ओस की बूँद सा बचपन
सूरज की धूप सा बचपन
चाँद की चाँदनी सा बचपन
मिठाई की चाँसनी सा बचपन
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पेड़ों की छाँव है बचपन
दौड़ता नंगे पाँव है बचपन
गिरता,संभालता है बचपन
पर नहीं थकता है बचपन
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उछलता कूदता है बचपन
चाँद को पकड़ता है बचपन
हाथ नहीं आता है बचपन
जाने कहाँ छिप जाता है बचपन
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फूलों सा मुस्काता है बचपन
भौंरों सा गुनगुनाता है बचपन
पक्षियों सा उड़ान भरता है बचपन
ईश्वर का गुणगान करता है बचपन
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मस्ती में झूमता है बचपन
खुशियाँ अपनी चूमता है बचपन
मिट्टी के घरोंदे ,बनाता है बचपन
सपने उसमें सजाता है बचपन
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समेट लो मुट्ठी में,अपना बचपन
लौट कर फिर न आता है बचपन
सहेज कर रख लो अपना बचपन
जाने कब बडा़ हो जाता है बचपन