लखनऊ
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि सन् 2019 के लोकसभा चुनाव देश की राजनीति में निर्णायक साबित होने वाले हैं। एक तरह से तो यह लोकतंत्र की अग्निपरीक्षा के दिन हैं। इसमें मतदाताओं को जागरूकता के साथ मूलभूत मुद्दों से ध्यान हटाने के भाजपा के षडयंत्रों से सावधान रहना होगा। समाजवादी आंदोलन के प्रखर महानायक डाॅ0 राममनोहर लोहिया की यह बात याद रखनी होगी कि जिंदा कौमें पांच साल तक इंतजार नहीं करती हैं।
लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय महत्व के सवालों पर लड़े जाते हैं। पिछले पांच वर्षो में देश में बेरोजगारी बढ़ी है। नोटबंदी-जीएसटी के बाद नौकरियों में छंटनी हुई है और उद्योगधंधे बंद हुए हैं। बैंकों से जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे लूटकर कई उद्योगपति विदेश भाग गए। गरीब-अमीर के बीच की खाई कई गुना बढ़ गई है। मंहगाई का ग्राफ चढ़ता ही गया है। प्रधानमंत्री जी ने जनता से जो वादे किए थे वे पूरे नहीं हुए। भाजपा के संकल्प पत्र (घोषणा पत्र) के संकल्प कागजों में ही लिखे रह गए।
सर्वाधिक त्रासद स्थिति यह है कि भाजपा ने अपने कार्यकाल में समाज के ताना बाना को ही तोड़ने का काम किया है। समाज के विभिन्न वर्गों के बीच विभेद पैदा करने और नफरत की आग सुलगाने में भाजपा आगे रही है। भाजपा ने राजनीति की शुचिता को नष्ट कर उसकी ब्राँडिंग-मार्केटिंग कर व्यवसायिक बना दिया है। भाषा और आचरण की मर्यादा से खिलवाड़ कर सम्पूर्ण वातावरण को प्रदूाित और विषाक्त बना दिया है। सरे आम अभद्र भाषा का प्रयोग और जूतो से पिटाई के दृश्यों ने यह संशय पैदा कर दिया है कि भाजपा चुनाव जीती तो लोकतंत्र का भविष्य क्या होगा?
सवाल उन मूल्यों को बचाने का है जिनके लिए स्वतंत्रता आंदोलन में लाखों लोगों ने संघर्ष किया था। राजनीति में सहिष्णुता और जनता के प्रति सम्मान के जो भाव थे उनका विलोप हो रहा है। लोकतंत्र लोकलाज से चलता है, इसका तिरस्कार नहीं होना चाहिए। सामाजिक सद्भाव और शांति के बिना विकास की एक ईंट भी नहीं रखी जा सकती है। सत्ता पक्ष का अहंकार प्रगति को रोकता है और तानाशाही के दिनों की ओर लौटने के खतरे का संकेत करता है।
उत्तर प्रदेश के मतदाताओं पर इन चुनावों में बड़ी जिम्मेदारी है। यह तो सब जानते है कि प्रदेश से सर्वाधिक सांसद (80) चुने जाते हैं और दिल्ली के सिंहासन का रास्ता लखनऊ से होकर ही गुजरता है। भाजपा की संकीर्ण मानसिकता, झूठ और फरेब की राजनीति के मुकाबले समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी-राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन वैचारिक आधार पर बना है जिसका उद्ेश्य लोकतंत्र, समाजवाद और सामाजिक सौहार्द के रास्ते की बाधाओं से पार पाना है। सत्ता पक्ष का यही सशक्त विकल्प है। यह सामाजिक न्याय और जनआंकाक्षाओं को बचाने का गठबंधन है। उत्तर प्रदेश में गठबंधन के कारण भाजपा एक-दो सीट के लिए भी तरस जायेगी। यही लोकतंत्र की सच्चाई है।