राष्ट्र निर्माण में छात्र-छात्राओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। युवा शक्ति देश और समाज की रीढ़ होती है तथा युवा देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते हैं। युवा देश का वर्तमान हैं तथा भूत और भविष्य के मध्य सेतु भी हैं। युवा देश और समाज के जीवन मूल्यों के प्रतीक हैं। युवा गहन ऊर्जा और उच्च महत्वाकांक्षा से भरे हुए होते हैं उनकी आंखों में भविष्य के इंद्रधनुषी सपने होते हैं, समाज को बेहतर बनाने और राष्ट्र के निर्माण में सर्वाधिक योगदान युवाओं का ही होता है। राष्ट्र निर्माण के लिए व्यक्ति का अपना एवं परिवार का निर्माण जरूरी है। यह विचार प्रदेश के उप मुख्यमंत्री तथा माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने आज यहां लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में लखनऊ विश्वविद्यालय के शैक्षणिक सत्र के पहले दिन ''राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका'' विषय पर छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि भारत एक विकासशील और बड़ी जनसंख्या वाला देश है तथा देश की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या की आयु 35 वर्ष से कम है। अपनी बड़ी युवा जनसंख्या के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था नई ऊंचाइयों को छू रही है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि युवा कुछ पा लेने की बेचैनी एवं खो देने के डर के साथ जीवन में आगे बढ़ रहे हैं। छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए सबसे पहले अपना लक्ष्य तय करना होगा और किसी व्यक्ति को अपना प्रेरणास्रोत बनाकर सकारात्मक ऊर्जा के साथ लक्ष्य प्राप्ति के लिए हर संभव प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी लक्ष्य को एक दिन में प्राप्त नहीं किया जा सकता, हमें लक्ष्य प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहना होगा। जीवन में ऊंचाइयों पर जाना है तो अपने अंतर्मन में सकारात्मक परिवर्तन करना होगा। उन्होंने कहा कि ऊंचाइयों पर पहुंच जाना ही सब कुछ नहीं होता बल्कि जरूरी है कि शिखर पर पहुंच कर उस पर स्थिर रहें और अहंकार से दूर रहें। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति केवल किताबी पढ़ाई से ही आगे नहीं बढ़ सकता आवश्यक है कि व्यक्ति के पास व्यावहारिक ज्ञान भी हो।
उप मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज का युवा परिवर्तन का सबसे बड़ा औजार है, हमें इसे सकारात्मक दिशा में धार देनी होगी जिससे राष्ट्र के निर्माण में युवा अपनी भूमिका अदा कर सकें। उन्होंने माता-पिता को वटवृक्ष बताते हुए कहा कि संकट की घड़ी में हर व्यक्ति को माता-पिता की याद आती है। माता-पिता के सानिध्य में चलने वाला व्यक्ति कभी भी पराजित नहीं हो सकता।
डॉ दिनेश शर्मा ने अपने व्याख्यान में कतिपय युवाओं द्वारा तकनीकी के दुरूपयोग एवं नैतिक मूल्यों के ह्रास पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने युवाओं को नैतिक मूल्यों को आत्मसात करने, बड़े -बुजुर्गों , माता पिता के प्रति आदर एवं सम्मान के भाव को बनाए रखने के लिए प्रेरित किया । डॉ दिनेश शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि युवाओं में कुछ करने की क्षमता एवं जोश दोनों होता है उनको चाहिए कि वह इसका सकारात्मक दिशा में उपयोग करें। इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एस0पी0 सिंह, लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डाॅ0 नीरज जैन एवं महामंत्री डाॅ0 दिनेश वर्मा आदि उपस्थित रहे।