लखनऊ 26 मार्च 2019- वास्तु कला से जुड़े विद्यार्थियों को पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी हितैषी इमारतों की आवश्यकता, उपयोगिता एवं महत्व से परिचित कराने के उद्देश्य के साथ एमिटी स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एण्ड प्लानिंग एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर द्वारा ‘ग्रीन बिल्डिंग एण्ड रेटिंग सिस्टम’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस संगोष्ठी का डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम विश्वविद्यालय, लखनऊ के पूर्व कुलपति प्रोफेसर आर.के. खण्डाल ने बतौर मुख्य अतिथि दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया। इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर के कार्यवाहक प्रति कुलपति डॉ. सुनील धनेश्वर, चेयरमैन एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ के सलाहकार सेवानिवृत्त मेजर जनरल के.के. ओहरी एवीएसएम और उप प्रति कुलपति एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ डॉ. अनिल तिवारी भी शामिल हुए।
एमिटी स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एण्ड प्लानिंग के निदेशक प्रोफेसर जगबीर सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।
संगोष्ठी में बोलते हुए डॉ. आर.के. खंडाल ने कहा कि प्रकृति का हरा रंग जीवन का और समृद्धि का प्रतीक है। इसलिए पूरी पृथ्वी पर प्रकृति ने लाखों प्रजातियों के पेड़-पौधों और वनस्पतियों के माध्यम से हरे रंग का वर्चस्व स्थापित किया। स्थापत्य शास्त्र में भी भवन परिसर के भीतर और बाहर वृक्षारोपण का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि इन पेड़ पौधों से भरपूर भवन अच्छे स्वास्थ्य और अच्छे पर्यावरण के कारक होते हैं। स्थापत्य कला पर बोलते हुए श्री खण्डाल ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने हजारों साल पहले ऐसी इमारतों का निर्माण किया जो आज भी शान से सर उठाये खड़ी हैं परन्तु आज तमाम वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास के बाद भी हमारी बनायी इमारतें 25 या 50 वर्ष बाद ही मरम्मत की जाने योग्य या अनुप्रयोज्य हो जाती हैं। ऐसा क्यों है इसके कारणों को आज जानने की आवश्यकता है।
संगोष्ठी में सम्बोधित करते हुए प्रोफेसर आर. शंकर ने कहा कि ग्रीन बिल्डिंग संसाधनों और उनकी कार्य क्षमता को बढ़ाने में तथा निर्माण के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि पुराने समय में जब ग्रामीण अंचलों आदि में बिजली जैसी सुविधाएं नहीं थीं तब बने ज्यादातर घर और भवन ग्रीन बिल्ंिडग ही थे जोकि प्राकृतिक और स्थानीय सामग्रियों का प्रयोग कर बनाये जाते थे तथा पूर्ण रूपेण स्वास्थ्य एवं पर्यावरण हितैषी हुआ करते थे। उन्होंने कहा कि पूरे ब्रह्मांड में सिर्फ प्राकृतिक इको सिस्टम ही पूर्ण सस्टेनेबल मॉडल है। जिसको आधार बनाकर हम ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण कर सकते हैं।
संगोष्ठी को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल विश्वविद्यालय के प्रिंसिपल एवं डीन डॉ. वन्दना सहगल, आईआईआईटी रुढ़की के पूर्व प्रोफेसर यतिन पांडेया, टेरी स्कूल ऑफ एडवांस स्टडीज नई दिल्ली की प्रोफेसर शालीन सिंघल, एमएनआईटी जयपुर के प्रोफेसर आलोक रंजन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एण्ड साइंसेज, लखनऊ के डॉ. बी. आर. सिंह, यूपीआरएनएन के पूर्व चीफ आर्किटेक्ट के.के. अस्थाना, आर्किटेक्ट संदीप कुमार सारस्वत ने भी सम्बोधित किया।
संगोष्ठी में एमिटी स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एण्ड प्लानिंग के विद्यार्थियों और प्रवक्ताओं सहित देश भर के प्रमुख आर्किटेक्चर संस्थानों के विद्यार्थियों एवं प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।