बड़ा ही रहस्य और रोमांचक है इसरो का अबतक का सफरनामा







अंतरिक्ष के ज्ञान से विश्व  में सबसे अधिक जानकारी रखने वाले हमारे भारत ने भले ही थोड़ी देर बाद लक्ष्य को हासिल किया लेकिन इस राह की बाधा लुटेरे शक, हूण,मुगल, अग्रेज शासक रहे है ।एक   समय ऐसा भी था जब संसाधनों की कमी की वजह से रॉकेटों को बैलगाड़ी से लाया गया था। इसके अलावा भारत के पहले रॉकेट के लांच के समय भारतीय वैज्ञानिक हर रोज तिरूवंतपूरम से बसों में आते थे, और रेलवे स्टेशन से दोपहर का खाना खाते थे। साथ ही पहले रॉकेट के कुछ हिस्सों को साइकिल पर भी ले जाया गया था।

 

इसरो ने राष्ट्र और आम जनता की सेवा के लिए, अंतरिक्ष विज्ञान को एक नई पहचान दी है| इसरो के पास संचार उपग्रह तथा सुदूर संवेदन उपग्रहों का बृहत्‍तम समूह है, जो द्रुत तथा विश्‍वसनीय संचार एवं भू प्रेक्षण की बढ़ती मांग को पूरा करता है| इसरो राष्‍ट्र के उपयोग के लिए विशिष्‍ट उपग्रह उत्‍पाद एवं उपकरणों को प्रदान करता है: जैसे कि– प्रसारण, संचार, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन उपकरण, भौगोलिक सूचना प्रणाली, मानचित्रकला, नौवहन, दूर-चिकित्‍सा, आदि| इन उपयोगों के कारण, विश्‍वसनीय प्रमोचक प्रणालियां विकसित करना आवश्‍यक था, इससे संपूर्ण आत्‍म निर्भता हासिल हुई और ध्रुवीय उपग्रह राकेट (पी.एस.एल.वी.) के रूप में उभरी। प्रति‍ष्ठित पी.एस.एल.वी. विभिन्‍न देशों के उपग्रहों का सबसे प्रिय वाहक बन गया, अपनी विश्‍वसनीयता एवं लागत प्रभावी होने के कारण. जिससे अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिला। भू तुल्‍यकाली उपग्रह राकेट (जी.एस.एल.वी.) को भू तुल्‍यकाली संचार उपग्रहों को ध्‍यान में रखते हुए विकसित किया गया। 

 

ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

स्थापना: 1969 

मुख्यालय: बेंगलुरू

अध्यक्ष: K. सिवान 

आदर्श वाक्य (Motto): मानव जाति की सेवा में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी

 

 *भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम की शुरूआत* 

 

 *26 जनवरी 1950 को एक* गणराज्य बनने के साथ ही भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया था और एक वर्ष के भीतर ही परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना की गई थी, जिसके सचिव के रूप में *होमी जहाँगीर भाभा को* नियुक्त किया गया था| 1957 में सोवियत संघ द्वारा अंतरिक्ष में “स्पुतनिक” यान के प्रक्षेपण के साथ ही दुनिया के बाकी देशों का अंतरिक्ष अनुसंधान की ओर ध्यान गया|

 

 *भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए सर्वप्रथम 1962 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके करीबी सहयोगी और वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के प्रयासों से भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR)  की स्थापना की गई थी, जिसके अध्यक्ष विक्रम साराभाई थे| बाद में सन् 1969 में डॉ. विक्रम साराभाई ने स्वतंत्रता दिवस के दिन भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR)  के स्थान पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना की थी। डॉ. विक्रम साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक भी कहा जाता है|* 

 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दुनिया का सबसे बड़ा सरकारी अंतरिक्ष एजेंसी है और इसका उद्देश्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और राष्ट्रीय लाभ के लिए नए उपग्रहों को प्रक्षेपित करना है|

 

 *इसरो की प्रमुख उपलब्धियां-* 

 

 

 *प्रथम भारतीय उपग्रह* 

 

 भारत ने अपना पहला उपग्रह “आर्यभट्ट” 15 अप्रैल 1975 को सोवियत संघ की सहायता से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया था| 1960 और 70 के दशक में इसरो द्वारा स्वदेशी प्रक्षेपण यान के विकास के लिए कार्यक्रम शुरू किए गए थे ।

 

अंततः 1979 में इसरो ने उपग्रह प्रक्षेपण यान (SLV-3) को विकसित करने में सफलता प्राप्त की थी।

 

भारत के पहले रॉकेट लांच के समय भारतीय वैज्ञानिक हर रोज तिरूवंतपूरम से बसों में आते थे और रेलवे स्टेशन से दोपहर का खाना खाते थे। पहले रॉकेट के कुछ हिस्सों को साइकिल पर ले जाया गया था।

 

 *पहला स्वदेशी उपग्रह का प्रक्षेपण* 

 

“रोहिणी”, पहला भारतीय उपग्रह था, जिसे सर्वप्रथम स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान SLV-3 के द्वारा कक्षा में प्रक्षेपित किया गया था| इस समय तक भारत उपग्रहों के वाणिज्यिक प्रक्षेपण के लिए रूस पर निर्भर था| इसलिए इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए 1980 और 1990 के दशक में इसरो द्वारा “ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) और “भू-स्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) का विकास किया गया था।

 

 *इसरो द्वारा प्रक्षेपित पीएसएलवी C37 से होने वाले लाभ -* 

 

1981 में APPLE Satellite को संसाधनों की कमी की वजह से बैलगाड़ी पर ले जाया गया था।

 

 *ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपणयान (PSLV)* 

 

भारत द्वारा सूर्य के समकालिक कक्षा में भारतीय रिमोट सेंसिंग (IRS) उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए इस क्षमता का विकास किया गया था| PSLV भूस्थिर कक्षा में छोटे आकार के उपग्रहों को प्रक्षेपित कर सकता है| PSLV को सर्वप्रथम 20 सितंबर 1993 को प्रक्षेपित किया गया था।

 

2015 तक PSLV द्वारा 93 उपग्रहों को कक्षा में प्रक्षेपित किया गया है जिनमें से 36 भारतीय और 20 अलग अलग देशों के 57 विदेशी उपग्रह थे।

 

इसरो ने 2008 में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) द्वारा एक साथ 10 उपग्रहों को प्रक्षेपित कर रूसी विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया था।

 

30 जून 2014 को PSLV द्वारा भारत के अलावा कनाडा, सिंगापुर, जर्मनी और फ्रांस के पांच उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में प्रक्षेपित किया गया था।

 

16 दिसंबर 2015 को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान PSLV द्वारा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केन्द्र से सिंगापुर के छह उपग्रहों को कक्षा में प्रक्षेपित किया गया था।

 

2016 में इसरो ने पीएसएलवी-सी31/आई.आर.एन.एस.एस-1 ई, पीएसएलवी-सी32/आई.आर.एन.एस.एस-1एफ, पीएसएलवी-सी33/आई.आर.एन.एस.एस-1जी,पीएसएलवी-सी34/ कार्टोसैट-2श्रेणी उपग्रह प्रोमोचन मिशन, , पीएसएलवी-सी35 / स्कैटसैट-1 प्रमोचन, जीसैट-18 मिशन, पीएसएलवी -सी36 / रिसोर्ससैट -2ए मिशन किया गया था।

 

2017 में पीएसएलवी-C37/कार्टोसैट 2 सीरीज उपग्रह का प्रमोचन, पीएसएलवी-C38/कार्टोसैट 2 श्रृंखला उपग्रह मिशन प्रमोचन, पीएसएलवी-सी 39 जो आईआरएनएसएस -1एच उपग्रह को वहन कर रहा था, असफल रहा था।

 

 *जनवरी 2018 में* पीएसएलवी-सी 40 / कार्टोसैट -2 श्रृंखला उपग्रह मिशन किया गया।

 

 *भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपणयान (GSLV)** 

 

GSLV का प्रयोग पृथ्वी की निचली कक्षा में 500 टन अंतरिक्ष उपकरण युक्त इनसैट श्रृंखला की तरह भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए किया जाता है| भारत द्वारा GSLV का निर्माण रूस से खरीदे गए क्रायोजेनिक इंजन की मदद से किया गया है|

 

GSLV में आए ईंधन रिसाव की समस्या को हल करने के बाद 5 जनवरी 2014 को GSLV-D5 की मदद से जीसैट-14 को सफलतापूर्वक अपने इच्छित कक्षा में प्रक्षेपित किया गया था| इस प्रक्षेपण से साथ ही भारत “क्रायो_क्लब” नामक

 

अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे देशों के विशिष्ट समूह में शामिल हो गया था| इस समूह में शामिल अन्य देः अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन है|

 

 *कल्पना-1* : इसरो द्वारा 12 सितंबर 2002 को प्रक्षेपित मौसम संबंधी उपग्रह, जिसका वास्तविक नाम "मेटासैट" था का नाम बदलकर कल्पना-1 रख दिया गया था| इसरो का यह कदम कल्पना चावला के दुर्भाग्यपूर्ण निधन के कारण उसके योगदान को समर्पित था|

 

 *2004 में प्रथम प्रचलनात्मक उड़ान जीएसएलवी -* (जीएसएलवी-एफ01 ) से एड्यसैट का सफलतापूर्वक प्रमोचन श्रीहरिकोटा से किया गया था।

 

 *2006 में श्रीहरिकोटा से द्वितीय प्रचलनात्मक उड़ान* जीएसएलवी (जीएसएलवी-एफ2) के ऑनबोर्ड पर इन्सैट-4सी उपग्रह को कक्षा में नहीं रखा जा सका था।

 

2007 में एसडीएससी शार श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी (जीएसएलवी-एफ04) के ऑनबोर्ड पर इन्सैट-4सीआर का प्रमोचन सफलतापूर्वक किया गया था।

 

2010 में जीएसएलवी-डी3 को श्रीहरिकोटा से प्रमोचन किया गया। जीसैट-4 उपग्रह को कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका अतः जीएसएलवी -डी3 मिशन में भीरतीय क्रायो चरण का परीक्षण नहीं किया जा सका।

 

2014 में जीएसएलवी-डी5 ने श्रीहरिकोटा से जीसैट-14 का सफलतापूर्वक प्रमोचन किया गया था।

 

2015 में जीएसएलवी-डी6 / जीसैट-6 का प्रमोचन।

 

2016 में जी.एस.एल.वी - एफ05/ इनसैट-3 डीआर मिशन का प्रमोचन।

 

2017 में जीएसएलवी-एफ 09 / जीसैट -9 का प्रमोचन, जीएसएलवी एमके।।। डी1/जीसैट-19 मिशन.

 

 *चंद्र मिशन:* 

 

 *चंद्रयान-1:* चंद्रमा पर पहले मानवरहित मिशन के तहत PSLV के संशोधित संस्करण का उपयोग कर 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से प्रक्षेपित किया गया था| चंद्रयान-1, चंद्रमा पर पानी का निशान की खोज करने वाला पहला अंतरिक्ष यान था|

 

 *चंद्रयान-2:* 2016-17 में GSLV-Mk2 की मदद से चंद्रयान-2 को प्रक्षेपित करने की योजना बनाई जा रही है और यह भारत की दूसरी मानवरहित चंद्र मिशन होगा जो चंद्रमा की उत्पत्ति और  उसके विकास को समझने की कोशिश करेगा।इसका उपयोग *22 जुलाई 2019 दोपहर 2.43 पर किया गया ।* 

 

 *मंगल अभियान* 

 

इसरो द्वारा 5 नवंबर, 2013 को अपने पहले मंगल अभियान के तहत मंगलयान को मंगल ग्रह की कक्षा में प्रक्षेपित किया था जिसका उद्देश्य मंगल के ऊपरी वायुमंडल, उसके सतह और वहां उपस्थित खनिज का अध्ययन करना था|

 

इसरो ने 24 सितंबर 2014 को सफलतापूर्वक मंगलयान को मंगल ग्रह से 423 किलोमीटर की दूरी पर अपनी इच्छित कक्षा में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया था| इस सफलता के साथ ही भारत अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह की कक्षा में उपग्रह स्थापित करने वाला पूरी दुनिया का पहला और इस तरह की सफलता प्राप्त करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया था|

 

एकसाथ 104 उपग्रहों का प्रक्षेपण: हाल ही में 15 फरवरी 2017 को इसरो ने एकसाथ 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित कर एक नया इतिहास कायम किया है|

 

 *ANTRIX:* 

 

यह इसरो की कमर्शियल डिविजन है जो हमारी स्पेस तकनीक को दूसरे देशों तक पहुंचाती है। ANTRIX के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर देश के दो बड़े उद्योगपति रतन टाटा और जमशेद गोदरेज हैं| इसकी स्थापना 28 सितम्बर 1992 को हुई थी| इसके वर्तमान मुख्य प्रबंध निदेशक वी. एस. हेगड़े हैं| 2014-15 में इसका कुल राजस्व 1,860.71 करोड़ रूपए, प्रक्षेपण के द्वारा प्राप्त आय 325.4 करोड़ रूपए और कुल लाभ 205.10 करोड़ रूपए था|   

 

इसरो का बजट केंद्र सरकार के कुल खर्च का 0.34% और GDP का 0.08% है। ISRO का पिछले 40 साल का खर्च NASA के एक साल के खर्च का आधा है। वहीं नासा की इंटरनेट स्पीड 91GBps है और इसरो की इंटरनेट स्पीड 2GBps है।