे पर बैठाकर दाहिने हाथ पर बने कमरे के अन्दर चला गया | रिची हाल में लगी तस्वीरों को देखने लगा | जैसे-जैसे वह तस्वीरों को देख रहा था उसका दिल बैठता जा रहा था - लैरी उसे कहाँ ले आया | विभिन्न कोणों से ली गईं उसके हम उमर लड़के और लड़कियों की दर्जनों अर्द्धनग्न और नग्न तस्वीरें वहाँ टँगी हुई थी | वह इन तस्वीरों को देखकर पशोपेश में था -- अनेक अमेरिकन फिल्मों में उसने किसिंग और सेक्स के अन्तरंग सीन देखे थे पर ये तस्वीरें कुछ और ही कहना चाह रहीं थी -- पर क्या -- वह समझ नहीं पा रहा था | ठण्डे मौसम में भी उसके माथे पर पसीना आ गया -- घबराहट में उसने की-होल से उस कमरे के अन्दर झाँक कर देखा जिसके अन्दर लैरी गया था | वहाँ का सीन देख कर वह काँप गया और तेजी से पलट कर भागने लगा | इस हड़बड़ाहट में उसे पेट में असहनीय दर्द हुआ और वह टेबल से टकरा कर गिर गया | इसके बाद उसे कुछ पता नहीं कि क्या हुआ उसके साथ | जब उसे होश आया तो सबसे पहले उसकी निगाह सरिता पर पड़ी -- फिर दादी, विपुल, सिया और समीर पर अटक गई | जैकब और लैरी दूसरी ओर बैठे हुए थे |


"व्हाट हेपेण्ड टू यू माई डियर - यू हेव शेकेन आल ऑफ अस - हाऊ आर यू फीलिंग नाऊ" - सरिता ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा |


रिची ने सरिता की ओर देखते हुए उठने की कोशिश की | नर्स ने उसे लेटे रहने का इशारा किया | डॉक्टर डेविडसन भी उसी समय आ गए - "मि० रिची -- इज देयर एनी एब्डोमेनल एण्ड बेक पेन"


"येस मि० डेविडसन -- आई एम स्टिल फीलिंग इट -- इन लोअर एब्डोमेन एण्ड बेक -- लाइक समथिंग स्क्वीजिंग इनसाइड" - रिची ने रुक-रुक कर बोलते हुए कहा जैसे दर्द के कारण उसे बोलने में तकलीफ हो रही हो |


"टेक रेस्ट -- वी हेव टू कण्डक्ट सम टेस्ट टू मेक क्लीयर अवर डाउट -- बी रेडी इन द मॉर्निंग एट नाइन" - कहते हुए डेविडसन नर्स को कुछ समझाने लगे |


लैरी रिची के सामने आने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था | जैकब उसका हाथ पकड़ कर इतना ही कह सके - "बी ब्रेव सन, एवरीथिंग विल बी फाइन"


दो दिनों तक रिची के बहुत से टेस्ट हुए | समीर पूरे समय रिची के साथ ही रहा | सरिता भी अधिकांश समय हॉस्पिटल में ही थी | तीसरे दिन रिची की तबियत कुछ ठीक लगने लगी थी यद्यपि थोड़ा-थोड़ा दर्द था ही | रिची बेड पर टिक कर बैठा था | बोला - "यू नो समीर -- इफ आई उड'ण्ट हेव फालेन अनकांशस देट डे -- आई उड हेव लेण्डेड इन डीप ट्रबुल"


समीर आश्चर्य से उसकी ओर देखने लगा, उसकी आवाज में उतावलापन उतर आया - "टेल मी इन डिटेल -- व्हाट हेपेण्ड एक्चुअली"


"आई काण्ट इमेजिन इट -- यू नो -- मि० लैरी हेज टेकन मी टू लुइसविले फॉर स्क्रीन टेस्ट - ही प्रॉमिस्ड मी एन एक्टिंग एसाइनमेंट इन एन अपकमिंग मूवी -- ही आलवेज प्रेजेण्टेड हिमसेल्फ एज ए फिल्म प्रोड्यूसर एण्ड करेक्टर आर्टिस्ट --" बोलते बोलते रिची की साँस फूलने लगी थी | समीर ने सहारा देकर उसे सीधा बिठाया | थोड़ी देर बाद उसने कहना शुरु किया - "यू नो -- व्हाट ही वाण्टेड टू डू मी -- इट्स वेरी पेनफुल टू से --- ही वाण्टेड टू फ़ोर्स मी ईंटू पोर्नोग्राफिक इण्डस्ट्री -- आई हेट हिम -- गॉड सेव्ड मी -- ओम जै जगदीश हरे -- व्हिच आई लिसेंड सेवेरल टाइम्स इन योर हाउस -- आई रिपीटेड इट इन माई माइण्ड -- इट गेव मी करेज --"


सुनकर समीर अवाक रह गया | वह तो लैरी को रिची का सबसे अच्छा अभिभावक समझता था | उसकी माँ का भाई था वह -- छोटे से उसने लैरी को रिची से मिलने आते-जाते देखा था -- जैकब ने भी स्कूल से लैरी के नाम का आई-कार्ड बनवा दिया था | कभी-कभी जैकब की अनुपस्थिति में लैरी ही रिची को घर ले जाता था | समीर लगातार रिची के चेहरे को देख रहा था जिस पर तनाव स्पष्ट रूप से उभर आया था | वह रिची की पीठ पर हाथ फेरने लगा - "कॉम  डाउन -- रिची -- ट्राई टू फॉर्गेट इट -- नाऊ यू आर विथ अस -- नो बडी केन टच यू -- "


"हाऊ केन आई -- समीर -- यू नो -- इट हर्ट मी सो डीप -- आई काण्ट फॉर्गेट -- नॉट इजी टू फॉर्गेट -- ही इज ए ट्रेटर -- वाज प्लानिंग फॉर ए लांग टाइम टू थ्रो मी ईंटू दिस डार्क वर्ल्ड --" कहते हुए रिची की साँस फूलने लगी | समीर ने सहारा देकर उसे लिटाया | वह उसके सिर पर हाथ फेरने लगा -- रिची ने आँखें बन्द कर लीं | थोड़ी देर बाद वह सो गया |


रिची की रिपोर्ट्स आ गईं थी | रिपोर्ट्स के बारे में जानकर सबके चेहरे लटक गए | समीर के आँसू थम नहीं रहे थे | सरिता भी व्यथित थीं और विपुल भी | जैकब ने यद्यपि शब्दों में अपने को व्यक्त नहीं किया था लेकिन चेहरा देखकर उनके अन्दर उफन रहे तूफान को समझा जा सकता था | सभी मायूस से रिची के पास बैठे हुए थे | रिची का केस अपने आप में अद्भुत किस्म का था | जन्म से एक ही किडनी थी उसके तथा दूसरी भी केवल अस्सी प्रतिशत काम कर रही थी |


"माँ अब क्या होगा" - समीर की व्याकुलता उसके स्वर से झाँक रही थी |


सरिता कुछ उत्तर दे पातीं इससे पूर्व ही रिची की मन को दृवित करने वाली कराह सुनाई दी | वह दर्द से छटपटा रहा था - संभवत: उसने सबकी बातें सुन ली थीं -- उसने सरिता का हाथ पकड़ कर कहा - "मिसेज सरिता -- नो -- सॉरी -- सरिता ऑण्टी -- आई डोंट वांट टू डाई -- प्लीज सेव मी"


सरिता बमुश्किल अपने आँसूओं को रोकते हुए उसका हाथ दबाने लगीं - "कीप  पेशेंस -- यू आर माई ब्रेव सन -- नथिंग रॉंग विल हेपेन -- आई एम हेयर टू लुक आफ्टर यू --" कहते हुए सरिता की आवाज भर्राने लगी | जैकब ने अपना मुँह मोड़ लिया | रिची के कराहने की आवाज बढ़ती जा रही थी |


नर्स ने सरिता को छोड़ कर सबको बाहर जाने को कहा -- रिची को दूसरे रूम में शिफ्ट कर दिया गया जिसमें डायलिसिस की व्यवस्था थी |


डायलिसिस के बाद रिची सोया हुआ था कि डॉक्टर डेविडसन आ गए |


"मि० जैकब - हिज कण्डीशन इज नॉट सेटिसफेक्टरी -- ही हेज टू बी ऑन डायलिसिस थ्राइस ए वीक - बेटर टू फाइण्ड ए डोनर एट अर्लिएस्ट पॉसिबल - से -- विदिन टू वीक टाइम"


सुनकर जैकब को आघात लगा | उनके सामने वह दृष्य साकार हो उठा -- कैसे उन्होंने रिची को जेन के साथ जाने से रोका था और उसकी परवरिश पर भी पूरा ध्यान नहीं दे सके थे - उनका जॉब ही कुछ ऐसा था कि चाह कर भी ज्यादा समय नहीं दे पाए थे कभी | कितना अकेला महसूस करता था रिची -- यदि समीर और उसके परिवार का साथ नहीं मिला होता तो वह टूट ही जाता -- वह रिची को इस तरह खोना नहीं चाहते थे | कुछ सोचते हुए बोले - "डाक्टर -- केन आई डोनेट माई किडनी"


"वेल -- बट वी हेव टू केरी सम टेस्ट्स बिफोर टेकिंग एनी डिसीजन" - डॉक्टर डेविडसन बोले |


"सी डॉक्टर - मि० जैकब इज टू ओल्ड टू डोनेट -- आई एम आलमोस्ट ऑफ रिची'ज एज -- यू केन गो अहेड विथ माई किडनी" - समीर ने बीच में टोकते हुए कहा | सरिता और विपुल उसकी ओर देखने लगे |


"नो मि० समीर -- यू काण्ट डोनेट"


"व्हाई डॉक्टर"


"लॉ डज'ण्ट परमिट इट -- पर्सन बिलो 25 काण्ट डोनेट -- मि० जैकब -- कम प्रेपेयर्ड टूमारो -- वी विल केरी रिक्वार्यड टेस्ट्स"


"ओके डाक्टर" - जैकब ने कहा | डॉक्टर के जाने के बाद उन्होंने समीर को गले से लगा लिया - "गॉड ब्लेस यू" - कहते हुए उनकी आँखें भीग गई | वह ज्यादा देर वहाँ रुक नहीं सके |


जैकब की रिपोर्ट्स से पता चला उनका बिलुर्बिन बढ़ा हुआ है अतएव उनकी किडनी रिची को पुनर्स्थापित नहीं की जा सकती | वह दो दिन से रिची को देखने भी नहीं आ रहे थे | सरिता और समीर ही उसकी देखरेख कर रहे थे | उस समय समीर कहीं गया हुआ था | सरिता अपनी गोदी में रिची का सिर रखे सहला रही थी | रिची उनकी आँखों में देखते हुए बोला - "आई डोण्ट बिलीव इन रीइनकार्नेशन .. बट टू डे आई वॉण्ट टू बिलीव इन इट .."


"वी इण्डियंस बिलीव इन रिबर्थ डियर"- सरिता बोली |


"यस आई नो" - रिची ने कहना जारी रखा - "आई डोण्ट नो -- वेदर आई एवर रिटर्न होम ओर नॉट -- दिस पेन एनी डे टेक मी अवे फ्रॉम यू आल -- ओ' गॉड -- प्रॉमिस मी  .. इफ़ आई बोर्न अगेन .. आई मस्ट बोर्न फ्रॉम योर वॉम्ब मिसेज सरिता -- ऑण्टी .. - नो -- सरिता माँ --." कहते कहते रिची रोने लगा | सरिता की आँखों में भी आँसू छलक आए |


"नो बच्चा -- नो -- टिल आई एम हेयर -- नो बडी केन टेक यू एनी व्हेयर -- नथिंग विल हेपेन टू यू -- यू आर माई ब्रेव सन -- " सरिता की आवाज भर्राने लगी |


"डोंट क्राई -- मॉम" - कहते हुए रिची अचानक अचेत हो गया |  नर्स डायलिसिस देने की तैयारी करने लगी |


सरिता एक ओर खड़ी भारी मन से सब देख रहीं थी | समीर भी तब तक आ गया | सरिता ने विपुल से फोन पर बात की -- फिर जैकब से | एक भरपूर नजर रिची के पीतवर्णी चेहरे पर डाली और तेज कदमों से कमरे से बाहर निकल गई | जब वापस आईं तो डॉक्टर डेविडसन उसके साथ थे | विपुल और जैकब भी आ चुके थे |


"यू टेक माई किडनी एण्ड सेव माई चाइल्ड मि० डेविडसन" - सरिता का कण्ठ भीगा हुआ था | डेविडसन और जैकब ने एक साथ आश्चर्य से उनकी ओर देखा | 


"आर यू स्योर मिसेज सरिता -- थिंक वंस अगेन" - डॉक्टर डेविडसन बोले | जैकब ने भी उनसे पुन: सोचने के लिए कहा |


"आई एम स्योर डॉक्टर - नो नीड ऑफ़ सेकेण्ड थॉट - यू केन शिड्यूल द आपरेशन" - सरिता के स्वर में दृढ़ता थी |


"ओके मिसेज सरिता -- टू मारो वी विल कण्डक्ट टेस्ट्स टू सी सुइटेबिलिटी ऑफ योर किडनी" - डॉक्टर डेविडसन बोले |


"स्योर डॉक्टर -- यू विल नॉट फाइण्ड एनीथिंग रॉंग -- ही इज माई सन -- आई एम हिज मदर"


डॉक्टर डेविडसन और जैकब रिची के प्रति सरिता का भावनात्मक लगाव देखकर अभिभूत हो उठे | जैकब की आँखों में तो आँसू उतर आए - ये कैसा रिश्ता है सरिता और रिची के बीच - जेन -- रिची को जन्म देने वाली माँ -- दो दिन से ज्यादा हो गए -- उसने कोई उत्तर भी नहीं दिया -- कितनी उम्मीद के साथ फोन किया था उसे -- विश्वास था सुनकर वह दौड़ी आएगी और किडनी देकर अपने बेटे को बचा लेगी -- देखने भी नहीं आई -- नेंसी से तो उसे भी उम्मीद नहीं थी -- लेकिन सरिता -- वह तो उनकी कोई नहीं -- इस देश की भी नहीं -- धर्म भी अलग -- वह तो उस देश की है जिसे हम लोग संपेरों, भूखों-नंगों, लाखों देवी-देवताओं और धार्मिक उन्मादियों का देश बोलते हैं -- लेकिन इंसानियत का ऐसा सारोकार -- ऐसा जज्बा -- न कभी सुना और शायद कभी सुनने को भी न मिले --  एक ऐसा रिश्ता, जिसका कोई नाम भी नहीं है -- कम से कम अमेरिकी समाज में तो नहीं ही है -- उसके बेटे का दोस्त ही तो है रिची -- इस नाते उससे सहानुभूति होना तो स्वाभाविक है - दिन-रात सेवा करना भी समझा जा सकता है -- पर अपने महत्वपूर्ण अंग को खुशी-खुशी दे देने के संकल्प को क्या कहा जाए -- उसके परिवार के किसी सदस्य ने भी लेशमात्र आपत्ति नहीं की उसके इस निर्णय पर -- केवल माँ सम्बोधन सुनकर ही इतना बड़ा त्याग -- यदि सचमुच रिची की माँ होती वह तो पता नहीं क्या कर डालती -- शायद देवियाँ ऐसी ही होती होंगी -- कभी सोचने की जरूरत ही नहीं समझी थी किसी देवी के बारे में -- आज देख रहा हूँ उसे --


सात घण्टे हो चुके थे ऑपरेशन हुए -- सभी रिची और सरिता की तन्द्रा टूटने के इन्तजार में थे | रिची के बगल में ही दूसरे पलंग पर सरिता साहनी भी बेसुध लेटी थीं यद्यपि बीच में पल भर के लिए उनको होश आया था और "हाऊ इज रिची डूइंग" बुदबुदाते हुए पुन: बेसुध हो गईं थी |  डॉक्टर डेविडसन नर्स से पूरा विवरण ले रहे थे |


"माँ तुम कहाँ -" - आवाज सुन सभी रिची की ओर देखने लगे -- वह धीरे-धीरे आँखें खोलते हुए इधर-उधर देख रहा था | उसके मुँह से हिन्दी - शब्द सुन कर डॉक्टर और जैकब को हैरानी हुई -- "मैं यहीं हूँ बेटा" - अर्द्ध बेहोशी में भी सरिता के अधरों से स्वर फूट पड़े -- सभी विस्मित थे - हर सीमा से बाहर -- हर परिभाषा से परे - हर मान्यता को झुठलाता -- ये दृष्य देखकर |