लघु कथा - जीवन साथी

रीना फोन  उठाती है उसके पिता हॉस्पिटल में है इसकी जानकारी उसे मिलती है। वह अपने पति रमेश से कहती है कि "पिताजी की तबीयत ठीक नहीं है, वह हॉस्पिटल में है चलिए देख कर आते हैं कि उन्हें क्या हुआ है ।"
रीना का जी घबरा रहा था पिता ज्यादा सीरियस तो नहीं  बुरे ख्याल मन में आ रहे थे। हॉस्पिटल पहुँचकर डॉक्टरों से पूछा तो उन्होंने बताया कि सिवियर हार्ट अटैक था अब खतरे से बाहर हैं। अभी कुछ दिन यहीं रहना होगा। रीना ने अपने पति से कहा "आज रात मेैं पिताजी की देखभाल के लिए हॉस्पिटल में सो जाती हूँ। आप घर चले जाइए।"
      रमेश ने कहा "मैं भी यहीं रुकता हूँ।" सो दोनों रात में पिता के कमरे में सो गये।  रीना प्रेग्नेंट थी उसे गहरी नींद लग गई। आधी रात में जब अचानक नींद खुली तो उसने देखा कि रमेश पिता जी का मुँह तौलिए से पोंछ रहे थे ।उनकी यूरिन की थैली भर गई थी वह साफ कर दिया था  और पिताजी के पैर को हल्के हाथों से दबा रहे थे। अपने पिताजी की इतनी सेवा करते देख रीना भाव विह्वल हो गई और ऐसे जीवन साथी को पाकर निहाल।