मैं अटल हूँ










 

 


 
 



 


 

 





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मैं अटल हूँ

निस्तब्ध लोक में

उपजा एक कण हूँ

मनुष्यता के पथ पर

मंथर

किन्तु

अविराम यात्री हूँ

ले लेता हूँ साथ उन्हें

जो इस पथ के

अनुगामी है,

श्रमशील है,

या सहचर है,

या ठहरे है गति की अभिलाषा में,

द्वंद से दूर

शान्ति की ओर

अपार भाव स्वप्न लिए

आत्मज सत्य के संबल के साथ

सूर्य पथ पर गतिमान हूँ

मैं अटल हूँ

 

चुनौती दर चुनौती

आपात से अंधेरा तक

नाचती हुई ज्वालाओं को भेद कर

नए सूर्य की ओर अग्रसर हूँ

मैं अटल हूँ

 

हर जिंदगी की अकुलाई थांहो को

सजोने,

सम्भालने,

और

साकार करने वाला कण हूँ

मैं अटल हूँ

 

दुनिया के शक्ति केंद्रों

के मध्य

उदघोष हूँ,

बुद्ध की मुस्कान हूँ,

परमाणु हूँ

मैं अटल हूँ

 

देशों की उष्णता के मध्य

वर्फ़ की पिघलन हूँ

संवाद हूँ

संतुलन हूँ

सह अस्तित्व हूँ

सह सम्मान हूँ

मैं अटल हूँ

 

खेत , मेड , खलियान हूँ

पगडंडी से लेकर सड़को की जाल हूँ

जय जवान, जय किसान

के साथ जय विज्ञान हूँ

मैं अटल हूँ

 

निस्तब्ध लोक में उपजा

एक कण हूँ

मैं अटल हूँ।

 

 

----शैलेन्द्र भाटिया