बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ आगे बढ़ता भारत सड़क,परिवहन और जहाजरानी क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे का विकास खोलेगा तरक्की के रास्ते

भारत एक साथ कई युगों में जी रहा है | विकास की असमानताएं भौगोलिक वसामाजिक तौर पर विद्यमान है| आधुनिक भारत में जहाँ अनेक जगहों पर आज भीमुख्य मार्ग से गाँव पहुँचने का साधन पैदल या बैलगाडी है तो वहीँएक्सप्रेसवे पर 250 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार से दौड़ती गाडियां भी है|आज भी लाखों लोग भेड़-बकरियों की तरह बसों में लदे उबड-खाबड़ सड़क परयात्रा करने को मजबूर हैं,तो वहीँ लाखों लोग घंटे भर में विमान यात्रा केजरिये सैकड़ों किमी की दूरी तय कर लेते हैं| आर्थिकविसमता और वर्ग संघर्ष की चुनौतियाँ तोसर्वकालिक रहीं हैं. परन्तु आज जहाँएक ओर हमें वैश्विक स्तर पर चीन और अमेरिका कीतुलना में सामरिक, आर्थिकप्रतिस्पर्धात्मक संतुलन बनाए रखना है तोदूसरीओर देश केआतंरिक समस्याओंसे भी निपटना है|दुनिया भर में आर्थिक विकास दर तेजी से नीचे जा रहा है या स्थिर हो गयाहै, वहीं भारत विकास दर में, चीन से आगे निकलता जा रहा है।विशेषज्ञों कीमानें तो भारत अपने बुनियादी ढांचे में सुधार कर 2019 तक अपनीअर्थव्यवस्था को 2009 के मुकाबले, दुगुना कर सकता है|


गौरतलब है किविकसित देशों ने अपना ढांचागत आधार तो खड़ा कर लिया लेकिन उनका उपभोक्ता वर्ग सिमटता चला गया है। आर्थिक चश्मे से देखें तो दुनिया के किसी भी देशकी तुलना में भारत एक वृहत बाजार है| यही कारण है कि दुनिया भर केनिवेशक भारत कीलहलहाती अर्थव्यवस्था में हिस्सेदार बनना चाहते हैं। भारत मेंबुनियादी ढांचा अभी अर्ध-विकसित है और इसके कारण निवेशकों को विभिन्न प्रकारकी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आर्थिक विषयों के जानकारों का कहनाहै कि बुनियादी ढांचे में निवेश कुम्हार के चाक की धुरी के समान है जिसकेचारों ओर आधुनिक विकास का पहिया घूम रहा है।


ऐसे संक्रमणकाल में भारी बहुमत और अपार जन-आकांक्षाओं के साथ सत्ता मेंआई मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है "बुनियादी ढांचे का सुधार"| बुनियादी ढांचे में मुख्य रूप से सड़क, पुल, रेलवे, बंदरगाह,एयरपोर्ट, ऊर्जा, संचार, जल-मल निकास व्यवस्था, जल आपूर्ति , विनिर्माणएवं कृषि क्षेत्र आदि शामिल हैं । बीते कुछ वर्षों में सुस्त पड़ चुकेढांचागत निर्माण के क्षेत्र में मोदी सरकार की नई कवायदों के बाद कुछ जानआती दिख रही है |


सड़कनिर्माण में उल्लेखनीय तेजी


यूपीए सरकार के दौरान सड़क निर्माण जैसी महत्वपूर्ण क्षेत्र में कामरुक-सा गया था, कारण था सरकार और निजी क्षेत्र का उदासीन रवैया का होना| इसकाअंदाजा महज इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि 2012 से 2014 के बीच मात्र 5हज़ार किमी सड़क का ही टेंडर पास हो सका ,और 7किमी प्रतिदिन के औसत दर से ही सड़क बन सकी थी|लेकिन पिछले डेढ़ साल में सड़क परिवहन मंत्रालय ने सड़क निर्माण की दिशा मेंलगातार काम किया है | 7 किमी प्रतिदिन की औसत से बनने वाली सड़क यदि 18किमी प्रतिदिन बनना शुरू हो जाए तो निश्चित ही यह एक बड़ी उपलब्धि है |


इतने कम समय में इस आकड़ें तक पहुँच पाना चुनौतीपूर्ण तो रहा ही होगा | वर्तमानकेन्द्रीय मंत्रीनितिन गडकरी 'कम वक्तऔर कम लागत' में प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए अपनी विशिष्ट छवि रखते हैं और अपने मंत्रालय से जुड़े विभागों में इनोवेटिव तरीके से कामोंको अंजाम दे रहे हैं| सबसे अहम है कि सड़क व परिवहन क्षेत्र में तेजी सेनिर्णय लिया जा रहा है और काम को पूरा भी किया जा रहा है|इस संदर्भ में सड़क परिवहन सचिव विजय छिब्बर कहते हैं,“हमने सड़क क्षेत्रमें कई चुनौतियों पर ध्यान दिया है| लटकी पड़ी करीब 77 परियोजनाओं मेंसे 34 तो बंद भी हो चुकी थीं | इनमें से 18 को सरकार ने अपने पैसे सेपुनर्जीवित किया है. बाकी के लिए हम आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति सेस्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं|”


योजनाबद्ध और समन्वित तरीके से चल रहापरिवहन मंत्रालय आने वाले समय में 30किमी प्रतिदिन की हिसाब से सड़क बनानेका लक्ष्य पूरा करने की दिशा में बढ़ रहा है |मंत्रालय के कुछ बड़े निर्णयकेंद्रीय सडक परिवहन एवं राजमार्ग तथा जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी केमुताबिक मत्रालय में 3 लाख से ज्यादा प्रोजेक्ट अटके हुए थे। इनमें से 95फीसदी पारितकर दिए हैं। साल अंत तक 100 फीसदी अटके हुए प्रोजेक्टपारितहो जाएंगे। भारत चेम्बर ऑफ कॉमर्स की बैठक में नितिन गडकरी ने कहाकि सरकार देश की जीडीपी में सडक और राजमार्ग क्षेत्र से दो फीसदी कायोगदान चाहती है और इस क्षेत्र में 50 लाख नए रोजगार पैदा हों | ।


मंत्रालय ने अब तक जो बड़े निर्णय किये हैं अगर उनकी बात करें तो जिनसड़कों की लागत वसूली जा चुकी है उसका टोल टैक्स खत्म किया जा रहा है।केंद्र सरकार इस को ध्यान में रखते हुएअब तक 62 टोल प्लाजा खत्म कर चुकीहै। ट्रैफिकजाम का पर्याय बने टोल प्लाजा को भी हटाया जा रहा है। नेशनल हाईवे टोलइन्फॉर्मेशन सिस्टम ,इलेक्ट्रॉनिक टोल कनेक्शन सिस्टम और हर टोल प्लाजाको इंटरनेट से जुड़े CCTV कैमरों से जोड़ने की कवायद हो रही है । देश मेंराष्ट्रीय राजमार्गों की लम्बाई 96 हजार से बढ़ाकर 1.5 लाख किलोमीटर कियाजा रहा है ।


 


 


 


 


सड़क हादसों को कम करने की कवायद


देश की सड़कों पर होने वाले हादसे भी मंत्रालय के लिए चिंता का विषय हैं|सड़क हादसो में हर साल 150000 लोग जन गंवा रहे हैं , अरबों का आर्थिकनुकसान हो रहा हैं और इस गंभीर मसले पर आजतक व्यावहारिक और ठोसकार्ययोजना का अभाव ही दिखाई पड़ता है। वक्त की मांग है कि ट्रांसपोर्टसिस्टम को अत्याधुनिक तकनीक से लैस कर देश में सड़क हादसों को कम से कमकिया जाए। सड़क सुरक्षा के इस मुद्दे को गभीरता से लेते हुए गडकरी रोडट्रांसपोर्ट और सेफ्टी बिल पर जोर दे रहे हैं। इस बिल में विश्व भर केट्रांसपोर्ट सिस्टम से अच्छी बातें शामिल की गई हैं। ड्राइविंग लाइसेंससे लेकर रजिस्ट्रेशन तक में नई पहल के माध्यम से आरटीओ का एक बदला हुआस्वरुप आने वाले महीनो में देखने को मिल सकता है । देशभर में हादसों कीजानकारी देने के लिए टोलफ्री नंबर 1033 की शुरुआत की जा रहीहै।दुर्घटनाओं में घायल लोगों के उपचार के लिए नेशनल हाईवे पर एम्बुलेंससुविधा दी गई है। अब मोटरसाइकल पर भी पैरामेडिकल किट उपलब्ध कराया जायेगा|


हाईवे पर विगत वर्ष हुए बड़े सड़क हादसों की जांच रिपोर्ट में अत्यधिकस्पीड को प्रमुख कारण बताए जाने के बाद केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने सभीव्यवसायिक वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाए जाने के निर्देश दिए हैं। स्पीडगवर्नर के बिना कोई भी छोटा-बड़ा व्यवसायिक वाहन सड़क व हाईवे पर नहींचलने दिया जाएगा। अब तक केवल स्कूल बसों में स्पीड गवर्नर लगाए जाने काप्रावधान था। स्कूल बसों की स्पीड 40 किमी प्रति घंटा निर्धारित है।परिवहन आयुक्त शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक सभी व्यवसायिकवाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने के प्रावधान को अप्रैल 2016 से लागू कियाजाना है। भारी वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाए जाने के निर्णय के साथ ही अबकेंद्रीय परिवहन मंत्रालय स्पीड गवर्नर की गुणवत्ता की जांच भी कर रहाहै। इस जांच के बाद बेहतर क्षमता वाले स्पीड गवर्नर बनाने वाली कंपनियोंकी सूची भी सार्वजनिक की जाएगी ।


 


पर्यावरण के अनुकूल यातायात को बढ़ावा और तेल पर निर्भरता घटाने का लक्ष्य


नए साल पर नितिन गडकरी का लक्ष्य है भारत के ट्रांसपोर्ट सिस्टम कोपर्यावरण के मुताबिक बनाएं। और वह मेट्रो सिटी में ट्रैफिक जाम सेमुक्ति, पर्यावरण के लिए अच्छा काम और इलेक्ट्रिक बस कार को बढ़ावा दे रहेहैं। भारत में निर्मित पूर्णतः स्वदेशी तकनीक से बना इलेक्ट्रिक बस संसदको समर्पित किया गया । दिल्ली सहित देश भर में बढ़ते प्रदूषण को कम करनेमें ऐसी बसों की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है । साथ ही ऐसी बसेंप्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों को बचाने में भी सहायक है।भारत तेल का आयात करने वाला देश है जिसमें देश की हर आबादी के जेब सेपैसा विदेश जाता है | ऐसे में तेल पर निर्भरता खत्म करने की दिशा मेंबढ़ना वक्त की मांग है | देश भर में चलने वाली सरकारी बसों को बैटरी सेचलने वाली बसों में बदल कर तेल की खपत को बहुत कम किया जा सकता है|पायलट प्रोजेक्ट के लिए पुणे में 10 बसें तैयार की जा रही हैं जो लिथियमआयन बैटरी से चलेगी | और यदि यह परियोजना सफल रही तो सभी 150000 बसों कोबैटरी से चलने वाली बसों में बदल दिया जायेगा | प्रदूषण कम होने के साथ-साथ कच्चे तेल के आयात पर हो रहे 8लाख करोड रूपये का खर्च भी घटेगा |


24 दिसंबर को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में देश के पहले अंतर्राष्ट्रीयइलेक्ट्रिक वाहन मेला लगाया गया जिसमें देश-विदेश की 100 से ज्यादाई-वाहन कंपनियो ने हिस्सा लिया । चीन, जर्मनी, स्वीडन, जापान तथा अन्यदेशों से 500 से ज्यादा उच्चस्तरीय व्यापारिक प्रतिनिधि मेले मेंपहुंचेंग। इलेक्ट्रिक रिक्शा मैनुफैक्चरर्स एसोसिएशन के संस्थापक सदस्यऔर इलेक्ट्रिक वाहन मेले के संगठक राजीव अरोड़ा ने कहा, 'इस पहले मेले काविशेष महत्व है, मुख्य रूप से इसलिए की यह मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में2015 में संशोधन के पश्चात ई-कार्ट व ई-रिक्शा को शामिल किए जाने के बादपहला सम्मिलित प्रयास है। खासकर ऐसे समय जब सरकार ई-रिक्शा और ई-कार्ट कोबढ़ावा देने के लिए पूरी तरह तैयार है, ताकि लोगों को अंतिम छोर तकआवागमन की सुविधा मिले, मुसाफिरों की सुरक्षा व सुविधा बढ़े और देश को एकप्रदूषण मुक्त देश बनाया जा सके।'


अरोड़ा ने कहा, 'यह एक्सपो इसलिए भी अहम है कि सरकार का लक्ष्य भारतीयसड़कों पर दौडऩे वाले 10 प्रतिशत 2/3/4 पहिया वाहनों कोहाइब्रिड/ई-वाहनों में परिवर्तित करना है, और इस लक्ष्य को पाने मेंई-रिक्शा व ई-कार्ट की विशेष भूमिका है, क्योंकि ये प्रदूषण मुक्तवातावरण की रचना में मददगार साबित होंगे।'


 


111 राष्ट्रीय जलमार्गो के बदौलत बदलेगी परिवहन की तस्वीर


सरकार जल परिवहन पर भी खासा ध्यान दे रही है। अंतर्देशीय जल परिवहन ईंधनगुणवत्ता के बिंदु से परिवहन का सबसे सस्ता माध्यम माना जाता है। एकहॉर्सपावर से जहां सड़क क्षेत्र से सिर्फ 150 किलो और रेलमार्ग से 500किलो भार ढोया जा सकता है वहीं जल क्षेत्र में चार हजार किलो भार ढोया जासकता है। विश्व बैंक द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार जहां जलमार्ग में


एक लीटर ईंधन द्वारा 105 टन-किलो मीटर ले जाया जा सकता है, वहीं रेलद्वारा 85 टन-किलो मीटर और सड़क मार्ग द्वारा सिर्फ 24 टन-किलो मीटर मालढोया जा सकता है। अध्ययनों से पता चला है कि जलमार्गों द्वारा माल ढोयेजाने के दौरान जहाजों से प्रति टन-किलो मीटर 32 से 36 ग्राम कार्बनडाइआक्साइड का उत्सर्जन होता है, वहीं सड़क परिवहन (भारी वाहन) में इसकीमात्रा बढ़कर 51 से 91 ग्राम कार्बन डाइआक्साइड प्रति टन-किलो मीटर होजाती है।


इसी मद्देनजर केंद्रीय जहाजरानी एवं सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रीनितिन गडकरी ने राष्ट्रीय जलमार्ग विधेयक, 2015 सदन में पेश किया औरचर्चा के बाद विधेयक पारित हो गया | विधेयक में 106 अतिरिक्त देशीजलमार्गो को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित करने का प्रावधान है। मौजूदा पांचराष्ट्रीय जलमार्गो में 106 अतिरिक्त जलमार्गो के शामिल करने के बाद कुलराष्ट्रीय जलमार्गो की संख्या 111 हो गयी | इससे व्यापार, उद्योग,किसानों, मछुआरों और पर्यटन को जबर्दस्त फायदा होने की उम्मीद जताई जारही है |


 


वर्ष 2016 में जहाजरानी क्षेत्र का पुनर्गठन


गडकरी का कहना है कि वर्ष 2016 में जहाजरानी क्षेत्र का पुनर्गठन हमारेएजेंडे में शामिल है | नई जहाज निर्माण नीति से 'मेक इन इंडिया' कोप्रोत्साहन दिया जायेगा | यह क्षेत्र रोजगार के अनेक अवसर पैदा करेगा |तकरीबन २० पुराने बेकार पड़ चुके कानूनों को खत्म करके जहाजरानी क्षेत्रके विकास में आने वाली अडचनों को दूर किया जा चूका है | एलएनजी वाहक जहाजभारत में निर्माण करने की दिशा में में एक महत्वपूर्ण कामयाबी हासिल हुईहै । प्रौद्योगिकी प्रदाता जी टी टी , फ्रांस ने उनके पेटेंट मार्क-IIIतकनीक का उपयोग करते हुए एलएनजी जहाजों के निर्माण करने के लिए कोचीनशिपयार्ड को लाइसेंस दे दिया है ।


सरकार ने दिसम्बर में एक प्रस्ताव स्वीकृत किया है जिसके तहत देश मेंबनने वाली जहाजों पर 20 फीसदी वित्तीय सहायता मिलेगी | ऐसे कामों के लिए4000 करोड का बजटीय समर्थन सरकार उपलब्ध कराएगी | साथ ही सरकारमहाराष्ट्र और तमिलनाडु में दो नए बंदरगाह बनाने पर विचार कर रही है जबकिपश्चिम बंगाल में सागर बंदरगाह मंजूर हो चुका है |


 


निकट भविष्य में कुछ और मील के पत्थर


केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी चाहते हैं कि बचे हुए कार्यकाल में उनकामंत्रालय 230 रेल ओवरब्रिज और रोड अंडर ब्रिज बनाए। इसका असल मकसद देशभरके रेलवे क्रॉसिंग खत्म करना है ताकि दुर्घटनाएं और जनहानि कम हो। इस सालमंत्रालय करीब 100 रेल ओवरब्रिज का काम शुरू करने जा रहा है।


2016 में भारत और थाइलैंड के बीच सड़क मार्ग बनाने की योजना बनाई जा रहीहै। इसकी जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरीने दी। उनको भरोसा है कि 4000 किलोमीटर से अधिक लंबी सड़क के सपने को नएसाल मे जमीन पर उतारा जा सकता है।एनएच 24 को 14 लेन बनाने के योजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी 31 दिसंबर को करेंगे | यह परियोजना दो साल में पूरी हो जायेगी,जिसके बाद दिल्ली से मेरठ मात्र 40 मिनट में पहुंचा जा सकता है | दिल्लीकी परिधि पर 143 किलोमीटर के एक्सप्रेस हाइवे का निर्माण शुरू कर दियागया है | प्रधानमंत्री चाहते हैं कि 400 दिनों में इसका निर्माण कार्यपूरा हो जाये | इस हाइवे प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने से दिल्ली का 50प्रतिशत तक ट्रैफिक कम हो जायेगा |


 


उपरोक्त तथ्यों को जानकार आप इतना जरुर कह सकते हैं कि ढांचागत सुधार कीदिशा में यह सरकार नीतिगत और जमीनी तौर पर काम कर रही है | वर्तमान केतौर-तरीकों में कई तरह के तकनीकी सुधार की जरूरत है क्योंकि लकीर के फकीर बने रहने के कारण प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहींहो पाते । हाईवे निर्माण के दौरान सुरंग निर्माण और अन्य पेचीदा विषयोंके त्वरित निराकरण के लिए मंत्रालय ने कमेटी बनाई है जो सुझाएगी कि कामके दौरान आने वाली बाधाओं को कैसे जल्द दूर किया जा सकता | आधुनिक तकनीकऔर दृढ इच्छाशक्ति के बल पर सब कुछ संभव है| बहरहाल , द्रुत गति से काम करके आम नागरिकों के जीवनमें विकास का अहसास लाना मोदी सरकार की प्राथमिकता है| बुनियादी ढांचे में सडक निर्माण ,परिवहन,जलमार्ग , सड़क सुरक्षा जैसे क्षेत्र में बढते कदम भावी भारत की नींव हैं|


लेखक परिचय -  जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढाई | 2008 से हिंदी वेब पोर्टल जनोक्ति.कॉम का संपादन और सञ्चालन | “न्यू मीडिया – चुनौतियाँ और संभावनाएं “ पुस्तक का संपादन | सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रीय